जिंक, सीसा, चांदी, तांबा, लौह अयस्क और अल्युमिनियम खनन में सक्रिय वेदांता अब तूतीकोरिन की अपनी योजना से पीछे हटने पर विचार कर रही है. तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी स्टरलाइट कॉपर को बंद करने के आदेश दिए हैं.
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भारत के अरबपतियों में शुमार वेदांता के चैयरमेन अनिल अग्रवाल का सपना रहा है कि उनकी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज दुनिया में विशाल संसाधन संपन्न कंपनी बन जाए. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वह कई बड़ी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदते रहे हैं. हाल में उनकी योजना अफ्रीका में तकरीबन एक अरब यूरो के निवेश की भी थी. लेकिन उनके इस सपने पर फिलहाल फुल-स्टॉप लगता नजर आ रहा है.
तूतीकोरिन में हुई हिंसा के बाद वेदांता अनिल अग्रवाल ने एक इंटव्यू में कहा है कि वह तूतीकोरिन की योजना से पीछे हटने पर विचार कर रहे हैं. कंपनी ने तूतीकोरिन में हुई घटना पर खेद जताया. कंपनी ने कहा कि वह प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि कर्मचारियों समेत आसपास के समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इन सब के बावजूद कारोबारी हालात वेदांता के लिए जल्द सामान्य होंगे, इस पर संदेह है.
कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े सौदे
भारतीय कंपनी टाटा मोटर्स ने जब 2008 में ब्रिटिश कंपनी जैगुआर लैंड रोवर को 2.3 अरब डॉलर में खरीदा तो लोग हैरान हो गये. लेकिन यह कोई बहुत महंगा सौदा नहीं था. एक नजर सबसे महंगे सौदों पर.
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9. रॉयल डच शेल-बीजी ग्रुप, 81.6 अरब डॉलर
2015 में हॉलैंड की कंपनी रॉयल डच शेल ने ब्रिटिश ऑयल और गैस जीपी को खरीदा.
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8. एक्सोन-मोबिल डील, 85.6 अरब डॉलर
1998 में अमेरिकी ऑयल एंड गैस कंपनी एक्सोन और मोबिल का विलय हुआ.
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7. आरबीएस-एबीएन एमरो होल्डिंग, 95.6 अरब डॉलर
2007 में ब्रिटिश बैंकिंग कंपनी रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड ने हॉलैंड की बैंकिंग कंपनी एबीएन एमरो होल्डिंग को खरीदा.
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6. एटी एंड टी-बेल साउथ, 101.9 अरब डॉलर
अमेरिका की बहुराष्ट्रीय टेलिकॉम कंपनी ने 2007 में बेलसाउथ को खरीदा.
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5. अल्ट्रिया ग्रुप- फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल, 111.3 अरब डॉलर
अमेरिकी तंबाकू कंपनी अल्ट्रिया ग्रुप ने फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल को 2008 में खरीदा.
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4. फाइजर-वार्नर लामबेर्ट, 111.8 अरब डॉलर
अमेरिकी दवा निर्माता फाइजर ने अमेरिका की इस दवा कंपनी को 2008 में खरीदा.
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3. एओएल- टाइम वार्नर, 112.1 अरब डॉलर
एओएल के नाम से मशहूर मास मीडिया कंपनी अमेरिका ऑनलाइन लिमिटेड और टाइम वार्नर का विलय हुआ.
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2. वेरीजोन कम्युनिकेशन-वेरीजोन वायरलैस, 130.1 अरब डॉलर
2013 में अमेरिकी टेलिकॉम कंपनी वेरीजोन कम्युनिकेशन ने वोडाफोन से वेरीजोन वायरलैस के 45 फीसदी शेयर खरीदे.
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1. वोडाफोन एयरटच-मानेसमान, 172 अरब डॉलर
नवंबर 1999 का यह सौदा आज तक कॉरपोरेट जगत की सबसे बड़ी डील है. इसके तहत ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेश कंपनी वोडाफोन एयरटच ने जर्मनी टेलिफोन कंपनी मानेसमान को खरीदा.
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बैंकर्स और विश्लेषकों के मुताबिक देश में वेदांता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, अदालत में लगा जुर्माना, बड़ी योजनाओं और खदानों का बंद होना और पर्यावरण के नुकसान का आरोप, कंपनी से बड़ी कीमत वसूल सकता है. विश्लेषक मानते हैं कि इन सब बातों से कंपनी की साख को धक्का लगा है. नतीजतन यह कंपनी के चैयरमेन की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है. तूतीकोरिन: किसकी पुलिस, किसकी जनता?
