अब समय जर्मनी का हैः बलाक
७ जुलाई २०१०33 साल के बलाक का कहना है 'आज रात स्पेन को हराना मुश्किल होगा लेकिन ये हमारा समय है. वर्ल्ड कप में जर्मनी बेस्ट टीम रही है और आगे भी इसे रहना चाहिए. दो साल पहले यूरो कप में स्पेन की टीम जीतने के लायक थी. लेकिन पिछले दो मैचों में हमने जो विश्वास पाया है, उससे मुझे लगता है कि ये वक्त हमारा है'.
बलाक चोट के कारण वर्ल्ड कप से बाहर हैं. उन्होंने द टाइम्स के अपने कॉलम में लिखा है, 'हम टूर्नामेंट में बेस्ट फुटबॉल खेल रहे हैं जैसा दो साल पहले स्पेन खेल रहा था. हर टीम के अच्छे और बुरे दिन होते हैं लेकिन एक टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करना बड़ी बात है.'
बलाक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में बने रहना चाहते हैं लेकिन फिलहाल चेल्सी से बाहर होने के बाद अब वे राष्ट्रीय टीम में खेल पाएंगे या नहीं इस पर भी अटकले चल रही हैं. जर्मन मीडिया बलाक पर लगातार लिख रहा. उन्हें सुपर कापिटेनो कहा जाता रहा है. कुछ अखबारों का मानना है कि वो दिन खत्म हो गए हैं.
2002 में विश्व कप में उनकी अहम भूमिका थी. यूरो 2008 में उन्होंने ऑस्ट्रिया के खिलाफ जर्मनी को 1-0 से जीत दिलाई जिस कारण टीम टूर्नामेंट में बनी रही.
2006 वर्ल्ड कप में इटली से हार बलाक के लिए एक बड़ा झटका थी. बलाक के नेतृत्व में जर्मनी एक भी बार विश्व कप नहीं जीत सका. इस साल 16 मई को मैच में लगी चोट के कारण वे विश्व कप से बाहर हो गए.
जर्मन टीम के कोच योआखिम लोएव ने कहा कि उन्हें बलाक के वर्ल्ड कप फाइनल में खेलने से बहुत खुशी होगी. ये नौबत तब आएगी अगर जर्मनी फाइनल में पहुंचता है तो. बलाक वैसे भी कह चुके हैं कि अगर सब ठीक रहा तो वे कम से कम यूरो 2012 तक खेलना चाहते हैं. हालांकि म्युनिख के अध्यक्ष उली होएनेस एक दोस्त की हैसियत से बालाक को सलाह दे चुके हैं कि उन्हें अब अपने क्लब करियर पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए.
जैसे ही बलाक दक्षिण अफ्रीका से अचानक लौटे मीडिया में चर्चा छिड़ गई कि कप्तान फिलिप लाम कप्तानी लौटाना नहीं चाहते. म्युनिख के दैनिक ने लाम का बयान छापा है, "मैं कप्तान का तमगा लौटाना नहीं चाहता. अपनी इच्छा से मैं इसे नहीं दूंगा. ये कोच का फैसला होगा." जर्मनी के अखबार बिल्ड ने लाम से पूछा कि क्या जर्मन टीम 97 बार खेल चुके बलाक को चाहती है. इस पर लाम का कहना था, "मैं वो नहीं हूं जो इस सवाल का जवाब हां या ना में नहीं दे सकता."
सिर्फ़ एक अखबार ही नहीं श्पीगल, फ्रांकफुर्टर रुंडशाउ जैसे कई दैनिक अखबारों का मानना है कि जर्मन टीम का हर गोल बलाक की वापसी को मुश्किल बना रहा है. वहीं डी त्साइट अखबार बलाक की वापसी से इनकार नहीं करता लेकिन मानता है कि उनकी भूमिका बहुत छोटी हो सकती है. त्साइट लिखता है, "फिलहाल टीम उनके बगैर भी अच्छा कर रही है लेकिन आने वाले समय में ऐसे मौके होंगे जब बलाक की ताकत उनकी उपस्थिति की ज़रूरत होगी. लेकिन उन्हें समझना होगा कि टीम में वरिष्ठता का क्रम जो बदला है, उसमें उन्हें एडजस्ट होना होगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एन रंजन