अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद अब व्हाइट हाउस के कई अधिकारियों और अमेरिकी सेनाओं में भी कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ रहा है.
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अमेरिकी कोस्ट गार्ड के दूसरे नंबर के अधिकारी भी कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं. उन्होंने पिछले सप्ताह पेंटागन में एक उच्च स्तरीय बैठक में हिस्सा लिया था इसलिए सेना के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने भी लगभग पूरी तरह से खुद को क्वारंटाइन कर लिया है. नाम ना बताने की शर्त पर अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने जोर दे कर कहा कि कोस्ट गार्ड के वाइस कमांडेंट एडमिरल चार्ल्स रे के अलावा सेना के उच्च अधिकारियों में सभी अभी तक नेगेटिव ही हैं और अपना अपना कार्य संभाले हुए हैं.
लेकिन इस तथ्य के उजागर होने से सरकार के सबसे ऊंचे स्तर पर संचालन को लेकर अनिश्चितता का माहौल गहरा रहा है. व्हाइट हाउस का कहना है कि वॉशिंगटन में अधिकारियों के बीच संक्रमण के मामलों के बढ़ने से सरकार के काम में कोई बाधा नहीं आई है.
डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व वाली हाउस आर्म्ड सर्विसेज समिति के अध्यक्ष एडम स्मिथ ने ट्रंप को निशाना बनाते हुए एक रूखा बयान जारी किया और चेतावनी दी कि अमेरिका के "शत्रु हमेशा ऐसी कमजोरी की तलाश में रहते हैं जिसका वे फायदा उठा पाएं." स्मिथ ने यह भी कहा, "हालांकि हमारी सेना नेतृत्व के क्वारंटाइन होने के बावजूद भी अपना काम कर सकती है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति की लापरवाही के मायनों के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है."
पेंटागन के प्रवक्ता जॉनाथन हॉफमन ने एक बयान में कहा कि एडमिरल रे पेंटागन की बैठकों में जिस जिस के उनसे संपर्क में आने की संभावना थी उन सब की मंगलवार सुबह जांच की गई और उनमें से किसी में भी बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे. उन्होंने कहा, "हमारे पास इस समय और कोई भी पॉजिटिव जांच की जानकारी नहीं है. अमेरिका की सेनाओं की तैयारी और क्षमताओं में कोई भी बदलाव नहीं आया है."
रे पिछले सप्ताह सेना के कई उच्च अधिकारियों से मिले थे, जिनमें जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिली से मिले थे, जो ट्रंप के सर्वोच्च सैन्य सलाहकार भी हैं. अधिकारियों ने बताया कि मिली ने खुद को अलग थलग कर लिया है. उनके अलावा जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के उपाध्यक्ष और थल सेना, नौ सेना, वायु सेना और अंतरिक्ष सेना के प्रमुखों ने भी खुद को अलग थलग कर लिया है.
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड और यूएस साइबर कमांड के प्रमुख जनरल पॉल नकासोने और नेशनल गार्ड के प्रमुख भी रे से हाल ही में मिले थे. दो अधिकारियों ने बताया कि मरीन कोर के कमांडेंट जनरल डेविड बर्गर रे से नहीं मिले थे और उनकी जगह सहायक कमांडेंट जनरल गैरी थॉमस ने बैठक में हिस्सा लिया था. मरीन कोर ने इस बात की पुष्टि की कि बर्गर पिछले सप्ताह यात्रा कर रहे थे, लेकिन इसके आगे और कुछ बताने से इनकार कर दिया. बर्गर शायद किसी भी सैन्य सेवा के प्रमुखों में से एकलौते ऐसे हैं जिन्हें खुद को अलग थलग करने की जरूरत नहीं है.
लोगों की नजरें इस वक्त कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर टिकी हुईं हैं. कई देशों में इस वक्त कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. रूस, अमेरिका, चीन और भारत में तेजी से काम हो रहा है. जानिए कहां-कहां वैक्सीन पर काम चल रहा है.
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वैक्सीन पर नजर
भारत में केंद्र सरकार हर एक व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी में जुटी हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के मुताबिक जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है. इसके लिए वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज हासिल करने की योजना है.
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भारत में वैक्सीन की रेस
इस वक्त भारत में दो वैक्सीन पर काम चल रहा है. दोनों ही वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में हैं. एक वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक बना रही है और दूसरी वैक्सीन पर जाइडस कैडिला काम कर रही है. अगर ट्रायल सही तरीके से चलता है तो अगले साल तक भारत में यह वैक्सीन उपलब्ध होगी.
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अमेरिका में वैक्सीन कब
चुनाव के प्रचार के दौरान डॉनल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि नवंबर तक अमेरिका में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. हाल ही में उन्होंने कहा था कि अगले साल अप्रैल तक देश की पूरी आबादी के लिए पर्याप्त टीका उपलब्ध होगा. इस बीच अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना के टीके के फेज 1 के नतीजे सकारात्मक आए हैं. कंपनी अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर टीका बना रही है.
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एस्ट्राजेनेका से उम्मीद ज्यादा !
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मिलकर कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रही है. लेकिन पिछले दिनों ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति बीमार हो गया था जिसके बाद परीक्षण को रोक दिया गया था. एक हफ्ते तक ट्रायल रोकने के बाद उसे दोबारा शुरू कर दिया गया था.
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जर्मन कंपनी का टीका
जर्मनी की बायोएनटेक ने न्यूयॉर्क स्थित फाइजर के साथ टीका बनाने को लेकर करार किया है. कंपनी एक ऐसी वैक्सीन पर काम कर रही है जिसमें दो खुराक दी जाएगी. कंपनियों ने कहा है कि अगर ट्रायल सफल रहा तो अक्टूबर के आखिरी तक सरकार से मंजूरी ली जा सकती है. कंपनी का कहना है कि अगर वैक्सीन सफल होती है तो अगले साल के अंत तक 1.3 अरब टीके तैयार हो जाएंगे.
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चीन की वैक्सीन कहां पहुंची
चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला और इसके बाद देश दावा करता आ रहा है कि वह भी तेज गति से कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रहा है. चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है.
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रूस की स्पुतनिक-5 वैक्सीन
11 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान कर सबको चौंका दिया कि रूस कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने वाला पहला देश बन गया है. वैक्सीन को स्पुतनिक-5 नाम दिया गया और तीसरे चरण के ट्रायल के बिना ही इसे मंजूरी मिल गई. विशेषज्ञों ने ऐसे कदम की आलोचना भी की.