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अभिजीत बनर्जी समेत तीन लोगों को मिला अर्थशास्त्र का नोबेल

१४ अक्टूबर २०१९

भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी, एस्थर डुफ्लो और मिषाएल क्रेमर को इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.

Schweden |  Abhijit Banerjee, Esther Duflo und Michael Kremer ausgezeichnet mit Wirtschaftsnobelpreis
तस्वीर: Getty Images/AFP/H. Nackstrand

नोबेल पुरस्कारों का एलान करते हुए कहा गया कि इन तीन लोगों को वैश्विक गरीबी को दूर करने में प्रायोगिक रास्ता बनाने के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है. अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो अमेरिका में कैंब्रिज की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर हैं जबकि मिषाएल क्रेमर कैम्ब्रिज की ही हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में. पुरस्कार की राशि तीनों विजेताओं में बराबर बराबर बांटी जाएगी.

पुरस्कारों की घोषणा करते हुए नोबेल कमेटी ने कहा है कि इस साल के विजेताओं ने वैश्विक गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता को बहुत ज्यादा बढ़ाया है. इसके साथ ही कहा गया है कि इन तीनों के प्रयोग आधारित रास्ते ने डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स को बदल दिया है और अब यह रिसर्च का विकसित होता क्षेत्र है. 

अभिजीत बनर्जी भारत के कोलकाता में पले बढ़े हैं. एस्थर डुफ्लो अभिजीत की पत्नी हैं और डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट हैं. अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाली वे अब तक की दूसरी महिला हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Bresciani

नोबेल कमेटी की तरफ से जारी बयान  में कहा गया है कि हाल में हुई नाटकीय घटनाओं के बावजूद मानवता के सबसे अहम मुद्दों में एक है गरीबी को उसके सभी रूपों से हटाना. हर साल करीब 50 लाख बच्चे पांच साल से कम उम्र में दम तोड़ देते हैं. इन बच्चों को इनसे बचाया जा सकता है मामूली उपचार से उनका इलाज किया जा सकता है. दुनिया में बच्चों की आधी आबादी अब भी बुनियादी साक्षरता या फिर गिनती सीखे बगैर ही स्कूल छोड़ देती है.

पुरस्कार देने वाली कमेटी का कहना है कि इस साल के विजेताओं ने वैश्विक गरीबी से लड़ने के बेहतरीन तरीकों के बारे में भरोसेमंद जवाब ढूंढने का एक नया रास्ता बनाया है. कम शब्दों में कहें तो इसमें मुद्दे को छोटे और ऐसे सवालों में बदलना है जिनका प्रबंधन किया जासकता है. उदाहरण के लिए बच्चों की शिक्षा या स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सबसे असरदार दखल. इन लोगों ने दिखाया है कि इस तरह के छोटे, सटीक सवालों का, अकसर सावधानी से तैयार किए गए ऐसे लोगों पर प्रयोगों के जरिए जवाब दिया जा सकता है जो इनसे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

तस्वीर: Nobel Media/Niklas Elmehed

1990 के दशक में मिषाएल क्रेमर और उनके सहकर्मियों ने दिखाया कि यह रास्ता कितना बढ़िया है. उन्होंने पश्चिमी केन्या में स्कूल के नतीजों को बेहतर करने के लिए कई तरह के प्रयोग किए. अभिजीत बनर्जी, एस्थर डुफ्लो ने अकसर मिषाएल क्रेमर के साथ इस तरह के अध्ययन दूसरे मदुद् पर दूसरे देशों में किए. प्रायोगिक रिसर्च के तरीकों का अब डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स में दबदबा है.

अर्थशास्त्र का नोबेल आधिकारिक रूप से अल्फ्रेड नोबेल की याद में बैंक ऑफ स्वीडन की तरफ से दिया जाता है. इसे अल्फ्रेड नोबेल ने शुरू नहीं किया था. हालांकि इसे भी नोबेल पुरस्कार ही कहा जाता है. इसे स्वीडिश सेंट्रल बैंक रिक्सबांकेन ने 1968 में शुरू किया था. इसके एक साल बाद पहला पुरस्कार विजेता चुना गया.

बीते हफ्ते पांच श्रेणियों में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की गई. शांति पुरस्कार विजेता को छोड़ सभी विजेताओं को 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में ये पुरस्कार दिए जाएंगे. इसी दिन अल्फ्रेड नोबेल की मौत हुई थी. शांति पुरस्कार विजेता नॉर्वे के ओस्लो में पुरस्कार दिया जाएगा.

एनआर/एमजे (एपी, डीपीए)

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