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राहुल ने किया इंटरनेट अधिकारों का समर्थन

२२ अप्रैल २०१५

नरेंद्र मोदी की सरकार को घेरने की नीति के तहत अब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे को हाथ में ले लिया है. दो महीने की छुट्टी से वापस लौटने के बाद उन्होंने इससे पहले किसानों का मुद्दा उठाया था.

तस्वीर: UNI

लोक सभा में नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे को उठाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र सरकार बड़े बड़े उद्योगपतियों के हाथ में इंटरनेट का अधिकार देने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि "हर इंसान को इंटरनेट का अधिकार होना चाहिए." भूमि अधिग्रहण बिल की तरह इस बार भी राहुल गांधी ने सरकार पर आम लोग विरोधी और कॉरपोरेट समर्थन होने का आरोप लगाया है.

बजट सत्र के दूसरे चरण में नेट न्यूट्रैलिटी यानि इंटरनेट निरपेक्षता के मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित कर इस बारे में तत्काल चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया था. राहुल गांधी ने नेट न्यूट्रैलिटी पर कहा कि मनरेगा और भोजन के अधिकार की तरह युवाओं के लिए इंटरनेट एक अधिकार है. राहुल गांधी ने सरकार से टेलीकॉम रेग्यूलेटिंग अथॉरिटी (ट्राई) की सिफारिशों को लागू नहीं करने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार को नेट की आजादी बरकरार रखनी चाहिए.

टेलिकॉम मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा कि सरकार नेट न्यूट्रैलिटी मुद्दे पर गंभीर है. उन्होंने कहा, ''सरकार इस मामले में पूर्ण स्वतंत्रता चाहती है, जनता को बिना किसी भेदभाव के इंटरनेट सुविधा देना चाहती है. टेलिकॉम मंत्रालय की ओर से जनवरी महीने में ही समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. कमेटी मई के दूसरे हफ्ते तक रिपोर्ट देगी. इसके बाद ट्राई की ओर से मिलने वाली रिपोर्ट का भी आयोग अध्ययन करेगा."

राहुल गांधी ने संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए सवाल उठाया, "अगर सरकार नेट न्यूट्रैलिटी को बचाना चाहती है तो समीक्षा की प्रक्रिया को शुरू ही क्यों किया गया. यह प्रयोग वाले गुब्बारे की तरह है. अगर कड़ा विरोध आता है तो रुक जाओ. इसीलिए हम जी जान लगाकर इसका विरोध कर रहे हैं ताकि वे इसे वापस ले लें."

क्या है नेट न्यूट्रैलिटी

नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है उपभोक्ताओं को इंटरनेट पर सभी वेबसाइटों और ऐप को समान रूप से इस्तेमाल करने की छूट. जब कोई भी व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डाटा पैक लेता है तो उसका अधिकार होता है कि वो नेट सर्फ करे या फिर स्काइप, वाइबर पर वॉइस या वीडियो कॉल करे, जिस पर एक ही दर से शुल्क लगता है. ये शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने उस दौरान कितना डाटा इस्तेमाल किया है. नेट न्यूट्रैलिटी के अंतर्गत सभी वेबसाइटों को नेट पर समानता का दर्जा दिया जाता है. हर वेबसाइट के लिए एक समान स्पीड मिलती है. जबकि नेट न्यूट्रैलिटी ना होने पर सर्विस प्रोवाइडर अलग अलग वेबसाइटों के लिए अलग अलग स्पीड तय कर सकता है. कुछ वेबसाइटों को ज्यादा स्पीड पर चलाने के लिए महंगा डाटा पैक लेना पड़ेगा.

नेट न्यूट्रैलिटी पर विवाद शुरू होने के बाद ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट ने एयरटेल के जीरो प्लान से खुद को अलग कर लिया. टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने हाल ही में मुफ्त इंटरनेट प्लान 'एयरटेल जीरो' लॉन्च किया है. इस प्लान के जरिये ग्राहक कई एप्लिकेशन्स को बिना किसी डेटा चार्ज के ही इस्तेमाल कर सकेंगे. लेकिन ग्राहक केवल उसी वेबसाइट को ब्राउज या डाउनलोड कर सकेंगे जो एयरटेल के साथ रजिस्टर्ड होंगी.

एसएफ/एमजे (पीटीआई)

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