1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

उत्तर प्रदेश में खुलेगा मदर्स मिल्क बैंक

फैसल फरीद
४ अगस्त २०१७

कभी स्वास्थ्य से जुड़ी मजबूरी, कभी स्तनपान को लेकर भ्रांतियों या कई बार जान बूझ कर दूध न पिलाने के कारण उत्तर प्रदेश में कई नवजात शिशु मां के दूध से दूर हैं. अब ऐसे बच्चों को बचाएगा राज्य में खुलने जा रहा मिल्क बैंक.

Muttermilch abpumpen Symbolbild
पंप से निकाल कर इकट्ठा किया जाता है मां का दूध.तस्वीर: picture-alliance/Godong

मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम होता है. ये टैगलाइन हर डिब्बे वाले दूध पर लिखी रहती है. लेकिन फिर भी आबादी के हिसाब से भारत के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश, में मात्र 25.2 प्रतिशत बच्चों को ही जन्म के पहले घंटे में मां का दूध मिल पाता है. यही नहीं, पहले छह महीने जब केवल मां का दूध ही बच्चे का पूर्ण आहार होता है, तब भी केवल 41.6 प्रतिशत बच्चों को मां का दूध मिल पाता है.

विशेषज्ञों के अनुसार, जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान करवाने से 20 फीसदी नवजात शिशुओं का जीवन बचाया जा सकता है. जिन बच्चों को 6 महीने तक पूरी तरह स्तनपान पर नहीं रखा जाता, उनमें स्तनपान पर रहे बच्चों के मुकाबले निमोनिया से 15 गुना और डायरिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 गुना बढ़ जाती है. ये दोनों बीमारियां पांच वर्ष से छोटे बच्चों में होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण भी हैं. इसके अलावा स्तनपान को अपनाकर बच्चो में कुपोषण से होने वाली मृत्युओं को भी कम किया जा सकता है

इस दिशा में कदम उठाने के लिए उत्तर प्रदेश में पहला मदर्स मिल्क बैंक शुरू किया जा रहा है. एक परंपरावादी प्रदेश में ऐसी शुरुआत लोगों के लिए अचंभे और आशंकाओं से भरी हुई है. मदर्स मिल्क बैंक यानी जहां मां के दूध को जमा कर सुरक्षित रखा जाता है. जाहिर है कि इस दूध का स्रोत भी लैक्टेटिंग मदर्स यानि वे महिलाएं होंगी जो दूध पिला रही हैं.

​​कोलकाता में 2013 से चल रहा है आधुनिक ब्रेस्ट मिल्क बैंक.तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

इस बैंक की स्थापना नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत होगी. उत्तर प्रदेश में शिशुओं से संबंधित आंकड़े काफी खराब हैं और इसीलिए यहां इसकी बहुत आवश्यकता महसूस हो रही थी. नेशनल हेल्थ मिशन में जनरल मेनेजर (चाइल्ड केयर) अनिल वर्मा उत्तर प्रदेश में मदर्स मिल्क बैंक की स्थापना के लिए चल रहे प्रयासों के बारे में बताते हैं, "इसमें हम लोग कुछ एनजीओ पार्टनर से भी बात कर रहे हैं. दो में से किसी एक जगह - किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी या संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज - में इसे सेटअप करेंगे. आवश्यकता है इसीलिए कर रहे हैं.”

वर्मा ने बताया कि मदर्स मिल्क बैंक उत्तर प्रदेश का पहला पब्लिक सेक्टर में स्थापित बैंक होगा. वैसे ये चलन विदेशों में काफी है लेकिन अभी भारत में कम ही है. वर्मा के अनुसार भारत में अब तक उदयपुर, दिल्ली, मुंबई में मदर्स मिल्क बैंक स्थापित हुए हैं लेकिन अधिकांश प्राइवेट सेक्टर में हैं. पुणे, सूरत और जयपुर में भी प्राइवेट सेक्टर के ऐसे मिल्क बैंक कार्यरत हैं. 

तकनीकी रूप से मदर्स मिल्क बैंक में इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप मशीन होती है. इसके माध्यम से दानकर्ता मां से दूध लिया जाता है. इस दूध का माइक्रोबायोलोजिकल टेस्ट होता है और गुणवत्ता ठीक पाये जाने पर उसे 30 मिलीलीटर की बोतल में रख दिया जाता है. औसत रूप से एक बार में एक नवजात शिशु की फीड लगभग इतनी ही होती है. ये दूध -20 डिग्री सेंटीग्रेड पर स्टोर रखा जाता है. जमा करने के अगले छह महीने तक आवश्यकतानुसार ये दूध नवजात को दिया जा सकता है.

आमतौर पर उन महिलाओं को जो किसी कारण से दूध पिलाने में असमर्थ हैं, मेडिकली ब्रेस्ट फीडिंग संभव नहीं है या फिर कामकाजी होने के कारण समय का अभाव है, उनको ऐसे बैंक से बहुत मदद मिलने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश में 1 अगस्त से 7 अगस्त के बीच विश्व स्तनपान सप्ताह भी मनाया जा रहा है, जिसमें मां के दूध के महत्व और ब्रेस्ट फीडिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम हो रहे हैं.

 

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें