सऊदी अरब में ड्राइविंग इजाजत मिलने के बाद अब महिलाएं विमान उड़ाएंगी. पहली बार एक सऊदी फ्लाइंग स्कूल महिलाओं के लिए अपने दरवाजे खोल रहा है.
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सऊदी शहर दम्मम में ऑक्सफोर्ड एविएशन एकेडमी को सैकड़ों की संख्या में महिलाओं के आवेदन मिले हैं. यह संस्थान विमान उड़ाने की ट्रेनिंग देने के साथ साथ चालक दल के सदस्यों की भर्ती भी करता है. जल्द ही चुनी हुई महिलाएं इस एकेडमी में अपनी पढ़ाई शुरू कर देंगी.
पायलट बनने का ख्वाब देखने वाली दलिया याशिर कहती हैं, "लोग एविएशन की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाया जा करते थे जो कि महिलाओं के लिए पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मुश्किल है."
वह कहती हैं, "अब हम ऐसे दौर में नहीं जी रहे हैं जहां महिलाओं को सिर्फ कुछ ही क्षेत्रों में काम करने की आजादी हो. अब सारे क्षेत्र महिलाओं के लिए खुल हैं. अगर आपमें क्षमता है तो आप कुछ भी कर सकते हैं."
'महिला ड्राइविंग से इस्लाम का कोई लेना देना नहीं'
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यह एकेडमी 30 करोड़ डॉलर के उस प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसमें विमानों की मरम्मत के लिए एक स्कूल और एयरपोर्ट पर फ्लाइट सिमुलेशन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र शामिल है. संस्थान के कार्यकारी निदेशक ओथमान अल-मौतेरी कहते हैं कि यहां छात्रों को तीन साल की ट्रेनिंग दी जाती है.
सऊदी अरब में दशकों तक महिलाओं के ड्राइविंग करने पर रोक रही. लेकिन सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश में बड़े सुधारों का बीड़ा उठाया है. इसी के तहत जून में महिला को ड्राइविंग का हक दिया गया. इसके अलावा कई और क्षेत्रों के दरवाजे भी महिलाओं के लिए खोले गए हैं.
सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार दिए जाने का दुनिया भर में स्वागत हुआ, लेकिन रुढ़िवादी समझे जाने वाले सऊदी समाज में कई लोग अब भी इससे खुश नहीं हैं. पिछले दिनों कुछ लोगों ने एक महिला की कार को आग लगा दी. बैन का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ अधिकारी कार्रवाई कर रहे हैं.
एके/एनआर (एएफपी)
सऊदी महिलाओं को ये हक अब नहीं हैं
इन हकों के लिए अब भी तरस रही हैं सऊदी महिलाएं
सऊदी अरब में लंबी जद्दोजहद के बाद महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार तो मिल गया है. लेकिन कई बुनियादी हकों के लिए वे अब भी जूझ रही हैं.
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पुरुषों के बगैर नहीं
सऊदी अरब में औरतें किसी मर्द के बगैर घर में भी नहीं रह सकती हैं. अगर घर के मर्द नहीं हैं तो गार्ड का होना जरूरी है. बाहर जाने के लिए घर के किसी मर्द का साथ होना जरूरी है, फिर चाहे डॉक्टर के यहां जाना हो या खरीदारी करने.
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फैशन और मेकअप
देश भर में महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए कपड़ों के तौर तरीकों के कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. बाहर निकलने वाले कपड़े तंग नहीं होने चाहिए. पूरा शरीर सिर से पांव तक ढका होना चाहिए, जिसके लिए बुर्के को उपयुक्त माना जाता है. हालांकि चेहरे को ढकने के नियम नहीं हैं लेकिन इसकी मांग उठती रहती है. महिलाओं को बहुत ज्यादा मेकअप होने पर भी टोका जाता है.
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मर्दों से संपर्क
ऐसी महिला और पुरुष का साथ होना जिनके बीच खून का संबंध नहीं है, अच्छा नहीं माना जाता. डेली टेलीग्राफ के मुताबिक सामाजिक स्थलों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रवेश द्वार भी अलग अलग होते हैं. सामाजिक स्थलों जैसे पार्कों, समुद्र किनारे और यातायात के दौरान भी महिलाओं और पुरुषों की अलग अलग व्यवस्था होती है. अगर उन्हें अनुमति के बगैर साथ पाया गया तो भारी हर्जाना देना पड़ सकता है.
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रोजगार
सऊदी सरकार चाहती है कि महिलाएं कामकाजी बनें. कई सऊदी महिलाएं रिटेल सेक्टर के अलावा ट्रैफिक कंट्रोल और इमरजेंसी कॉल सेंटर में नौकरी कर रही हैं. लेकिन उच्च पदों पर महिलाएं ना के बराबर हैं और दफ्तर में उनके लिए खास सुविधाएं भी नहीं है.
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आधी गवाही
सऊदी अरब में महिलाएं अदालत में जाकर गवाही दे सकती हैं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी गवाही को पुरुषों के मुकाबले आधा ही माना जाता है. सऊदी अरब में पहली बार 2013 में एक महिला वकील को प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला था.
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खेलकूद में
सऊदी अरब में लोगों के लिए यह स्वीकारना मुश्किल है कि महिलाएं भी खेलकूद में हिस्सा ले सकती हैं. जब सऊदी अरब ने 2012 में पहली बार महिला एथलीट्स को लंदन भेजा तो कट्टरपंथी नेताओं ने उन्हें "यौनकर्मी" कह कर पुकारा. महिलाओं के कसरत करने को भी कई लोग अच्छा नहीं मानते हैं. रियो ओलंपिक में सऊदी अरब ने चार महिला खिलाड़ियों को भेजा था.
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संपत्ति खरीदने का हक
ऐसी औपचारिक बंदिश तो नहीं है जो सऊदी अरब में महिलाओं को संपत्ति खरीदने या किराये पर लेने से रोकती हो, लेकिन मानवाधिकार समूहों का कहना है कि किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना महिलाओं के लिए ऐसा करना खासा मुश्किल काम है.