भारत के लगभग 59 फीसदी इलाके भूकंप के प्रति संवेदनशील हैं. संवेदनशील इलाकों के ताजा नक्शे में यह खुलासा किया गया है. नक्शे में संवेदनशीलता के लिहाज से पूरे देश को चार हिस्सों में बांटा गया है.
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नक्शे को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) और बिल्डिंग मैटीरियल्स एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन काउंसिल (बीएमटीपीसी) ने मिल कर तैयार किया है. यह नक्शा शीघ्र ही मोबाइल फोन के ऐप के तौर पर भी उपलब्ध होगा. इससे लोग जान सकेंगे कि उनके घर या दफ्तर पर भूकंप का कितना खतरा है. इससे खासकर भूकंप के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील पूर्वोत्तर भारत में आम लोगों को बचाव की योजना बनाने में काफी सहायता मिलेगी.
नक्शे का फायदा
इस नक्शे में संवेदनशील इलाकों को कलर कोड के जरिए दर्शाया गया है. इसमें ब्लॉक स्तर तक का ब्योरा है. केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने नक्शे को जारी करने के मौके पर कहा, "नक्शे को शीघ्र डिजिटल रूप में पेश किया जाएगा और इसका मोबाइल ऐप लांच किया जाएगा. इससे हर व्यक्ति को फायदा होगा." उन्होंने कहा कि इससे योजना बनाने वालों को तो मदद मिलेगी ही, आम लोगों को यह दिशानिर्देश भी मिल सकेगा कि भूकंप की स्थिति में ऐहतियाती कदम कैसे उठाए जाएं.
इस नक्शे से जिला प्रशासन को भी जिले के सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों का पता लगाने में सहूलियत होगी. इसके आधार पर बचाव के उपाय तय किए जा सकते हैं. इससे जहां भूकंप की स्थिति में नुकसान कम किया जा सकेगा वहीं एक चेतावनी प्रणाली भी लगाई जा सकेगी. जिला प्रशासन इसके आधार पर संबंधित इलाकों में होने वाले नए निर्माण को भूकंपरोधी बनाने के लिए नए नियम बना सकता है.
चारजोन में देश
नक्शे में संवेदनशीलता के लिहाज से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है. जोन-2 में शामिल इलाकों में भूकंप की स्थिति में सबसे कम नुकसान होने का अंदेशा है और जोन-5 में शामिल इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान का. बीएमटीपीसी के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर शैलेश अग्रवाल ने बताया, "इससे लोगों को यह पता चल जाएगा कि उनका इलाका भूकंप के प्रति संवेदनशील है या नहीं. ऐसे में वह मकान बनाते समय उसे भूकंपरोधी बनाने के लिए जरूरी सामग्री का इस्तेमाल कर सकते हैं."
अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंप
भूकंप, सबसे जानलेवा प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं. पृथ्वी के भीतर होने वाली ये शक्तिशाली भूगर्भीय हलचल अब तक करोड़ों लोगों की जान ले चुकी है. एक नजर, अब तक के सबसे जानलेवा भूकंपों पर.
तस्वीर: Reuters
शांशी, 1556
चीन के शांशी प्रांत में 1556 में आए भूकंप को मानव इतिहास का सबसे जानलेवा भूकंप कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक रिक्टर स्केल पर करीब 8 तीव्रता वाले उस भूकंप से कई जगहों पर जमीन फट गई. कई जगह भूस्खलन हुए. भूकंप ने 8,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
तांगशान, 1976
चीन की राजधानी बीजिंग से करीब 100 किलोमीटर दूर तांगशान में आए भूकंप ने 2,55,000 लोगों की जान ली. गैर आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक मृतकों की संख्या 6 लाख से ज्यादा थी. 7.5 तीव्रता वाले उस भूकंप ने बीजिंग तक अपना असर दिखाया.
तस्वीर: picture alliance / dpa
हिंद महासागर, 2004
दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता वाले भूकंप ने इंडोनेशिया में खासी तबाही मचाई. भूकंप ने 23,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकाली. इससे उठी सुनामी लहरों ने भारत, श्रीलंका, थाइलैंड और इंडोनेशिया में जान माल को काफी नुकसान पहुंचाया. सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया के सुमात्रा द्पीव में हुआ. कुल मिलाकर इस आपदा ने 2,27,898 लोगों की जान ली. 17 लाख लोग विस्थापित हुए.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
अलेप्पो, 1138
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक सीरिया में आए उस भूकंप ने अलेप्पो को पूरी तरह झकझोर दिया. किले की दीवारें और चट्टानें जमींदोज हो गईं. अलेप्पो के आस पास के छोटे कस्बे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए. अनुमान लगाया जाता है कि उस भूकंप ने 2,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters/Hosam Katan
हैती, 2010
रिक्टर पैमाने पर 7 तीव्रता वाले भूकंप ने 2,22,570 को अपना निवाला बनाया. एक लाख घर तबाह हुए. 13 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. हैती आज भी पुर्नर्निमाण में जुटा है.
