1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अब शुरू होगा मुस्लिम सोशल मीडिया

११ मार्च २०१२

मुसलमानों को वेब की दुनिया में आकर्षित करने के लिए तुर्की की एक स्टार्टअप कंपनी ने सलाम वर्ल्ड नेटवर्क खोला है. यूजर्स को ऑनलाइन पर हलाल सेवा का वायदा किया जा रहा है, जिसमें इस्लाम में प्रतिबंधित चीजें नहीं होंगी.

तस्वीर: SalamWorld

मुसलमानों को वेब की दुनिया में आकर्षित करने के लिए तुर्की की एक स्टार्टअप कंपनी ने सलाम वर्ल्ड नेटवर्क खोला जो अपने यूजर्स को ऑनलाइन पर हलाल सेवा का वायदा करता है.

सोशल नेटवर्किंग इस समय बड़ा कारोबार है. फेसबुक के 80 करोड़ यूजर हैं. वह इस साल शेयर बाजार में उतर रहा है और उसे अरबों डॉलर की उगाही की उम्मीद है. लेकिन इस गेम में अकेला फेसबुक नहीं है. चीन के सीना वाइबो के 23 करोड़ यूजर हैं जबकि रूस के वीकॉन्टाक्टे का कहना है कि उसके 10 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं. अब मैदान में इस्तांबुल की नई कंपनी उतर रही है. सलाम वर्ल्ड मुस्लिम दुनिया की सबसे बड़ी नेटवर्किंग कंपनी बनना चाहती है. उसका कहना है कि यह साइट मुस्लिम तौर तरीकों से चलेगी.

हालांकि यह इस साल रमजान यानी जुलाई से पहले नहीं खुलेगी. तुर्की के तकनीकी तबके में हंगामा है. इस्तांबुल के पॉश चिरागन पैलेस में हाल ही में इस नई वेबसाइट को लॉन्च किया गया. कंपनी के प्रमोशन वीडियो में कहा गया है, "नुकसानदेह कंटेंट को अलग कर और पारिवारिक मूल्यों का सम्मान करने वाले कंटेंट बनाकर हम दुनिया भर के मुसलमानों की जरूरतों को पूरा करते हैं." नई कंपनी का कहना है, "सलाम वर्ल्ड के रूप में हमारा लक्ष्य सभी राजनीतिक, भाषाई और सांस्कृतिक अंतरों को मिटाना, दुनिया को मुसलमानों के लिए और मुसलमानों को दुनिया के लिए खोलना है."

सलाम वर्ल्ड के निदेशक अब्दुलवखीद नियाजोवतस्वीर: SalamWorld

क्या होगा खास

कंपनी का लक्ष्य है, तीन साल के अंदर पांच करोड़ यूजर. लक्ष्य महात्वाकांक्षी है, लेकिन तैयारी भी पूरी है. लॉन्च में भाग लेने के लिए दुनिया भर से मुस्लिम नेता आए थे. इनमें यूरोप और पश्चिम एशिया के देशों के प्रतिनिधि भी थे. कनाडा के फौजान अहमद खान ने तकनीक का हौवा बनाने के बदले उसका इस्तेमाल करने के प्रयासों की सराहना की और कहा, "इस पहल की यह बात मुझे अच्छी लगती है कि जो गलत है उसकी आलोचना करने के साथ विकल्प भी दिया जा रहा है."

इस्लामी सोशल मीडिया को मुस्लिम समाज की बड़ी समस्याओं के हल का ताकतवर साधन समझा जा रहा है. दुनिया भर में मुस्लिम आबादी के 54 फीसदी लोग 25 साल से कम उम्र के हैं. यह इस तरह की पहल की जरूरत दिखाता है. कुवैत के सामाजिक मूल्यों के संस्थान के जुहैर अल मजीदी कहते हैं, "बहुत से मुसलमान इस्लाम को नहीं समझते. इस्लाम को आतंकवादियों ने बंधक बना लिया है. हमारे बहुत से नौजवानों का जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है और हम ऐसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल उन्हें जीवन में दिशा देने के लिए कर सकते हैं."

बहुत से लोग यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि अरब वसंत की गति को तेज किया जा सकता है और मुस्लिम दुनिया में राजनीतिक परिवर्तन लाया जा सकता है. अमेरिकी इस्लामी संबंध परिषद के निहाद अवाद का मानना है कि मुसलमानों द्वारा और मुसलमानों के लिए बना सोशल मीडिया सामाजिक क्रांति को बढ़ावा देगा. इसलिए बासफोरस की पहाड़ी पर एक शानदार इमारत में सम्मान, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और हराम से मुक्त क्षेत्र के सपने को पूरा कतरने के लिए सलाम वर्ल्ड बनाया जा रहा है.

