भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को देश भर में ऑफलाइन मोड में खुदरा डिजिटल भुगतान करने के लिए एक रूपरेखा पेश करने का प्रस्ताव रखा है.
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भारत में डिजिटल पेमेंट्स तेजी से बढ़ रहे हैं और मोबाइल ऐप के जरिए भी लोग छोटे-बड़े भुगतान कर रहे हैं. लेकिन कई बार इंटरनेट की वजह से डिजिटल भुगतान नहीं हो पाता है. अब भारतीय रिजर्व बैंक एक ऐसा ढांचा तैयार कर रहा है जिसके तहत ऑफलाइन डिजिटल पेमेंट मुमकिन होंगे. जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कम है या उपलब्ध नहीं है वहां भी ऑफलाइन मोड में डिजिटल लेनदेन किया जा सकेगा.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि ऑफलाइन मोड में डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करने वाली इस नई तकनीक का पायलट सफल रहा है और सीख से संकेत मिलता है कि इस तरह के समाधान पेश करने की गुंजाइश खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में है. 6 अगस्त 2020 को विकासात्मक और नियामक नीतियों पर आरबीआई के वक्तव्य ने नवीन प्रौद्योगिकी के पायलट परीक्षण करने के लिए एक योजना की घोषणा की थी जो उन स्थितियों जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कम है या उपलब्ध नहीं है तो ऑफलाइन मोड में भी खुदरा डिजिटल भुगतान को सक्षम बनाता है.
इंटरनेट की दुनिया में एक मिनट में क्या क्या होता है
एक मिनट में आप क्या क्या कर सकते हैं? एक छोटा सा ईमेल लिख सकते हैं? एक ऐप डाउनलोड कर सकते हैं? सोचिए अगर लाखों लोग एक साथ ये सब कर रहे हों तो एक मिनट में इंटरनेट की दुनिया में क्या क्या हो रहा होगा.
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ईमेल
एक मिनट में दुनिया भर में 18 करोड़ निजी और औपचारिक ईमेल भेजे जाते हैं. जीमेल के अलावा आउटलुक, याहू और एओएल भी काफी लोकप्रिय हैं.
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व्हाट्सऐप
एक मिनट में व्हाट्सऐप पर 4.1 करोड़ मेसेज भेजे जाते हैं. सबसे व्यस्त समय होता है नए साल की शाम जब पूरी दुनिया एक दूसरे को "हैपी न्यू ईयर" बोलना चाहती है.
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यूट्यूब
दुनिया के सबसे बड़े वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर हर मिनट 45 लाख वीडियो देखे जाते हैं. गाने सुनने के लिए भी लोग यूट्यूब का ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
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गूगल
इसके आगे दुनिया का कोई और सर्च इंजन कभी नहीं टिक पाया. हर मिनट गूगल पर 38 लाख सर्च किए जाते हैं और फिर भी गूगल का सर्वर क्रैश नहीं करता है.
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फेसबुक
हर मिनट फेसबुक पर 10 लाख लोग लॉगइन करते हैं. 60 सेकेंड में 10 लाख लॉगइन को संभालने के लिए सोचिए कितने बड़े सर्वर की जरूरत होती होगी.
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ट्विटर
एक मिनट में 87,500 ट्वीट होते हैं. ट्विटर को फेसबुक जितना सफल नहीं माना जाता लेकिन कुछ सामाजिक मुद्दों पर चले ट्विटर के हैशटैग आज भी इसे लोकप्रिय बना रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Burgi
इंस्टाग्राम
यहां हर मिनट अपलोड की जाने वाली तस्वीरों की संख्या है 3,47,222. तस्वीरें अपलोड करने वाला यह प्लैटफॉर्म भी 2012 से फेसबुक की ही प्रॉपर्टी है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/L. Bonaventure
ऐप स्टोर
गूगल प्ले और एप्पल ऐप स्टोर को मिला कर हर मिनट 3 लाख 90 हजार ऐप डाउनलोड किए जाते हैं. गाना सुनने से ले कर, खाना बनाने और शॉपिंग करने तक हर चीज के ऐप मौजूद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/7xim.gs
टिंडर
ऑनलाइन डेटिंग ऐप टिंडर पर हर मिनट 14 लाख स्वाइप होते हैं. यूजर को कोई पसंद आए तो भी स्वाइप करना है और ना आए तो भी स्वाइप ही तो करना है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Kraufmann
नेटफ्लिक्स
हर मिनट नेटफ्लिक्स पर कुल 6,94,444 घंटे के वीडियो देखे जाते हैं. 2016 में भारत में लॉन्च के बाद से नेटफ्लिक्स देश में तेजी से लोकप्रिय हुआ है.
तस्वीर: -picture alliance/dpa/A. Heinl
ऑनलाइन शॉपिंग
हर मिनट इंटरनेट की दुनिया में शॉपिंग पर करीब 10 लाख डॉलर खर्च किए जाते हैं. अमेरिका में एमेजॉन के बाद ईबे और वॉलमार्ट सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Pohl
स्नैपचैट
एक मिनट में इस ऐप पर 21 लाख स्नैप बनाए जाते हैं. युवाओं में बेहद लोकप्रिय स्नैपचैट में तरह तरह के फिल्टर होते हैं जिन्हें वे सेल्फी लेने के दौरान इस्तेमाल करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/MAXPPP/L. Tanguy
जिफी
यहां हर मिनट 48 लाख जिफ बनाए जाते हैं. पिछले दो सालों में जिफी काफी सफल होता दिखा है. लोग सोशल मीडिया पर जिफ पोस्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.
तस्वीर: giphy.com
वीचैट
चीन के मेसेजिंग ऐप वीचैट पर एक मिनट में 1.8 करोड़ मेसेज भेजे जाते हैं. चीन में गूगल, फेसबुक, व्हाट्सऐप इत्यादि के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Chen Weiming
ट्विच
एमेजॉन के लाइव स्ट्रीमिंग वीडियो प्लेटफॉर्म ट्विच पर हर मिनट 10 वीडियो देखे जाते हैं. इसका कई बार वीडियो गेम ट्यूटोरियल टूल के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/imagebroker
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सितंबर 2020 से जून 2021 की अवधि के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में इस योजना के तहत तीन पायलटों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया, जिसमें 1.16 करोड़ रुपये के मूल्य के 2.41 लाख की मात्रा को कवर करने वाले छोटे मूल्य के लेनदेन शामिल थे.
पायलट प्रोजेक्ट से मिले अनुभव और उत्साहजनक प्रतिक्रिया को देखते हुए, आरबीआई ने अब पूरे देश में ऑफलाइन मोड में खुदरा डिजिटल भुगतान करने के लिए एक रूपरेखा पेश करने का प्रस्ताव दिया था.
पिछले साल से ही कोरोना वायरस के दौरान देश में डिजिटल भुगतान में तेजी आई थी. लोग नोट संक्रमण से बचने के लिए यूपीआई या फिर बैंक कार्ड द्वारा भुगतान करना पसंद कर रहे हैं. बैंकों द्वारा भी डिजिटल पेमेंट पर तरह तरह के ऑफर दिए जाते हैं जिससे यह आकर्षक होता जा रहा है. यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवा देने वाले भी अपने ग्राहकों को कई तरह के कैशबैक और कूपन देते हैं.
गूगल और एप्पल प्ले स्टोर को चुनौती देते भारतीय प्ले स्टोर
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, 2019 में भारत में करीब 50 करोड़ स्मार्टफोन यूजर थे. स्मार्ट फोन का बाजार बड़ा है और साथ ही ऐप स्टोर का भी. गूगल और एप्पल को अब भारत से भी चुनौती मिल रही है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Cheung
ऐप स्टोर और कारोबार
गूगल और एप्पल पर अपने ऐप स्टोर पर एकाधिकार जमाने का आरोप लगता आया है. दरअसल ऐप स्टोर पर कई ऐप मुफ्त हैं जैसे कि फेसबुक, व्हॉट्सऐप, आरोग्य सेतु आदि लेकिन कुछ ऐप ऐसे होते हैं जिन्हें खरीदना पड़ता है. इसके बदले कंपनियां ऐप बनाने वालों से भी कमीशन लेती हैं.
