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अफ्रीका पहुंचा जिंदादिली का जर्मन तूफान

११ फ़रवरी २०१२

कुछ विरले जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीते हैं. उनका उत्साह हर मुश्किल से उन्हें निकाल लाता है. यह बात कभी जर्मन के सबसे लोकप्रिय युवा गोलकीपर फानेनस्टील का उदाहरण है. वह फुटबॉल का मजा लेते हुए मौत को भी हरा गए.

जर्मन गोलकीपर लुट्ज फानेनस्टीलतस्वीर: picture-alliance/dpa

वह मैच फिक्सिंग के आरोप में सिंगापुर में जेल गए. इंग्लैंड में उन्हें मरा समझा गया. लेकिन वह दौड़ते रहे और ब्राजील से लेकर मलेशिया तक के स्टेडियमों में धमक मचा दी. एक वक्त जर्मनी की बी टीम के गोलकीपर रहे लुत्ज फानेनस्टील अब तक 13 देशों में 25 क्लबों के लिए खेल चुके हैं. उन्हें ब्राजील भी जानता है और मलेशिया भी.

38 साल के फानेनस्टील रविवार को अफ्रीका कप ऑफ नेशन्स में भी दिखाई पड़ेंगे. वह प्रेस दीर्घा में बैठे दिखाई पड़ेगे. जर्मन के बावेरिया राज्य में पैदा हुए फानेनस्टील एक वक्त में जर्मन युवाओं के आदर्श थे. लेकिन जर्मनी की राष्ट्रीय टीम में वह कभी जगह नहीं बना सके. अनुभव को ताजा करते हुए फानेनस्टील कहते हैं, "मुझे लगता है कि मुझसे धैर्य बिल्कुल नहीं था. मैं बेंच पर बैठना ही नहीं चाहता था, तुरंत खेलना चाहता था. अगर मैं कुछ इंतजार करता तो शायद मैं रिजर्व गोलकीपर की तरह बुंडेसलीगा में रहता. फिर एक लीग नीचे जाता और अभी किसी तीसरी श्रेणी के क्लब का गोलकीपिंग कोच होता."

लेकिन मस्तमौला स्वभाव के फानेनस्टील ने अपने दिल की सुनी. उन्होंने दुनिया भर में फुटबॉल खेलने की ठानी. लेकिन तभी उन्हें सिंगापुर में बड़ा झटका लगा. वह मैच फिक्सिंग के दोषी करार दिए गए. पांच महीने की जेल की सजा हुई. 100 दिन कैद में काटने ही पड़े. मैच फिक्सिंग और अदालत के हैरान करने वाले फैसले की टीस अब भी उनके जेहन में है, "जो तीन मैच फिक्स बताए गए, उनमें से हमने दो जीते और एक मैच ड्रॉ रहा. जज ने मुझसे कहा कि मैं बहुत ही अच्छा खेल रहा था, सामान्यतया मैं इतना अच्छा नहीं खेलता हूं, इसीलिए मुझे दोषी करार दिया गया."

लुट्ज फानेनस्टील का मजबूत इरादातस्वीर: picture-alliance/dpa

खैर, फानेनस्टील की जिंदगी का रोमांच यही खत्म नहीं हुआ. इंग्लैंड में एक मैच के दौरान उनके सीने में जबदस्त चोट लगी, "मैं क्लीनिकली डेड था, मुझे तीन बार मौत से मुंह से वापस लाया गया. चोट इतनी घातक थी कि मैच रद्द करना पड़ा."

लेकिन ब्राजील की बात आते ही उनके चेहरे पर मुस्कान और शर्मिंदगी सी आ जाती है, "2008 में मरकाना स्टेडियम में खेल गए मैच के पहले पांच मिनट में मेरे करियर में हासिल की गई चीजों की झलक मिली. ब्राजील में खेलने वाला मैं पहला जर्मन था. मुझे जबरदस्त एहसास हो रहा था. लेकिन दुर्भाग्य से जल्द ही हमने गोल खा लिया. सारे अच्छे विचार जितनी तेजी से आए थे, उतनी तेजी से चले गए.

इसे जिंदादिली कहिए और स्वभाव की रवानगी, इतना सब कुछ होने के बाद भी फानेनस्टील फुटबॉल से जुड़े हुए हैं. जर्मन बुंडेसलीगा क्लब होफेनहाइम के इंटरनेशनल स्काउटिंग एंड रिलेशन के प्रभारी हैं. जलवायु परिवर्तन के खतरे से लड़ने के लिए वह एक संस्था भी बना चुके हैं. ग्लोबल यूनाइटेड एफसी में जिनेदिन जिदान और क्रिस्टियान कारम्बेऊ जैसे खिलाड़ियों की लोकप्रियता का इस्तेमाल करते हुए वह लोगों को धरती को बचाने की अपील कर रहे हैं.

रिपोर्ट: डीपीए/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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