जानी मानी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम का कहना है कि हैकरों ने कोरोना वैक्सीन तक पहुंचने की कोशिश की है. आईबीएम के अनुसार इसके पीछे किसी देश का हाथ लगता है.
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अमेरिकी कंपनी आईबीएम ने कहा है कि उसने एक बड़े साइबर हमले का पता लगाया है जिसके तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीकाकरण मुहीम में सेंध लगाने की कोशिश की जा रही थी. आईबीएम के साइबर सिक्योरिटी रिसर्चरों के अनुसार इस सिलसिले में साइबर जासूसी सितंबर में ही शुरू हो गई थी. हालांकि वे इस बात का पता नहीं लगा पाए कि इसके पीछे कौन था और यह भी कि क्या यह कोशिश सफल रही.
कंपनी के अनुसार जिस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया गया और जिस सटीक तरीके से कंपनियों को निशाना बनाया गया, उसे देख कर लगता है कि इसके पीछे किसी देश के सरकारी तंत्र का हाथ है.
इस साइबर हमले पर रिपोर्ट तैयार करने वाली आईबीएम की विश्लेषक क्लेयर जाबोइवा का कहना है कि हैकरों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया जो कि काफी "असाधारण" है. हैकरों ने चीन की कंपनी हायर बायोमेडिकल के वरिष्ठ कर्मचारी के नाम से वैक्सीन से जुड़ा सामान बनाने वाली कंपनियों को ईमेल भेजे. इनमें कहा गया कि कंपनी वैक्सीन को ट्रांसपोर्ट करने और सैम्पलों को संभाल कर रखने में महारत रखती है. इस काम के लिए जिस तरह के फ्रिज का ईमेल में जिक्र किया गया है, उसे देख कर पता चलता है कि हैकरों ने वैक्सीन से जुड़ी तकनीक पर बहुत बारीकी से रिसर्च की थी. फ्रिज के मॉडल और दाम बेहद विश्वसनीय थे. क्लेयर जाबोइवा ने इस बारे में कहा, "जिस किसी ने भी यह कैम्पेन तैयार किया है, वह महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन मुहैया कराने की सप्लाई चेन में इस्तेमाल होने वाले सभी चीजों से अच्छी तरह वाकिफ था."
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हायर के नाम से ऐसे ईमेल दस अलग अलग कंपनियों को भेजे गए. हालांकि आईबीएम ने इनमें से सिर्फ एक का ही नाम सार्वजनिक किया है. यह नाम यूरोपीय आयोग के टैक्स और कस्टम यूनियन के महानिदेशालय का है. यह संस्था पूरे यूरोपीय संघ में सीमा शुल्क का काम संभालती है और टीके के आयात को ले कर इसी ने नियम भी तय किए हैं.
हैकरों का निशाना मुख्य रूप से विकासशील देशों पर रहा. साथ ही जर्मनी, इटली, दक्षिण कोरिया और ताइवान में भी कंपनियों से संपर्क किया गया. कोरोना वैक्सीन को माइनस 70 से माइनस 80 डिग्री के ठंडे तापमान पर रखना जरूरी है. इससे अधिक तापमान पर वैक्सीन प्रभावशाली नहीं रह जाती. ऐसे में "कोल्ड चेन" तैयार करने की जरूरत पड़ती है यानी उत्पादन से ले कर टीकाकरण केंद्र तक ट्रांसपोर्ट के दौरान वैक्सीन को ऐसे बक्सों में सुरक्षित रखना होगा जहां यह तापमान बना रहे.
यही कारण है कि हैकरों ने ऐसी कंपनियों को निशाने पर रखा जो ऐसे सोलर पैनल बनाती हैं. ये सोलर पैनल गर्म देशों में वैक्सीन रेफ्रिजरेटर चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही ऐसे पेट्रोकेमिकल उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी इसमें शामिल हैं जो ऐसे फ्रिज में रखी जाने वाली सूखी बर्फ बनाती हैं.
महामारी में मुनाफा: कैसे कोविड-19 के दौरान कुछ अमीर और भी अमीर हो गए
कोरोना वायरस संकट के दौरान अधिकतर उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन कुछ उद्योगों ने मुनाफा भी कमाया है. इन उद्योगों से कुछ नए धनी लोग भी निकले हैं और इनसे जुड़े जो लोग पहले से धनी थे वो और धनवान बन गए हैं.