तस्वीर: Apple Inc.
भारत में भी विवाद
भारत में पिछले दिनों पेमेंट ऐप पेटीएम को गूगल ने नीतियों के उल्लंघन का हवाला देते हुए उसे प्ले स्टोर से हटा दिया था. इससे पहले जोमाटो और स्विगी को भी गूगल ने नोटिस भेजा था. टिकटॉक बैन होने के बाद भारतीय स्टार्ट कंपनियां अब नए-नए विकल्प तलाश रही हैं. तकनीक के क्षेत्र में स्टार्टअप में अब शॉर्ट वीडियो फॉर्मेट वाले ऐप, गेमिंग ऐप तैयार हो रहे हैं. सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है.
तस्वीर: Propellerhead Software
पेटीएम का मिनी ऐप स्टोर
पिछले दिनों भारतीय कंपनी पेटीएम ने एंड्रॉयड यूजर्स और ऐप डेवलेपर्स के लिए अपना मिनी ऐप स्टोर लॉन्च किया. अब भारतीय यूजर्स को गूगल के अलावा एक और विकल्प मिल गया है. पेटीएम के मिनी ऐप स्टोर पर इस वक्त 1एमजी, नेटमेड्स, डीकैथलॉन जैसे कई और ऐप लिस्ट हो चुके हैं.
तस्वीर: Aamir Ansari/DW
सरकारी ऐप स्टोर
ई गॉव ऐप स्टोर पर भारत सरकार के कई ऐप मौजूद हैं इसके अलावा मॉय गॉव डॉट इव पर पहले ही सैकड़ों ऐप मौजूद हैं जो कि मुफ्त हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार जल्द अपना ऐप स्टोर लॉन्च करने जा रही है ताकि भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को परेशानियों से बचाया जा सके.
तस्वीर: picture alliance/empics/A. Matthews
ऐप का बाजार
ऐप स्टोर पर कुछ ऐसे ऐप्स मौजूद हैं जिनको डाउनलोड करने के लिए फीस अदा करनी पड़ती है. इन ऐप्स का बाजार विशाल है. एक अनुमान के मुताबिक 2019 में लोगों ने ऐप स्टोर से 460 अरब डॉलर के ऐप खरीदे और इसके आने वाले सालों में बढ़ने की संभावना है.
तस्वीर: play.google.com
कमाई का जरिया
भारत में करीब 50 करोड़ लोग स्मार्ट फोन इस्तेमाल करते हैं और एक अनुमान के मुताबिक तीन फीसदी लोगों के पास एप्पल के फोन हैं. यानी 97 फीसदी लोगों के पास एंड्रायड के फोन हैं. गूगल ऐप स्टोर से होने वाली कमाई में बहुत आगे निकलना चाहता है. युवा देश में गेमिंग और वीडियो शेयरिंग जैसे ऐप्स काफी लोकप्रिय है और ऐप के लिए पैसे भी चुकाने को तैयार रहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Novozhenina
गेमिंग ऐप पर नजर
भारत में पबजी और टिकटॉक बैन होन के बाद कई देसी ऐप बाजार में आ गए हैं और वे लोकप्रिय भी हो रहे हैं. पबजी की तर्ज पर ही भारतीय कंपनी ने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार के साथ एएफयू-जी (फौजी) ऐप लॉन्च किया है. कुछ महीने पहले भारत सरकार ने सुरक्षा का हवाला देते हुए 118 चीनी ऐप्स बैन कर दिए थे.
तस्वीर: Apple/AP Photo/picture-alliance
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इसी साल सितंबर महीने में डिजिटल पेमेंट ने नया रिकॉर्ड बनाया है. इस दौरान साढ़े छह लाख करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है. सितंबर लगातार तीसरा महीना है जब यूपीआई के जरिए 3 अरब से ज्यादा के लेनदेन हुए. यूपीआई से भुगतान करना आसान होता है क्योंकि इसमें सिर्फ नंबर या फिर बैंक खाता या क्विक रिस्पॉन्स कोड को स्कैन कर तुरंत पैसे भेजे जा सकते हैं.