तस्वीर: A.Shelley/Getty Images
दमघान, 856
कभी दमघान ईरान की राजधानी हुआ करती थी. ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक करीब 12 शताब्दी पहले दमघान शहर के नीचे से एक शक्तिशाली भूकंप उठा. भूकंप ने राजधानी और उसके आस पास के इलाकों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. मृतकों की संख्या 2 लाख आंकी गई.
तस्वीर: Reuters
हैयुआन, 1920
चीन में आए करीब 7.8 तीव्रता वाले भूकंप के झटके हजारों किलोमीटर दूर नॉर्वे तक महसूस किये गए. भूकंप ने हैयुआन प्रांत में 2 लाख लोगों की जान ली. पड़ोसी प्रांत शीजी में भूस्खलन से एक बड़ा गांव दफन हो गया. लोगंदे और हुइनिंग जैसे बड़े शहरों के करीब सभी मकान ध्वस्त हो गए. भूकंप ने कुछ नदियों को रोक दिया और कुछ का रास्ता हमेशा के लिए बदल दिया.
तस्वीर: Reuters
अर्दाबिल, 893
ईरान में दमघान के भूकंप की सिहरन खत्म भी नहीं हुई थी कि 37 साल बाद एक और बड़ा भूकंप आया. इसने पश्चिमोत्तर ईरान के सबसे बड़े शहर अर्दाबिल को अपनी चपेट में लिया. करीब 1,50,000 लोग मारे गए. 1997 में एक बार इस इलाके में एक और शक्तिशाली भूकंप आया.
तस्वीर: AP Graphics
कांतो, 1923
7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने टोक्यो और योकोहामा इलाके में भारी तबाही मचाई. पौने चार लाख से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा. इसे ग्रेट टोक्यो अर्थक्वेक भी कहा जाता है. भूकंप के बाद चार मीटर ऊंची सुनामी लहरें आई. आपदा ने 1,43,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
अस्गाबाद, 1948
पांच अक्टूबर 1948 को तुर्कमेनिस्तान का अस्गाबाद इलाका शक्तिशाली भूकंप की चपेट में आया. 7.3 तीव्रता वाले जलजले ने अस्गाबाद और उसके आस पास के गांवों को भारी नुकसान पहुंचाया. कई रेलगाड़ियां भी हादसे का शिकार हुईं. भूकंप ने 1,10,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Siamak Ebrahimi
कश्मीर, 2005
भारत और पाकिस्तान के विवादित इलाके कश्मीर में 7.6 तीव्रता वाले भूकंप ने कम से कम 88 हजार लोगों की जान ली. सुबह सुबह आए इस भूकंप के झटके भारत, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन तक महसूस किए गए. पाकिस्तान में करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई. भारत में 1,350 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Mahmood
सिंचुआन, 2008
87,000 से ज्यादा लोगों की जान गई. करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए. 7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने 10,000 स्कूली बच्चों की भी जान ली. चीन सरकार के मुताबिक भूकंप से करीब 86 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
तस्वीर: Reuters
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ऐसा एक नक्शा पहले भी था, लेकिन नए नक्शे की खासियत यह है कि इसमें पहली बार जिला व ब्लॉक स्तर की संवेदनशीलता को दर्शाया गया है. फिलहाल यह नक्शा बीएमपीटीसी और एनडीएमए की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसे जल्दी ही देश के हर जिलों में बांटा जाएगा.
जोन-2 और 3 में मध्यभारत के हिस्से शामिल हैं. जोन-4 में गुजरात, उत्तर प्रदेश व दिल्ली के अलावा लगभग पूरी कश्मीर घाटी को शामिल किया गया है. सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों यानी जोन-5 में पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा कश्मीर के कुछ हिस्सों, नेपाल से सटे पश्चिम बंगाल व बिहार के सीमावर्ती इलाकों और गुजरात के भुज इलाके को रखा गया है. नायडू का कहना है कि अब इस नक्शे की सहायता से भूकंप के बाद महज सहायता के लिए सरकार व गैरसरकारी संगठनों का मुंह ताकने की बजाए संबंधित इलाके के लोग समय रहते खुद ही भूकंप से बचाव के लिए ऐहतियाती उपाय कर सकते हैं.
भूकंप: सात सबसे खतरनाक जगहें
नेपाल में भूकंप के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस तरह के और भी झटके महसूस किए जा सकते हैं. नेपाल दुनिया की उन जगहों में से एक है जहां भूकंप और उसके कारण तबाही का खतरा सबसे ज्यादा है.
तस्वीर: Reuters/N. Chitrakar
धरती के नीचे हरकत
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टॉनिक प्लेटों से मिल कर बनी है. जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है. नेपाल में यूरेशियन प्लेट और इंडियन प्लेट एक दूसरे पर दबाव डालती हैं. शनिवार को इसी के जमीन खिसकी और भूकंप आया. एक नजर दुनिया की सात सबसे खतरनाक जगहों पर.
नेपाल, भक्तपुर
इसे काठमांडू घाटी का सबसे अहम शहर माना जाता रहा है. क्षेत्रफल के हिसाब से भी यह घाटी का सबसे बड़ा शहर रहा है और मुख्य सांस्कृतिक केंद्र भी. किसी जमाने में यही नेपाल की राजधानी हुआ करती थी. भूकंप से पहले की तस्वीर.
तस्वीर: picture alliance/landov
नेपाल, भक्तपुर
हाल ही में आए भूकंप से यहां सबसे ज्यादा तबाही मची है. 10,000 लोगों के मारे जाने की आशंका है. अगला भूकंप कब आएगा, कहना मुश्किल है. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
जापान, फुकुशिमा
नेपाल से कुछ 5,000 किलोमीटर दूर स्थित जापान 2011 में इसी तरह के अनुभव से गुजर चुका है. देश की अब तक की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा में 18,000 से ज्यादा लोगों की जान गयी. फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को भी बंद करना पड़ा. हाल के समय की तस्वीर.
तस्वीर: AFP/Getty Images/JIJI Press
जापान, फुकुशिमा
भूकंप से बचाव की नीति में जापान दुनिया में सबसे आगे है. वहां भूकंप को ध्यान में रख कर घर बनाए जाते हैं. लेकिन भूकंप से उठी सूनामी लहरों ने भारी तबाही मचाई. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हिन्द महासागर, अंडमान
भारतीय द्वीप अंडमान ठीक उस जगह पर स्थित है जहां इंडोऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेटें आपस में टकराती हैं. ऐसे में भूकंप और उससे उठने वाले सूनामी का खतरा बना रहता है. हाल के समय की तस्वीर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हिन्द महासागर, अंडमान
भारत समेत बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया के तटवर्ती इलाकों में यह खतरा मंडराता रहता है. 26 दिसंबर 2004 को सुमात्रा के भूकंप से उठे सूनामी ने 2,30,000 लोगों की जान ली. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: AFP/Getty Images/Choo Youn Kong
चीन, युन्नान
दक्षिण पश्चिमी चीन में स्थित युन्नान प्रांत अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जितना जाना जाता है उतना ही भूकंप के लिए भी. यह प्रांत इंडोऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेटों की उत्तरी सीमा पर स्थित है. भूकंप से पहले की तस्वीर.
तस्वीर: picture alliance/ZUMA Press
चीन, युन्नान
2014 में यहां आए भूकंप से एक लाख लोग बेघर हो गए. इससे पहले 2008 में सिचुआन प्रांत में भूकंप के कारण 70,000 लोगों की जान गयी. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: Reuters
इटली, लाक्वीला
2009 में इटली में आए भूकंप में 300 लोगों की जान गयी और 10,000 से ज्यादा बेघर हुए. भूकंप के बाद सरकार ने सात भूवैज्ञानिकों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए क्योंकि उन्होंने वक्त रहते भूकंप की चेतावनी जारी नहीं की. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: picture alliance/INFOPHOTO
इटली, लाक्वीला
गिरफ्तारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इटली की कड़ी आलोचना हुई. वैज्ञानिक जगत इस बात पर सहमत है कि भूकंप का सही पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. भूकंप से पहले की तस्वीर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Barone
अमेरिका, सैन फ्रैंसिस्को
1906 में कैलिफोर्निया राज्य के इस शहर में जो भूकंप आया उसे अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है. 3,000 लोग मारे गए और पूरा शहर तबाह हो गया. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
अमेरिका, सैन फ्रैंसिस्को
इस जगह नॉर्थ अमेरिकन प्लेट पैसिफिक प्लेट के नीचे खिसक रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस हलचल के कारण आने वाले समय में बहुत भयानक भूकंप का सामना करना पड़ सकता है. हाल के समय की तस्वीर.
तस्वीर: DW
चिली, वाल्दीविया
9.5 की तीव्रता के साथ 1960 में अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप चिली के तट पर अनुभव किया गया. इसमें 1,700 लोग मारे गए और लाखों बेघर हुए. भूकंप के बाद की तस्वीर.
तस्वीर: AP
चिली, वाल्दीविया
वैज्ञानिकों का कहना है कि चिली की धरती काफी समय से स्थिर है. एक तरफ तो यह स्थानीय लोगों के लिए अच्छी खबर है पर दूसरी ओर वैज्ञानिक इसे इस बात का संकेत भी मानते हैं कि जब भी कभी यहां प्लेटें हिलेंगी तब बेहद तबाही मचेगी. हाल के समय की तस्वीर.