मिला नया डायनोसोर
१८ मई २०१४वैसे तो इस डायनोसोर की हड्डियां एक साल पहले ही एक किसान को देश के दक्षिणी हिस्से में मिली थी. लेकिन मिले हुए अवशेषों की जांच पूरी नहीं हुई थी. अब एगिडियो फेरुग्लियो म्यूजियम के प्रमुख रुबेन कुनेओ ने इस विशाल जीव के बारे में जानकारी दी है. उनका कहना है कि अश्मीभूत यानी फॉसिल बन चुकी ये हड्डियां दुनिया के सबसे बड़े और भारी डायनोसोर की हैं. पैटागोनिया में मिला ये जीवाश्म डायनोसोर के सॉरोपोड ग्रुप का है.
मैमोनिडेस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता पाब्लो गायिना ने बताया, "यह सरप्राइज था क्योंकि पहले अवशेष बहुत ही नष्ट हो चुके थे. हमने उनके बारे में ज्यादा नहीं सोचा. लेकिन प्रयोगशाला में हड्डियों को पत्थरों से अलग करते हुए हमने पाया कि वे डिप्लोडोसिड की हड्डियां थीं जिनके दक्षिण अमेरिका में होने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था.
गायिना की टीम ने कहा कि ये जीवाश्म दिखाते हैं कि डिप्लोडोसिड दक्षिण अमेरिका में शुरुआती क्रैटेशियस दौर में घूमते थे. लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके बाद ये विलुप्त हो गए. ऐसा लगता है कि इसी ग्रुप के कुछ डायनोसोर महाद्वीपों के टूटने से पहले पैदा हुए.
नई प्रजाति
प्लोस वन नाम के जर्नल में छपे शोध के मुताबिक जो आठ कशेरुकी (रीढ़ की हड्डी वाले) डायनोसोर मिले हैं वे नई प्रजाति लाइनकुपल लैटिकुआडा के हैं.
लंदन यूनिवर्सिटी कॉलेज के पैलियोबायोलॉजिस्ट कहते हैं कि यह शोध संकेत देता है कि सभी डिप्लोडोसिड 14 करोड़ साल पहले, जुरासिक पीरियड के खत्म होने के साथ विलुप्त नहीं हुए, "यहां इसका सबूत है कि एक या दो ग्रुप बचे रहे गए. सब कुछ खत्म नहीं हुआ. जो भी विनाशकारी था, वह इन्हें पूरी तरह खत्म नहीं कर सका."
इस जीवाश्म से दुनिया भर के वैज्ञानिक चकित हैं. पेनसिल्वेनिया के एलॉयसियस कॉलेज के जीवाश्म विशेषज्ञ जॉन व्हिटलॉक ने इस खोज को एक मौका बताया है, जिसके जरिए दक्षिण अमेरिका में डायनोसोर के फैलाव पर अभी तक की जानकारी का विश्लेषण किया जा सकता है.
इतना ही नहीं व्हिटलॉक ने कहा कि आज का समाज भी जीवाश्मिकी से कुछ फायदा उठा सकता है, "जैसे ही मौसम बदला डायनोसोर अपना इलाका छोड़ कर दूसरी जगह चले गए. इसलिए उस समय के जीवों के बारे में मिली जानकारी हमारे जीवन पर भी प्रभाव डालती है."
एएम/आईबी (एपी, रॉयटर्स)