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समाज

कोविड-19: अफ्रीकी स्वास्थ्य कर्मी देश छोड़ने पर मजबूर

मार्टीना श्वीकोव्स्की
२५ जून २०२१

कम वेतन और काम करने की प्रतिकूल स्थितियों की वजह से अफ्रीकी स्वास्थ्य कर्मी विदेशों में बेहतर अवसरों की तलाश में हैं. कोविड महामारी की वजह से प्रवासन नियमों को भी ढीला किया गया है.

Afrika Krankenhaus - Kongo - Symbolbild
तस्वीर: Imago/UIG/P. Deloche Godong

रहिमोत अपने पोते के जन्म का इंतजार कर रही हैं. वो अपनी बहू को लागोस स्थित सेंट डिवाइन प्राइवेट क्लिनिक के इमर्जेंसी सेक्शन में ऑपरेशन के लिए लाई हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में रहिमोत कहती हैं, "मेरी बहू को करीब एक बजे रात में दर्द शुरु हुआ. वो इसे और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, इसलिए हम लोगों ने डॉक्टर की सलाह पर तय किया कि उसका ऑपरेशन हो."

नाइजीरिया के इस छोटे से अस्पताल में कर्मचारियों को अपनी जिंदगी बचाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.

कई महीने वेतन नहीं मिला

नर्स ग्लोरी ओनीन्वे इस अस्पताल को चलाती हैं. अपने आसपास के इलाकों में वो इसलिए जानी जाती हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे तमाम लोगों को इलाज सुलभ कराया है जो सक्षम नहीं थे. ओनीन्वे जैसे निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं ने कोविड महामारी के दौरान नाइजीरिया की स्वास्थ्य सेवाओं को काफी मदद पहुंचाई. ज्यादातर लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है, इसलिए अस्पतालों को मरीजों का खर्च खुद वहन करना पड़ता है और वो खुद दूसरों की मदद पर निर्भर रहते हैं.

ऑपरेशन के दौरान बिजली कटौती हो जाती है, जो कि रोजमर्रा का हिस्सा है. नाइजीरिया में स्वास्थ्य सेवाओं की आर्थिक स्थिति बहुत ही बदहाल है. सरकारी और निजी अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव है और तमाम डॉक्टरों को कई महीनों तक बिना वेतन के ही काम करना पड़ता है.

डॉक्टर लुमुंबा ओटीग्बे काफी परेशान हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "डॉक्टर बनने के लिए लोग कितनी कठिन पढ़ाई करते हैं. लेकिन तमाम डॉक्टरों की तरह मेरे पास भी है खुद का एक घर नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए. हम लोगों की जिंदगी बचाते हैं. लेकिन नाइजीरिया में ऐसा लगता है कि हम अपनी ही जिंदगी की हिफाजत नहीं कर सकते. लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि हम उन लोगों की सेवा नहीं करते हैं जो हमारी देखभाल कर सकते हैं."

महामारी की वजह से प्रतिभा पलायन बढ़ा है

नाइजीरिया में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों का बड़ी संख्या में पलायन कोविड-19 की शुरुआत से पहले ही होना शुरू हो गया था. साल 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के करीब 88 फीसद डॉक्टर बाहर जाना चाहते थे. ज्यादातर डॉक्टर अमेरिका और ब्रिटेन जाते हैं. दूसरे अफ्रीकी देशों के डॉक्टर्स, नर्सेज और स्वास्थ्यकर्मी इसलिए देश छोड़कर चले जाते हैं क्योंकि यहां काम करने का माहौल अक्सर खराब रहता है. और कोविड-19 महामारी ने इस स्थिति को और बिगाड़ दिया है.

दक्षिण अफ्रीका के एक एनेस्थीसिया विशेषज्ञ केरोलीन ली कहती हैं, "कोई प्रामाणिक संख्या तो नहीं है, जो इसकी पुष्टि कर सके लेकिन मेडिकल और व्यवसाय इन दोनों क्षेत्रों में ज्यादातर लोग देश के बाहर जाने संबंधी बातें करते हैं. मेरे कई मरीजों ने भी इस बारे में मुझे बताया है."

ली उस हेल्थकेयर वर्कर्स केयर नेटवर्क का संचालन करती हैं जो दक्षिण अफ्रीका में स्वास्थ्यकर्मियों को मनोवैज्ञानिक मदद पहुंचाता है. ली मानती हैं कि कोविड महामारी की वजह से प्रवासन की प्रक्रिया पर भी असर पड़ा है. इसका एक प्रमुख कारण दक्षिण अफ्रीकी सरकार में तेजी से बढ़ता भ्रष्टाचार है. वो कहती हैं, "कोरोनावायरस से लड़ने के लिए जारी किए गए पैसे में ज्यादातर चुरा लिए गए. सुरक्षा के लिए आए कपड़े, खाद्य सामग्री, सामाजिक फंड और बेरोजगार लोग गायब हो गए. ज्यादातर दक्षिण अफ्रीकी यह सोचते हैं कि अब अपने घर में रहकर उनका कोई भविष्य नहीं है."

प्रवेश के आसान तरीके

दक्षिण अफ्रीका में Xpatweb आप्रवासन और उत्प्रवास के लिए सहायता प्रदान करता है. कंपनी के पास जॉब मार्केट में मौजूद अवसरों के ताजा आंकड़े भी हैं. साल 2020-21 के सर्वेक्षण के आधार पर डायरेक्टर मारिसा जैकब्स कहती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रही पांच फीसद कंपनियों को अच्छे लोग ढूंढ़ने में काफी मुश्किलें आ रही हैं. ज्यादातर कमी नर्सों, फार्मासिस्टों और लैब टेक्नीशियन्स की है.

जैकब कहती हैं, "हम वैश्विक स्तर पर यह ट्रेंड देख रहे हैं. दक्षिण अफ्रीकी लोग चाहते हैं कि उन्हें काम करने का अंतरराष्ट्रीय अनुभव मिले, बाहर अच्छे पैसे भी हैं और अच्छे मौके भी हैं. कई ऐसे देश हैं जो पासपोर्ट के लिए आवेदन के विकल्प की भी पेशकश करते हैं जिसकी वजह से बाहर जाकर बसने के मौके भी मिलते हैं."

डीडब्ल्यू से बातचीत में जैकब कहती हैं कि हालांकि इसके कुछ नुकसान भी हैं, "दक्षिण अफ्रीका में मेडिकल क्षेत्र में कुछ अच्छे विश्वविद्यालय हैं और वहां बेहतरीन कोर्सेज भी हैं. विदेशों से भी छात्र यहां सीखने आते हैं और उन्हें यहां भी अच्छे अवसरों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इन प्रयासों के जरिए तकनीकी प्रतिभा के पलायन को रोका जा सकता है."

लेकिन मौजूदा समय में उत्प्रवास की प्रवृत्ति बढ़ रही है और स्वास्थ्य क्षेत्र में इसका बड़ा प्रभाव पड़ रहा है. उदाहरण के लिए यूनाइटेड किंगडम ने पेशेवर स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चुनिंदा वीजा आवश्यकताओं में ढील दी है. जैकब कहती हैं, "यह आकर्षक है और इसकी वजह से दक्षिण अफ्रीकी लोगों पर देश छोड़ने का दबाव बन रहा है. कनाडा ने भी स्नातक छात्रों के लिए अपने यहां प्रवेश के रास्तों को आसान बनाया है."

उत्प्रवास के खिलाफ कानून का उपयोग

पड़ोसी देश जिम्बाब्वे में यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पसंदीदा देशों में हैं. महामारी के समय में ज्यादा काम का दबाव और खराब कामकाजी परिस्थितियों ने हाल के दिनों में स्वास्थ्य क्षेत्र के श्रमिकों को हड़ताल करने के लिए भी प्रेरित किया है.

बार-बार विरोध प्रदर्शन तेज हो जाते हैं. मार्च 2020 में जब पुलिस ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी और कम वेतन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को गिरफ्तार किया, तब यह स्थिति देखने को मिली.

ब्रेन ड्रेन यानी प्रतिभा पलायन हालांकि कोई नई बात नहीं है लेकिन डीडब्ल्यू संवाददाता प्रिविलेज मुसवानहिरी का कहना है कि जिम्बाब्वे के स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए देश छोड़ना कठिन हो गया है. मुसवानहिरी कहते हैं कि मौजूदा सरकार भी लालफीताशाही के जरिए लोगों को बाहर जाने से रोकने की कोशिश कर रही है.

मुसवानहिरी के मुताबिक, "यहां एक कानून पारित किया गया है कि डॉक्टर या नर्स जो बाहर जाना चाहते हैं, उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय से मंजूरी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करना होगा. जिन लोगों ने हड़ताल में भाग लिया होगा, उन डॉक्टरों को क्लियरेंस सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा."

एक बार फिर नाइजीरिया में प्राइवेट क्लिनिक सेंट डिवाइन ग्लोरी की ओर लौटते हैं. रहिमोत की पोती का जन्म हो चुका है, वो भी बिना किसी दिक्कत के. रहिमोत अपने परिवार के सबसे छोटे सदस्य को हाथ में उठाकर बड़ी खुशी से कहती हैं, "लड़की हुई है."

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