अब एडिटर बनना चाहते हैं आमिर खान
७ जुलाई २०११![Bollywood actor Aamir Khan gestures during a press conference to promote his new film ‘Three Idiots’ in New Delhi, India, Wednesday, Nov. 25, 2009. The film is about three students and their struggle to survive amidst the pressure of college life. (AP Photo/Manish Swarup)](https://static.dw.com/image/5076863_800.webp)
एडिटिंग के बारे में अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए समाचार एजेंसी पीटीआई से आमिर ने कहा, "मैंने अभिनय, फिल्म निर्माण और निर्देशन किया है और पटकथा भी लिखी है. मुझे एडिटिंग करना बहुत पसंद है. मैंने कुछ निर्देशकों के साथ एक फिल्म की एडिटिंग पर काम किया है. लेकिन मैंने अकेले कभी एडिटिंग नहीं की. मैंने खुद कभी फिल्म को काटा नहीं, लेकिन अब मैं यह करना चाहता हूं." कम ही लोगों को यह बात पता होगी कि आमिर कयामत से कयामत तक और हम हैं राही प्यार के जैसी फिल्मों की पटकथा के सहलेखक हैं.
आमिर एक नई स्क्रिप्ट भी लिख रहे हैं. इस बारे में आमिर ने बताया, "मैं लेखक बनना चाहता हूं. मैं किरण, मंसूर और नुझात के साथ मिलकर एक स्क्रिप्ट लिख रहा हूं. यह मेरा ही आइडिया है, जिसकी मैंने उन सबके साथ चर्चा की. यह एक में स्ट्रीम फिल्म की स्क्रिप्ट है. लेकिन अभी यह बहुत शुरुआती दौर में है, इसलिए मैं ज्यादा कुछ कह नहीं सकता." "अगर अगले चार पांच महीनों में स्क्रिप्ट पूरी हो जाती है तो मैं और छह महीने बाद इस बारे में कुछ कह सकूंगा. मैं उम्मीद करता हूं कि धूम3 के खत्म होने के बाद हम इस पर काम करना शुरू कर सकते हैं."
जब आमिर से यह पूछा गया कि क्या वह फिल्म में गाना भा गाएंगे तो उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से मैं एक बहुत ही बुरा गायक हूं. मैंने एक गाना गया है जो मुझे लगता है कि ठीक ठाक था. लोगों को लगता है कि मैं बहुत अच्छा गाता हूं. तो उन्हें ऐसा सोचने दो." आमिर ने फिल्म गुलाम में आती क्या खंडाला गाया था.
आमिर ने अपने करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की. 1973 में पहली बार वह यादों की बारात में नजर आए. हीरो के तौर पर इंडस्ट्री में उनकी एंट्री हुई 1988 में कयामत से कयामत तक के साथ हुई. 2001 में लगान फिल्म ने उन्हें निर्माता भी बना दिया. लगान को ऑस्कर के लिए भी नामांकित किया गया. इसके बाद उनके प्रोडक्शन हाउस ने 2008 में जाने तू या जाने ना, 2010 में पीपली लाइव और धोबी घाट और इसके बाद 2011 में डेल्ही बेली बनाई.
रिपोर्टः पीटीआई/ ईशा भाटिया
संपादनः आभा एम