मीडिया निदेशक यावुज सलीम कुर्टतस्वीर: SalamWorld

सलाम वर्ल्ड के लिए रूसी पैसा

हालांकि जड़ें तुर्की में है, सलाम वर्ल्ड की टीम अंतरराष्ट्रीय है. कामकाजी भाषा अंग्रेजी के अलावा अरबी, तुर्की और रूसी है. शुरुआती पूंजी भी मुख्य रूप से रूस और कजाकिस्तान से आई है. यह पूछे जाने पर कि क्या सलाम वर्ल्ड बाजार में खाली जगह को भरने के लिए है या मुस्लिम समुदाय की मदद के लिए, कंपनी के संचार निदेशक सईद सइदोव कहते हैं कि इन दोनों में कोई विरोधाभास नहीं है. रूसी मूल के सईदोव कहते हैं, मुसलमान के रूप में धर्म और कारोबार अलग नहीं हैं. आप कारोबार के लिए जो भी करते हैं वह धार्मिक सिद्धांतों और मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए.

रूस के सईदोव का कहना है कि सलाम वर्ल्ड इस्लामी मूल्यों के आधार पर ऐसा माहौल बनाना चाहता है जो मुसलमानों के अलावा गैर मुसलमानों के लिए भी हो. वे कहते हैं, "हम दुनिया को यह बताने की कोशिश नहीं करते हैं कि हम कौन हैं, हमने ऐसे लोगों को जिनका इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है, अपना प्रतिनिधित्व करने दिया है, इस्लाम को बंधक बनाने दिया है और ऊल जुलूल व्याख्या करने दिया है." सईदोव को उम्मीद है कि सलाम वर्ल्ड विकल्प दे पाएगा और इसे बदल पाएगा.

बड़ी चुनौती

सलाम वर्ल्ड पहली स्टार्ट अप कंपनी नहीं है जो मुसलमान यूजर्स में दिलचस्पी ले रही है. पिछले एक दशक में कई मुस्लिम डेटिंग साइट्स खुले हैं. हाल में भी मुसलमानों से संबंधित कुछ साइट्स खोले गए हैं, लेकिन उनके लिए मुख्यधारा का समर्थन पाना मुश्किल रहा है. पिछले महीने पहला मुस्लिम सोशल नेटवर्क मक्सलिम डॉट कॉम हेलसिंकी में खोले जाने के छह साल बाद बंद हो गया. उसे 2010 में 8 लाख यूरो का घाटा हुआ. इसी तरह हॉलैंड में रहने वाले एक ईरानी ने आईएमहलाल डॉट कॉम खोला लेकिन 2011 के अंत में निवेश के अभाव में बंद कर दिया.

तस्वीर: dapd

कतर के ऑनलाइन पत्रकार उमर छतरीवाला के अनुसार मुस्लिम समुदाय को नेट से जोड़ना इतना आसान नहीं है. यूं तो खाना, कपड़ा और गहना बेचने वाले साइट्स के अलावा मस्जिदों की जगह बताने वाले साइट्स भी हैं लेकिन लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट बनाना बड़ी चुनौती है. छतरीवाला कहते हैं, "यह साफ नहीं है कि सलाम वर्ल्ड तेजी पकड़ेगा या नहीं क्योंकि मुस्लिम युवा दूसरी जगहों के युवाओं से अलग नहीं हैं. वे फेसबुक पसंद करते हैं, वे दूसरे सेक्स के लोगों से ऑनलाइन मिलना पसंद करते हैं. इसलिए मुस्लिम सोशल मीडिया के विचार को सेंसरशिप समझा जा सकता है, जिसमें नग्न औरतों, अल्कोहल या जुए जैसी प्रतिबंधित चीजें नहीं होंगी."

सलाम वर्ल्ड का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि उसे चलाने वाले पारंपरिक मूल्यों को या धार्मिक मूल्यों की रक्षा करना चाहते हैं और कह रहे हैं कि हम नहीं चाहते हैं कि हमारे युवाओं का इससे सामना हो, और यह बेहतर विकल्प है. ऐसा नहीं है कि युवा कह रहे हों कि हमें यह सब नहीं चाहिए.

रिपोर्ट: मैथ्यू ब्रुनवासर/मझा

संपादन: ए जमाल

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें