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अब्दुल्लाह के राम भजन में मजा आ गया

१४ नवम्बर २०१०

फारुक अब्दुल्लाह और राम भजन...यही बात कम हैरतअंगेज नहीं है. लेकिन जिस खूबसूरती से और जिस तरह डूबकर अब्दुल्लाह ने उस राम भजन को गाया, वह भी कम हैरान कर देने वाली बात नहीं थी. उन्हें इस रूप में तो कभी देखा ही नहीं गया.

तस्वीर: UNI

केंद्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्लाह जब कश्मीर घाटी की किसी रैली में अपने खांटी देसी अंदाज में भाषण देते हैं तो लोग अंदाजा लगाने लगते हैं कि इसमें वह कौन सी राजनीतिक चाल खेल कर किसे मात देना चाहते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के रामपुर में जब वह राम के भजन गा रहे थे तो उनकी भावना और डूब कर गाया उनका भजन लोगों को कुछ और सोचने का मौका ही नहीं दे रहा था.

कहने वाले कहेंगे ही कि यह भी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला की कोई राजनीतिक चाल ही होगी, लेकिन भगवा पहने साधू संन्यासियों से घिरे फारुक अब्दुल्ला ने पालथी मारकर और आंखें बंद करके जो राम भजन गाया तो लोग बस झूम उठे.

वन वन ढूंढा, घर घर ढूंढा..नहीं मिले मोरे राम गाने के बाद उन्होंने ओ रे राम पर आलाप खींचा तो लगा कि हिमालय की वादियों में राम की खोज में भटकता कोई बैरागी कहीं से आ गया है. और फिर अब्दुल्ला ने गाया...तेरा घर नहीं मिलता, हम जाएं तो जाएं कहां...तब क्या हिंदू क्या मुसलमान, सब भक्ति के रस से भीग गए.

अब्दुल्ला उत्तर प्रदेश के रामपुर से 50 किलोमीटर दूर चंबल कस्बे में वार्षिक कल्कि यज्ञ महोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे थे. उत्सव में जाने उन पर क्या धुन सवार हुई कि राम भजन गाने लगे. और लोगों को तो मजा ही आ गया.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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