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अभिव्यक्ति की आजादी या चिढ़ाने की

४ मई २०१५

गारलैंड में कार्टून प्रदर्शनी के बाहर हुई फायरिंग पर सोशल मीडिया में जोरदार बहस छिड़ चुकी है. एक तरफ सहिष्णुता की वकालत हो रही है तो दूसरी तरफ भड़काऊ कदमों की आलोचना.

USA Texas Mohammed Karikaturen Anschlag
तस्वीर: Reuters/Mike Stone

सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर #garlandshooting और Mohammed नाम के हैशटैग चल रहे हैं. एक तरफ जहां कुछ लोग बंदूकधारियों को इस्लाम से जोड़कर कट्टरपंथ की निंदा कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस प्रदर्शनी को जानबूझकर भावनाएं भड़काने वाला बता रहे हैं.

लोग मान रहे हैं कि गारलैंड में हुई वारदात ने "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम भड़ाकाऊ कार्रवाई" की बहस को फिर मुखर कर दिया है.

कार्टून प्रतियोगिता अमेरिकन फ्रीडम डिफेंस इनिशिएटिव ने आयोजित कराई थी. अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन के पत्रकार सईद अहमद ने इसी संगठन को लेकर जानकारी ट्वीट की.

कुछ यूजर्स ने इस पूरी घटना को ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया. एक ट्वीट में कहा गया, "यह शूटिंग हर लिहाज से दुखद और गलत है, लेकिन इसके आधार पर किसी एक धर्म को निशाना बनाना ठीक नहीं.

एक और ट्वीट कहता है, "मैं हर धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ हूं. जिन लोगों ने गोली चलाई वे गलत थे. पैम गेलर भी गलत हैं! नफरत भड़काने के लिए 1st ए का प्रयोग करना गलत है."

15 दिसंबर 1791 को किए गए अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन में सरकार के किसी भी ऐसे कानून को बनाने पर रोक लगाई गई, जिससे किसी धर्म विशेष का सम्मान हो या किसी भी धर्म का पालन करने पर रोक हो. इसके अलावा भाषा और अभिव्यक्ति की आजादी तथा शांतिपूर्ण सभाएं करने की स्वतंत्रता भी 'बिल ऑफ राइट्स' के दस संशोधनों में से एक थी.

ओएसजे/आरआर

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