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कोई कितना अमीर हो सकता है?
अमेजन ने कोविड-19 के बीच काफी व्यापार किया और कंपनी के शेयरों ने नए रिकॉर्ड स्थापित किए. संस्थापक जेफ बेजोस महामारी के पहले ही दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे और अब वो और अमीर हो गए हैं. फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक वो 193 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं.
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अव्वल नंबर के करीब
इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला गाड़ियां बनाती है लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पर इसे एक बड़ी टेक कंपनी के रूप में देखा जाता है. महामारी के दौरान टेक कंपनियों के स्टॉक बाजार में काफी चर्चा में रहे हैं और टेस्ला को इससे फायदा मिला है. कुछ ही समय पहले मस्क ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में बिल गेट्स को पीछे कर दिया था. 132 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ वो धीरे धीरे जेफ बेजोस की तरफ बढ़ रहे हैं.
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घर से काम करने के चलन का फायदा
घर से काम करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह से ऑनलाइन मीटिंग ऐप जूम का व्यापार बढ़ गया है और यह उसके संस्थापक एरिक युआन के लिए काफी लाभकारी साबित हुआ है. जूम 2019 में ही स्टॉक एक्सचेंज में शामिल हुई थी, लेकिन युआन आज अनुमानित 19 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं.
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सफलता के लिए फिट
दूसरों से दूरी बनाए रखना और जिमों का बंद रहना जॉन फोली के लिए वरदान जैसा साबित हुआ है. फोली की कंपनी पेलोटॉन घर पर कसरत करने के जिम उपकरण बनाती है और महामारी के दौरान इन उपकरणों की इतनी बिक्री हुई है कि कंपनी के शेयर के दाम में तीन गुना इजाफा हो गया है और 50-वर्षीय फोली अचानक ही अरबपति बन गए हैं.
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दुकानदारों की मदद का व्यापार
शॉपीफाई व्यापारियों की मदद करता है ऑनलाइन उनकी अपनी दुकान खड़ी करने में. इसे जर्मनी के टोबियास लुइटके ने विकसित किया था जो बाद में कनाडा चले गए थे. शॉपीफाई आज कनाडा की सबसे मूल्यवान कंपनी है और मार्च से अभी तक इसके शेयर का दाम दोगुना हो चुका है. फोर्ब्स के अनुसार 39 साल के लुइटके नौ अरब डॉलर के मालिक हैं.
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रातों-रात अरबपति
जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने कोविड-19 की वैक्सीन पर जनवरी में ही काम करना शुरू कर दिया था और अब संभव है कि उसके टीके को जल्द ही इस्तेमाल की अनुमति मिल जाए. इस सफलता से कंपनी के तुर्क मूल के मालिक उगूर सहीन पर सबका ध्यान गया है और वो काफी धनी हो गए हैं. इस समय उनके शेयरों का अनुमानित मूल्य है 2.4 अरब बिलियन डॉलर.
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सफलता की सामग्री
खाना बनाने की सामग्री उपलब्ध कराने वाली कंपनी हेलोफ्रेश को रेस्तरां के बंद होने का पूरा फायदा मिल रहा है. लोग जम कर आर्डर कर रहे हैं और कंपनी के शेयरों का मूल्य महामारी के दौरान तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ा है. कंपनी के संस्थापक और शेयरहोल्डर डॉमिनिक रिक्टर अभी उन लोगों की बराबरी तो नहीं कर पाए हैं जिन्होंने महामारी में सबसे ज्यादा कमाई की, लेकिन उनके पास वहां पहुंचने की सारी 'सामग्री' है.
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अमेजन से और किसी को भी फायदा
अमेजन की सफलता से सिर्फ जेफ बेजोस ही और अमीर नहीं हुए. उनकी पूर्व-पत्नी मैकेंजी के पास भी कंपनी के कई शेयर हैं जिनकी बदौलत वो दुनिया के सबसे अमीर महिला बन गई हैं. अनुमान है कि उनके पास 72 अरब डॉलर मूल्य की संपत्ति है.
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