पुलिस और भारतीय सेना का कहना है कि बुधवार को लद्दाख क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों ने पथराव किया जिसका भारतीय सैनिकों ने जवाब दिया. इस दौरान दोनों पक्षों ने बंदूकों का इस्तेमाल नहीं किया.
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कश्मीर में भारत और चीन के सैनिकों की ताजा झड़प उस वक्त हुई जब भारत अपनी स्वाधीनता की 70वीं सालगिरह मना रहा था. लद्दाख के जिस इलाके में दोनों देशों के सैनिक भिड़े, वह सैलानियों की पसंदीदा सैरगाह है. भारतीय सेना के एक अधिकारी ने नाम जाहिर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि चीनी सैनिकों ने दो बार इलाके में घुसने की कोशिश की लेकिन उन्हें वापस धकेल दिया गया. सेना के अधिकारी ने कहा, "छोटी सी घटना हुई है. चीन की तरफ से पथराव किया गया लेकिन जल्दी ही स्थिति नियंत्रण में कर लिया गया." उन्होंने ये भी कहा कि मामूली झड़प के बाद दोनों पक्ष अपने अपने ठिकाने पर लौट आये.
भारत चीन का सीमा विवाद
भारत और चीन का सीमा विवाद दशकों पुराना है. तिब्बत को चीन में मिलाये जाने के बाद यह विवाद भारत और चीन का विवाद बन गया. एक नजर विवाद के अहम बिंदुओं पर.
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लंबा विवाद
तकरीबन 3500 किलोमीटर की साझी सीमा को लेकर दोनों देशों ने 1962 में जंग भी लड़ी लेकिन विवादों का निपटारा ना हो सका. दुर्गम इलाका, कच्चा पक्का सर्वेक्षण और ब्रिटिश साम्राज्यवादी नक्शे ने इस विवाद को और बढ़ा दिया. दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच सीमा पर तनाव उनके पड़ोसियों और दुनिया के लिए भी चिंता का कारण है.
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अक्साई चीन
काराकाश नदी पर समुद्र तल से 14000-22000 फीट ऊंचाई पर मौजूद अक्साई चीन का ज्यादातर हिस्सा वीरान है. 32000 वर्ग मीटर में फैला ये इलाका पहले कारोबार का रास्ता था और इस वजह से इसकी काफी अहमियत है. भारत का कहना है कि चीन ने जम्मू कश्मीर के अक्साई चीन में उसकी 38000 किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है.
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अरुणाचल प्रदेश
चीन दावा करता है कि मैकमोहन रेखा के जरिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली है. भारत इसे अपना हिस्सा बताता है. हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1914 में भारत तिब्बत शिमला सम्मेलन बुलाया गया.
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किसने खींची लाइन
ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने मैकमोहन रेखा खींची जिसने ब्रिटिश भारत और तिब्बत के बीच सीमा का बंटवारा कर दिया. चीन के प्रतिनिधि शिमला सम्मेलन में मौजूद थे लेकिन उन्होंने इस समझौते पर दस्तखत करने या उसे मान्यता देने से मना कर दिया. उनका कहना था कि तिब्बत चीनी प्रशासन के अंतर्गत है इसलिए उसे दूसरे देश के साथ समझौता करने का हक नहीं है.
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अंतरराष्ट्रीय सीमा
1947 में आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन रेखा को आधिकारिक सीमा रेखा का दर्जा दे दिया. हालांकि 1950 में तिब्बत पर चीनी नियंत्रण के बाद भारत और चीन के बीच ऐसी साझी सीमा बन गयी जिस पर कोई समझौता नहीं हुआ था. चीन मैकमोहन रेखा को गैरकानूनी, औपनिवेशिक और पारंपरिक मानता है जबकि भारत इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा का दर्जा देता है.
