भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन घटकर सिर्फ छह प्रतिशत रह गया है. बात सिर्फ उत्तर प्रदेश की नहीं है, कमोबेश पूरे देश में कांग्रेस सिमटती जा रही है.
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भारत में मौजूदा दौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के उभार का दौर है तो वहीं कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा है. सवा अरब की आबादी वाले भारत में हर छठा इंसान उत्तर प्रदेश में रहता है. राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बावजूद सिर्फ छह प्रतिशत वोट और सात सीटों पर जीत मिली.
देश पर 70 साल तक राज करने वाली पार्टी अब दिशाहीन दिखाई देती है. पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी देश के मतदाताओें पर कोई छाप छोड़ने में लगातार नाकाम साबित हो रहे हैं. अपनी मां और कांग्रेस सोनिया गांधी की बीमारी के चलते अब लगभग वही कांग्रेस पार्टी को चला रहे हैं. लेकिन बात नहीं चल पा रही है.
बावजूद इसके राहुल गांधी को पार्टी में कोई चुनौती नहीं दे रहा है. हालांकि कई नेता बदलाव की पैरवी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, कांग्रेस नेता अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा, "निराशा वाली कोई बात नहीं है. कुछ बहुत बड़े बदलाव करने होंगे और मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि बदलाव होंगे."
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
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गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
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अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
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मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
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मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
तस्वीर: IANS
2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.
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हालांकि हर कोई इतना आशावादी नहीं है. जम्मू कश्मीर के पू्र्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने ट्वीट किया, "आज ऐसा कोई नेता नहीं है जिसकी पूरे भारत में स्वीकार्यता हो और जो 2019 में मोदी और बीजेपी का मुकाबला कर सके." उनका इशारा भारत के अगले आम चुनावों की तरफ है. अब्दुल्लाह के मुताबिक, "इस हिसाब से तो 2019 को भूल ही जाइए और 2024 की तैयारी कीजिए."
विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस इस समय नेतृत्व के संकट से जूझ रही है. भारतीय थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के अध्यक्ष प्रताप भानु मेहता ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा, "राहुल गांधी अब पार्टी के लिए लगातार बोझ बनते जा रहे हैं." मेहता के मुताबिक राहुल गांधी के खिलाफ कोई खुली बगावत नहीं है और इसलिए पार्टी आज इस बिंदु तक पहुंची है.
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के जाने माने फेलो और पर्यवेक्षक अशोक मलिक कहते हैं, "मोदी असरदार हैं और 24 घंटों उनकी मौजूदगी दिखाई देती है. राहुल गांधी के रहते उनके लिए कोई मुकाबला ही नहीं है." गोवा और मणिपुर जैसे जिन राज्यों में कांग्रेस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, वहां भी बीजेपी ने उसे मात देते हुए अपनी गठबंधन सरकारें बना लीं.
क्यों इतना अहम है यूपी का चुनावी नतीजा
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनावी नतीजों ने तो बीजेपी को केसरिया होली खेलने का मौका दे दिया है. देखिए कितनी अहम है इन राज्यों में दर्ज की गई जीत.
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यूपी में एसपी और बीएसपी को नकारते हुए जनता ने मोदी की बीजेपी को जनादेश दिया है. आखिरी बार यूपी में बीजेपी की सरकार 2002 में थी. 1980 के बाद से पहली बार उत्तर प्रदेश में किसी एक दल ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की है.
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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, दोनों राज्यों में बीजेपी का यह अब तक का सबसे बड़ा स्कोर है. बीजेपी को 403 सीटों वाले यूपी में 300 के पार, जबकि 70 सीटों वाले उत्तराखंड में 50 से भी ज्यादा सीटें हासिल हुई हैं.
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एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के वोटरों ने पहले केंद्र में और अब कई राज्यों में भी चुनाव जिता कर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अपना भरोसा जताया है. बीते नवंबर में नोटबंदी के कड़े कदम के बावजूद राज्य चुनावों में उसका कोई असर नहीं दिखा.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मोदी ने इस बार रिकॉर्ड 24 रैलियां कीं. चुनाव नतीजों से साफ है कि मोदी के व्यक्तित्व और लोकप्रियता के सामने फिलहाल कोई नहीं टिकता. नोटबंदी को काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम मनवाने में वह सफल रहे हैं.
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रुझानों की शुरुआत से ही यूपी, उत्तराखंड समेत बाकी राज्यों के बीजेपी कार्यालयों के बाहर जश्न का माहौल बनने लगा. लखनऊ और दिल्ली में कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर नाचते भी नजर आए.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे घनी आबादी वाला राज्य है. लगभग 22 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है. मोदी के विरोधी उनकी पार्टी पर राज्य में सांप्रदायिक तनाव और समाज को बांटकर वोट पाने का आरोप लगाते हैं.
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राज्य में बीजेपी का कोई भी विरोधी दल उसे टक्कर नहीं दे सका. मिल कर चुनाव लड़ने के बावजूद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन 23 फीसदी वोट भी हासिल नहीं कर पाया.
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कई विश्लेषकों की राय है कि अब 2019 के आम चुनाव में भी मोदी को दूसरी पारी जीतने से कोई रोक नहीं पाएगा. केंद्र की ही तरह यूपी में भी विपक्ष के कमजोर होने के कारण बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज करने में कामयाबी पायी.
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ताजा विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के लिए संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में बहुमत हासिल करने का रास्ता खुलेगा, जिससे मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में अपने अहम बिलों को पास कराना आसान होगा.
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निवेशकों को उम्मीद है कि यूपी जैसे बड़े राज्यों में जीत से बीजेपी के लिए राष्ट्रीय बिक्री कर लगाने और आर्थिक प्रगति के उपाय करना आसान होगा.
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भारतीय चुनावों पर 'व्हेन क्राइम पेज' नाम से किताब लिखने वाले और वॉशिंगटन के कारनेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के सीनियर फेलो मिलन वैष्णव कहते हैं, "कांग्रेस ने पहले भी वापसी की है, लेकिन अपनी कमियों को दूर करने की इच्छा उन्होंने कभी नहीं दिखाई." बहुत से विश्लेषक मानते हैं कि राहुल गांधी या उनकी बहन प्रियंका गांधी के लिए एक विकल्प यह हो सकता है कि वह पार्टी की केंद्रीय कमान अपने हाथ में रखें और राज्य स्तर पर नेताओं की एक पीढ़ी तैयार करें जो मतदाताओं के बीच पार्टी का आधार तैयार कर सकें.
इसके अलावा प्रांतीय और स्थानीय स्तर पर गठबंधन बना कर बीजेपी को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. हालांकि विश्लेषकों को इस बात की कम ही उम्मीद है कि कोई भी विपक्षी गठबंधन मोदी के दूसरे कार्यकाल में कोई अड़चन बनेगा. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का समाजवादी पार्टी से गठबंधन बेअसर साबित हुआ. राहुल गांधी के अमेठी तक में पार्टी चारों सीटें हार गई.