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अब चार्ली चैपलिन का एनीमेटेड अवतार

३० जून २०१२

महान कॉमेडियन और फिल्म निर्माता चार्ली चैपलिन टीवी स्क्रीन पर एक बार फिर जिंदा होंगे. इस बार वह कार्टून की शक्ल लेंगे. कार्टून चैनल पोगो भारत में चार्ली चैपलिन का एनीमेटेड अवतार ला रहा है जो बॉस का बाजा बजाएगा.

तस्वीर: picture-alliance / United Archives/TopFoto

बच्चों के चैनल पोगो पर जल्द ही चार्ली चैपलिन अपनी परम्परागत मूंछों, छड़ी और हैट के साथ कूदते-फांदते और मुश्किलों में उलझते सुलझते दिखाई पड़ेंगे. असली चार्ली चैपलिन के दौर में कठिनाइयां अलग थीं, अब मुश्किलें दूसरी हैं. एनीमेटेड शो में चार्ली वर्तमान चुनौतियों से लड़ेंगे. वह दफ्तर में दुखी करने वाले बॉस, बातूनी और निकम्मे पड़ोसी और चिढ़नखोर पुलिसवालों से निपटेंगे.

टर्नर इंटरनेशनल इंडिया के दक्षिण एशिया विभाग की अधिकारी मोनिका टाटा के मुताबिक, "दुनिया के सबसे बड़े कॉमेडी प्रतीक चार्ली चैपलिन पर आधारित एक शो लॉन्च करने से हमें उम्मीद है कि हम बच्चों ही नहीं बल्कि व्यस्कों को भी हंसा सकेंगे." कंपनी को उम्मीद है कि चार्ली चैपलिन की फिल्में देखकर जवान हुए लोग भी उनके दर्शक बनेंगे.

मशीनी दुनियातस्वीर: picture-alliance/dpa

कौन थे चार्ली चैपलिन

सर चार्ल्स स्पेंसर 'चार्ली' चैपलिन को मूक फिल्मों के दौर का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता, एक्टर और कॉमेडियन माना जाता है. चार्ली चैपलिन के जन्म के बारे में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है. लेकिन कहा जाता है कि उनका जन्म 16 अप्रैल 1889 को लंदन में हुआ. कॉमेडी के जरिए पूरी दुनिया को लोट पोट कर देने वाले चैपलिन का बचपन बहुत मुश्किलों में गुजरा. उनकी मां को मनोचिकित्सा केंद्र जाना पड़ा. चैपलिन की उम्र तब नौ साल थी. मां से बेहद प्यार करने वाला बच्चा इस बदलाव से क्षुब्ध हो उठा. मन मारकर उन्हें अपने भाई के साथ पिता के पास जाना पड़ा. खूब शराब पीने वाले पिता की भी दो साल बाद मौत हो गई.

13 साल में तमाम दुखों को दबाते हुए वह स्टेज शो करने लगे. स्टेज शो में उन्हें मसखरे की भूमिका मिलती. लेकिन इससे मिले पैसे वह अपनी मां को मनोचिकित्सा केंद्र से बाहर निकालने के लिए जमा करते रहे. कई दिनों तक वह अकेले खाना और पैसा जुटाने के लिए भटकते. 1928 में जब मां की मौत हुई तो चैपलिन ने कहा, "अपनी मां को बुरे भाग्य से बचाने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं था जो हम कर सकते थे."

मूक फिल्म द किड मेंतस्वीर: AP

चैपलिन डांस या छोटे मोटे रोल कर अपनी आजीविका चलाते रहे. लेकिन 1908 में एक कॉमेडी कंपनी के शो में एक छोटे से रोल ने लंदन में और ब्रिटेन में उन्हें मशहूर कर दिया. इसके बाद तो उन्हें कई शो और फिल्में मिली. इस दौरान अमेरिकी फिल्म निर्माताओं की उन पर नजर पड़ी. हालांकि शुरुआत में वह अमेरिकी जनता को हंसाने में बहुत कामयाब नहीं रहे. उनकी पहली फिल्म 'मेकिंग ए लिविंग' ज्यादा नहीं चली. 1914 में एक अमेरिकी फिल्म निर्माता को उम्रदराज कॉमेडियन की जरूरत पड़ी. तब 24 साल के चार्ली चैपलिन ने कहा, "मैं उतना बूढ़ा बन सकता हूं जितना आप चाहते हैं." प्रस्ताव खारिज हो गया.

चल पड़ा जादू

थक हार चैपलिन ने इसके बाद माबेल नॉरमार्ड की फिल्म 'माबेल्स स्ट्रेंज प्रीडिकामेन्ट' स्वीकार कर ली. बस यहीं से उनका जादू चल निकला. ब्रिटेन का एक नौजवान कॉमेडी का बादशाह बन गया. 1916 आते आते वह सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कॉमेडियन बन गए. पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब मानवता कराह रही थी तब 26 भाषाओं में चैपलिन की फिल्में लोगों को कुछ देर गम भुलाने में मदद कर रही थी. यह सिलसिला 1967 तक जारी रहा. उन्होंने दर्जनों फिल्मों की कहानी लिखी, उनमें अदाकारी की, उन्हें निर्देशित किया. वॉयलिन, पियानो और चेलो बजाने वाले चैपलिन ने कई फिल्मों में संगीत भी खुद दिया.

इस दौरान चैपलिन सात महिलाओं के प्यार में रहे, चार से उन्होंने शादी की और 12 बच्चे हुए. दिसंबर 1977 में स्विटजरलैंड में नींद के दौरान उनकी मौत हो गई. बहुत कम लोगों के बीच बेहद सादगी से उनका अंतिम संस्कार हुआ. चैपलिन की यही इच्छा थी. हालांकि मौत के दो महीने बाद ही कब्र खोदकर उनके ताबूत को चुरा लिया गया. चोर चैपलिन के बच्चों से पैसा ऐंठना चाहते थे. हालांकि पुलिस ने कुछ ही दिनों बाद ताबूत बरामद कर लिया.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई, एपी)

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