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समझौता
भारत की आजादी के बाद 1954 में भारत और चीन के बीच तिब्बत के इलाके में व्यापार और आवाजाही के लिए समझौता हुआ. इस समझौते के बाद भारत ने समझा कि अब सीमा विवाद की कोई अहमियत नहीं है और चीन ने ऐतिहासिक स्थिति को स्वीकार कर लिया है.
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चीन का रुख
उधर चीन का कहना है कि सीमा को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ और भारत तिब्बत में चीन की सत्ता को मान्यता दे. इसके अलावा चीन का ये भी कहना था कि मैकमोहन रेखा को लेकर चीन की असहमति अब भी कायम है.
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सिक्किम
1962 में दोनों देशों के बीच लड़ाई हुई. महीने भर चली जंग में चीन की सेना भारत के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में घुस आयी. बाद में चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वापस लौटी. यहां भूटान की भी सीमा लगती है. सिक्किम वो आखिरी इलाका है जहां तक भारत की पहुंच है. इसके अलावा यहां के कुछ इलाकों पर भूटान का भी दावा है और भारत इस दावे का समर्थन करता है.
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मानसरोवर
मानसरोवर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ है जिसकी यात्रा पर हर साल कुछ लोग जाते हैं. भारत चीन के रिश्तों का असर इस तीर्थयात्रा पर भी है. मौजूदा विवाद उठने के बाद चीन ने श्रद्धालुओं को वहां पूर्वी रास्ते से होकर जाने से रोक दिया था.
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बातचीत से हल की कोशिश
भारत और चीन की ओर से बीते 40 सालों में इस विवाद को बातचीत के जरिए हल करने की कई कोशिशें हुईं. हालांकि इन कोशिशों से अब तक कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ. चीन कई बार ये कह चुका है कि उसने अपने 12-14 पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद बातचीत से हल कर लिए हैं और भारत के साथ भी ये मामला निबट जाएगा लेकिन 19 दौर की बातचीत के बाद भी सिर्फ उम्मीदें ही जताई जा रही हैं.
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जम्मू कश्मीर पुलिस का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इस तरह की झड़पें आम बात हैं. श्रीनगर में एक पुलिस सूत्र ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "गर्मियों के मौसम में इस तरह की झड़पें होती हैं लेकिन यह थोड़ा लंबा और गंभीर था, पर हथियारों का प्रयोग नहीं हुआ." पुलिस और सेना के मुताबिक चीनी सैनिक पांगोंग झील के इलाके में घुसने की कोशिश कर रहे थे. यह इलाका तिब्बत के पठार में करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर है.
भारतीय मीडिया में ये भी खबर आ रही है कि आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर होने वाली भारत और चीन के सैनिकों की मुलाकात में भी चीन ने शामिल होने से इनकार कर दिया. 2005 के बाद ये पहला मौका है जब दोनों देशों के सैनिक इस मौके पर नहीं मिले.
दोनों देशों के सैनिक पहले से ही एक दूसरे की तरफ उत्तर पूर्व के डोकलाम में संगीनें तान कर खड़े हैं. हालांकि वहां भी अभी तक किसी पक्ष ने बल प्रयोग नहीं किया है. दोनों देशों के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब चीनी सैनिकों ने डोकलाम क्षेत्र में एक सड़क बनाना शुरू किया. इस इलाके को लेकर चीन और भूटान के बीच विवाद है. भारत भूटान का करीबी सहयोगी देश है. उसने अपने सैनिक तैनात कर दिये और चीन की निर्माण योजना को रोक दिया. तब चीन ने भारतीय सेना पर अपनी सीमा के आगे चीनी क्षेत्र में दखल देने का आरोप लगाया. अब चीन कह रहा है कि भारत अपने सैनिकों को पहले वापस ले जाये तभी दोनों पक्षों में बातचीत होगी. उधर भारत का कहना है कि चीनी सैनिकों के इलाके में घुसने के बाद ही उसने अपने सैनिक इस इलाके में भेजे हैं. भारत इस बात पर अड़ा है कि दोनों देशों के सैनिक वापस जाएं.