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अफ्रीका में कदम बढ़ा रहा है भारत

२६ फ़रवरी २०११

चीन से होड़ लेने की कोशिश में भारतीय कंपनियों ने भी अफ्रीकी देशों में अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए हैं. अफ्रीकी कंपनियों में भारत की कंपनियां पैसा लगा रही हैं. भारत को सुरक्षा परिषद में भी अफ्रीकी देशों से मदद की उम्मीद.

तस्वीर: The Cincinnati Enquirer

पिछले साल अफ्रीकी महादेश में भारत की मोबाइल सेवा देने वाल कंपनी एयरटेल ने कुवैत की जेन मोबाइल कंपनी को खरीद लिया. करीब 10 अरब अमेरिकी डॉलर कीमत के इस सौदे के साथ एयरटेल ने एक झटके में उन 16 देशों में अपने कदम रख दिए जहां जेन कारोबार कर रही है. मोबाइल इस्तेमाल करने वालों के लिए इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ा लेकिन अफ्रीकी महादेश के लिए ये अपने इलाके में भारतीय कंपनी का एक बड़ा कदम था. यहां अब तक निवेश के लिहाज से चीनी कंपनियों का ही दबदबा रहा है.

तस्वीर: AP

भारत चीन में फर्क

दक्षिण अफ्रीकी संसाधनों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में चीन ने यहां काफी पैसा बहाया है अब भारत भी एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में यहां पैर जमाने की कोशिश में है. दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के अफ्रीकन स्टडीज विभाग के प्रोफेसर अजय दूबे का मानना है कि भारत का रवैया चीन समेत दूसरे देशों की तुलना में अलग है. अजय दूबे ने कहा,"चीन का रवैया पूरी तरह से पैसे पर आधारित है. निवेश के मामले में उन्होंने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. चीन अफ्रीका में सबसे बड़ा निवेशक है और वो ज्यादातर ऐसे प्रोजेक्ट में पैसा लगा रहे हैं जिनमें राजनेता भी शामिल हैं, उन प्रोजेक्ट में नहीं जो जनता से जुड़े हैं. भारत की कोशिश अफ्रीकी जनता से जुड़ने की है. वहां मानव संसाधन के विकास, पूंजी निर्माण और साथ ही अफ्रीकी देशो को अर्थव्यवस्था का ज्ञान देने की कोशिश की जा रही है."

आपसी रिश्तों को मजबूत करने के लिए भारत और अफ्रीका हर तीन साल पर एक सम्मेलन बुला रहे हैं जिसमें आपसी सहयोग बढ़ाने के नए क्षेत्रों की खोज और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी. नई दिल्ली में 2008 में पहली बार ये सम्मेलन बुलाया गया अब इस साल मई में दूसरा सम्मेलन होने जा रहा है इथियोपिया की राजधानी आदिस अबाबा में. उधर चीन पहले ही इस तरह के चार सम्मेलन कर चुका है.

तस्वीर: AP

रवांडा के उच्चायुक्त विलियम न्कुरुंजिजा कहते हैं, "मेरे ख्याल से भारत अफ्रीका के रिश्ते कूटनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर आगे बढ़े हैं. भारत के पास उन चुनौतियों से निबटने की काबिलियत है जिनसे फिलाहाल अफ्रीकी देश जूझ रहे हैं. भारत और अफ्रीका के बीच होने वाले सम्मेलनों से हमें उन उपायों को ढूंढने में मदद मिली है जिनकी हमें तलाश है."

कारोबार के लिहाज से देखें तो अफ्रीका में भात चीन के बीच एक बड़ा फासला है. अफ्रीकी देशों में भारत का कुल कारोबार करीब 30 अरब डॉलर का है जबकि चीनी कंपनियों का कारोबार करीब 56 अरब डॉलर का है. चीन ने तेल से भरे पूरे सूडान, अंगोला, मोजाम्बिक, नाइजीरिया और चाड जैसे देशों के साथ ऊर्चा और बुनियादी ढांचे के निर्माण में अच्छा करार हासिल कर लिये हैं.

प्रोफेसर अजय दूबे मानते हैं कि अफ्रीका इन दोनों देशों के निवेश का मजा ले रहा है,"चीन से जो पैसा आ रहा है और भारत के सहयोग से जो मानव संसाधन और पश्चिमी देशों से दूसरी चीजें आ रही हैं अफ्रीका के पास ये विकल्प है कि वो अपने विकास के लिए सही सहयोगी या सहयोगियों को चुन सके."

अफ्रीका के साथ निश्चित तौर पर भारत अफ्रीका के करीब जा रहा है लेकन ड्रैगन की सफारी से मुकाबले के लिए भारत को अभी और भी बहुत कुछ करना होगा.

रिपोर्टः मुरली कृष्ण/एन रंजन

संपादनः उ भ

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