भारत में कई ऐसे इलाके हैं जहां इंटरनेट की पहुंच बहुत कमजोर है या ना के बराबर है. ऐसे में यह सुविधा उन लोगों को काफी लाभ दे सकती है.
आप अपना पासवर्ड कहां रखते हैं?
एटीएम पिन, बैंक खाता नंबर, डेबिट कार्ड या फिर क्रेडिट कार्ड डिटेल्स हो या आधार और पैन कार्ड जैसी संवेदनशील निजी जानकारी, भारतीय बेहद लापरवाह तरीके से इन्हें रखते हैं. एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
तस्वीर: BR
33 प्रतिशत भारतीय रखते हैं असुरक्षित तरीके से डेटा
लोकल सर्किल के सर्वे में यह पता चला है कि करीब 33 प्रतिशत भारतीय संवेदनशील डेटा असुरक्षित तरीके से ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
तस्वीर: Elmar Gubisch/Zoonar/picture alliance
ईमेल और फोन में रखते हैं पासवर्ड
सर्वे में शामिल लोगों ने बताया कि वे संवेदनशील डेटा जैसे कि कंप्यूटर पासवर्ड, बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के साथ ही साथ आधार और पैन कार्ड जैसी निजी जानकारी भी ईमेल और फोन के कॉन्टैक्ट लिस्ट में रखते हैं. 11 फीसदी लोग फोन कॉन्टैक्ट लिस्ट में ऐसी जानकारी रखते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N. Armer
याद भी करते हैं और लिखते भी हैं
लोकल सर्किल ने देश के 393 जिलों के 24,000 लोगों से प्रतिक्रिया ली, सर्वे में शामिल 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी जानकारियां कागज पर लिखते हैं, वहीं 21 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अहम जानकारियों को याद कर लेते हैं.
तस्वीर: Fotolia/THPStock
डेबिट कार्ड पिन साझा करते हैं
लोकल सर्किल के सर्वे में शामिल 29 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपने डेबिट कार्ड पिन को अपने परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं. वहीं सर्वे में शामिल चार फीसदी लोगों ने कहा कि वे पिन को घरेलू कर्मचारी या दफ्तर के कर्मचारी के साथ साझा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ohlenschläger
बड़ा वर्ग साझा नहीं करता एटीएम पिन
सर्वे में शामिल एक बड़ा वर्ग यानी 65 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने एटीएम और डेबिट कार्ड पिन को किसी के साथ साझा नहीं किया. दो फीसदी लोगों ने ही अपने दोस्तों के साथ डेबिट कार्ड पिन साझा किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Warmuth
फोन में अहम जानकारी
कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बैंक खातों से जुड़ी जानकारी, आधार या पैन कार्ड जैसी जानकारी फोन में रखते हैं. सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने इसको माना है. 15 प्रतिशत ने कहा कि उनकी संवेदनशील जानकारियां ईमेल या कंप्यूटर में है.
तस्वीर: Imago Images/U. Umstätter
डेटा के बारे में पता नहीं
इस सर्वे में शामिल सात फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हें नहीं मालूम है कि उनका डेटा कहां हो सकता है. मतलब उन्हें अपने डेटा के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
बढ़ रहे साइबर अपराध
ओटीपी, सीवीवी, एटीएम, क्रेडिट या डेबिट कार्ड क्लोनिंग कर अपराधी वित्तीय अपराध को अंजाम दे रहे हैं. ईमेल के जरिए भी लोगों को निशाना बनाया जाता है और संवेदनशील जानकारियों चुराई जाती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange/C. Ohde
डेटा सुरक्षा में जागरूकता की कमी
लोकल सर्किल का कहना है कि देश के लोगों में अहम डेटा के संरक्षण को लेकर जागरूकता की कमी है. कई ऐप ऐसे हैं जो कॉन्टैक्ट लिस्ट की पहुंच की इजाजत मांगते हैं ऐसे में डेटा के लीक होने का खतरा अधिक है. लोकल सर्किल के मुताबिक वह इन नतीजों को सरकार और आरबीआई के साथ साझा करेगा ताकि वित्तीय साक्षरता की दिशा में ठोस कदम उठाया जा सके.