"अभी कुछ कहना जल्दबाजी"
२५ जून २०१४रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेन्द्र कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "शुरुआती तौर पर यह एक साजिश दिखाई देती है. पटरी पर एक धमाका हुआ था, जिसके कारण रेल पटरी से उतरी हो सकती है." वहीं रेलवे के मुख्य प्रवक्ता अनिल कुमार सक्सेना ने जानकारी दी कि सबूत इकट्ठा करने के लिए घटनास्थल पर विशेषज्ञों का एक दल भेजा गया है. उन्होंने कहा, "एक आशंका ये भी है कि ये माओवादियों की साजिश हो."
वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी पर आरोप लगाना अभी बहुत जल्दबाजी होगी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दुर्घटना का कारण तकनीकी गड़बड़ी बताया है.
माओवादियों ने सुरक्षा बलों और पुलिस के विरोध में एक दिन की हड़ताल बुलाई थी. पुलिस ने जानकारी दी है कि उन्हें पास के बाजार में रखे गए तीन देसी बम भी मिले हैं.
अगर साबित हो जाता है कि ये माओवादी हमला है तो नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में होने वाला ये पहला इस तरह का हमला होगा. भारत के पूर्वोत्तर, पश्चिमोत्तर और मध्य के कई इलाकों में माओवादी और अलगाववादियों का प्रभाव है. इनमें छत्तीसगढ़, बिहार, ओडीशा, झारखंड और महाराष्ट्र भी शामिल हैं.
दुर्घटना रात दो बजे बिहार के सारन जिले में हुई. एक यात्री, राम प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें बहुत जोर की आवाज सुनाई दी, "डब्बे पलटने लगे. ऊपर की बर्थ का यात्री मेरे ऊपर आ गिरा. किसी तरह हम लोग उठे और हमें बाहर निकलने के लिए एक छोटी सी जगह मिल गई." चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.
यात्रियों को बाद में रिलीफ ट्रेन से आगे ले जाया गया. वहीं पटरी को फिर से बिठाने का काम भी शुरू कर दिया गया. पिछले ही महीने उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई. 2012 में जारी एक रिपोर्ट में सरकार ने कहा कि हर साल रेलवे ट्रेक पर 15,000 लोगों की जान जाती है.
रेलवे ने मृतकों के परिजनों के लिए दो लाख, गंभीर रूप से घायल यात्रियों के परिजनों को एक लाख और चोटिल यात्रियों को 20,000 रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है.
एएम/ओएसजे (एएफपी, पीटीआई)