कुत्तों को कोविड-19 का सूंघ कर पता लगाने के लिए कुछ देशों में प्रशिक्षित किया जा रहा है. अब भारतीय सेना अपने कुत्तों को सूंघ कर कोविड-19 की जानकारी निकाल लेने के लिए प्रशिक्षित कर रही है.
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इंसानों के पसीने और पेशाब को सूंघ कर कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए भारतीय सेना आठ कुत्तों को प्रशिक्षण दे रही है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस काम के लिए कॉकर स्पैनियल और लैब्राडोर जैसी नस्लों के कुत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है. दिल्ली में सेना के एक प्रशिक्षण केंद्र में आठ कुत्तों को संक्रमित लोगों की कोशिकाओं में से संक्रमण को सूंघ निकालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
हवाई अड्डों और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर कोरोना वायरस को पहचान लेने के लिए कुत्तों का इस्तेमाल करने के बारे में कई देश कई महीनों से विचार कर रहे हैं. लेकिन भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है. यह कहना है कर्नल सुरेंदर सैनी का, जो सेना में कुत्तों के प्रशिक्षक हैं. उन्होंने रॉयटर्स को बताया, "हमने जिन सैंपलों की अभी तक जांच की है, उससे मिली जानकारी के आधार पर हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि खोजी कुत्तों में इस बीमारी का पता लगाने की क्षमता 95 प्रतिशत से भी ज्यादा है."
योजना है कि इन आठ कुत्तों को प्रशिक्षण दे कर उत्तर भारत में स्थित एक ट्रांजिट कैंप में तैनात कर दिया जाए, जहां से सेना के जवानों को ज्यादा सुरक्षा वाले सीमावर्ती इलाकों में भेजा जाता है. कुत्तों की मदद से संक्रमण का जल्दी पता लगाया जा सकेगा और सुदूर इलाकों में जांच की जरूरत को कम किया जा सकेगा.
जर्मनी में जानवरों के एक क्लिनिक में इंसानी थूक में कोविड-19 के वायरस को सूंघ लेने के कुत्तों को प्रशिक्षित किया गया है. अधिकारियों ने दावा किया है कि यह कुत्ते 94 प्रतिशत मामलों में वायरस को सूंघ लेने के लिए सक्षम हैं. लोअर सैक्सनी राज्य में इन कुत्तों को सार्वजनिक जगहों पर तैनात किए जाने के बारे में विचार किया जा रहा है.
फिनलैंड में इस तरह के कुत्तों का इस्तेमाल हेलसिंकी हवाई अड्डे पर सितंबर 2020 से किया जा रहा है. चिली के सैंतिआगो हवाई अड्डे पर इस तरह के कुत्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
कुत्तों को आमतौर पर अक्लमंद और वफादार माना जाता है. लेकिन याद रहे कि हर कुत्ता एक सा नहीं होता, कुछ सूझबूझ में आगे तो कुछ बेहद बुद्धू होते हैं. कैसे पहचानें.
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बीगल
बीगल बेहद वफादार माने जाते हैं. ये आमतौर पर खुश रहते हैं. इन कुत्तों को अक्सर प्रतियोगिताओं में आप पुरस्कार जीतते भी देखते होंगे. बीगल को प्रशिक्षण देना आसान है, ये विनम्र होते हैं. लेकिन इस कुत्ते में अपने बारे में सोचने की काबिलियत नहीं होती.
तस्वीर: Fotolia/majtas
मैसटिफ
कुत्तों की यह प्रजाति इंसानों के साथ गहरी दोस्ती गांठती है. लेकिन अच्छे दिल का यह मतलब नहीं कि यह कुत्ता होशियार भी है. मैसटिफ को जटिल निर्देश समझने और उनके आधार पर काम करने में दिक्कत होती है. इन्हें बहुत प्रशिक्षण देना बेकार है.
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बुलडॉग
बुलडॉग से दोस्ती करना और इसके साथ खेलना आसान है. लेकिन इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से यह मालिक पर निर्भर भी रहता है. अगर इन्हें अकेला छोड़ा जाए तो ये घर का कोई एक कोना या फर्नीचर पकड़ कर वहीं बैठे रहना पसंद करते हैं.
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चिहुआहुआ
इस कुत्ते का भी अपने मालिक से खास संबंध होता है. लेकिन इसके अलावा वे किसी और बात की खास परवाह नहीं करते. चिहुआहुआ को अक्सर मतलबी भी माना जाता है. ये थोड़े बिगड़ैल और ढीठ भी होते हैं, जो करना चाहते हैं, वही करते हैं. इस तरह के कुत्तों के लिए ट्रेनिंग स्कूलों में खास जगह नहीं.
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वायमरानर
वायमरानर को समझदार कुत्ता माना जाता है. लेकिन जानवरों के डॉक्टर बताते हैं कि ये कुत्ते एक जगह खामोशी से नहीं बैठ सकते. ये कुत्ते अक्सर भाग भी जाते हैं और फिर परेशानी में फंसे पाए जाते हैं.
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आयरिश सेटर
आयरिश सेटर को रोमांच अच्छा लगता है. लेकिन इस कुत्ते को अपनी सीमा का सही अंदाजा नहीं होता. वह निर्धारित नहीं कर पाता कि कहां उसकी हद खत्म हो रही है और कहां वह नियम तोड़ रहा है. अगर इसकी ठीक ट्रेनिंग ना हो तो मदद की बजाय यह कुत्ता मालिक के लिए सिरदर्द बन सकता है.
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पग
पग के लिए सबसे अहम इसकी भूख है. इसे मालिक से खाना मांगना खूब आता है. लेकिन अगर इसके साथ कोई ऐसा खेल या काम करना चाहते हैं जिसमें खाने का कोई जिक्र ना हो तो ये परवाह नहीं करते.