सलाहकारी कंपनी इनगवर्न के कार्यकारी निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यम कहते हैं, "इन मामलों के बाद अब निवेशक अधिक सचेत होकर निवेश करेंगे. इसका असर कारोबार पर लंबे समय तक नजर आएगा. सुब्रमण्यम कहते हैं, "तूतीकोरिन में हुई हिंसा इस ओर भी इशारा करती है कि कंपनी ने पर्यावरण और स्वास्थ्य कारकों की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया."
पिछले महीने अपने ट्वीट कर अग्रवाल ने कहा था कि उनकी कंपनी विदेशी साजिश का शिकार हो रही है. बिना किसी कंपनी का नाम लिए उन्होंने कहा था कि यह ऐसी साजिश है जो भारत को आयात पर निर्भर बनाए रखने के लिए चलाई गई है. तूतीकोरिन में हुई हिंसा के बाद अदालत ने भी वेदांता की चार लाख टन प्रतिवर्ष स्टरलाइट कॉपर परियोजना के विस्तार पर रोक लगा दी है. वेदांता ने ऐसे सारे आरोपों को भी खारिज किया है जिनमें कहा गया है कि वह संयंत्र को जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश कर रही है.
ये हैं भारत की 10 सबसे पुरानी कंपनियां
स्टार्टअप के दौर में जहां हर रोज देश में नई कंपनियां खुल रही हैं और बंद हो रही हैं तो वहीं आज देश में तमाम ऐसी कंपनियां भी चल रही हैं जिनकी उम्र 100 साल से भी ज्यादा है. डालते हैं एक नजर इन कंपनियों पर.
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जेसॉप एंड कंपनी
ब्रिटिश इंजीनियर विलियम जेसॉप ने इस कंपनी की स्थापना साल 1788 में की थी. पहले इसे ब्रीन एंड कंपनी कहा जाता था. कोलकाता का हावड़ा पुल बनाने का श्रेय भी इसी कंपनी को जाता है. हालांकि आज यह कंपनी रुइया समूह में शामिल है.
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बॉम्बे डाइंग कंपनी
साल 1879 में कंपनी की स्थापना की गई थी. डायिंग कारोबार में बड़े नुकसान झेलने के बाद कंपनी ने खुद को टेक्सटाइल कारोबार की तरफ मोड़ लिया. यह वह दौर था जाब भारतीय कपड़ा कंपनियों ने चीन के निर्माताओं से माल निर्यात करना बंद कर दिया था. अभिनेत्री प्रीति जिंटा के साथ अफेयर के चलते सुर्खियों में आए नेस वाडिया साल 2011 तक बॉम्बे डाइंग के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर भी रहे.
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डाबर
आयुर्वेदिक दवाओं को बेचने वाली इस कंपनी को साल 1884 में शुरू किया गया था. इसके संस्थापक एसके बर्मन पेशे से एक डॉक्टर थे. इस कंपनी को बाजार में अपनी पहचान में लंबा संघर्ष करना पड़ा. लेकिन साल 1990 के बाद से कंपनी के कामों में तेजी आई. आज इस कंपनी में सात हजार से भी अधिक लोग काम करते हैं.
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किर्लोस्कर ब्रदर्स
साल 1888 में लक्ष्मणराव किर्लोस्कर ने इस कंपनी की नींव रखी थी. पहले यह महज एक ट्रेडिंग कंपनी के रूप में स्थापित की गई थी. लेकिन आज यह देश में पंप और वॉल्व बनाने वाली 1.4 अरब डॉलर की सबसे बड़ी कंपनी है. आज कंपनी के चैयरमेन है संजर किर्लोस्कर.
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ब्रिटानिया
साल 1892 में कलकत्ता के एक गुप्ता परिवार ने महज 295 रुपये से बिस्कुट बनाने वाली इस दुकान को शुरू किया था. दुकान बढ़ी और यह भारत में मशीन से बिस्कुट बनाने वाली पहली कंपनी बन गई. दूसरे विश्व युद्ध मे लड़ने वाली सेनाओं को यह कंपनी बिस्कुट भेजा करती थी जिससे इसकी अच्छी कमाई हुई. वाडिया इंटरप्राइज के अंदर आने वाली इस कंपनी में आज तीन हजार से भी अधिक लोग काम करते हैं.
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सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज
साल 1897 में नौरोसजी एन वाडिया ने इस कंपनी की शुरुआत की थी. नौरोसजी, बॉम्बे डायिंग कंपनी के मालिक नुस्ली वाडिया के दादा थे. अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान कॉटन की बढ़ती मांग को देखने के बाद वाडिया ने यह कंपनी खड़ी की थी. लेकिन तीन दशक बाद बाजार में इसके मुख्य प्रतिस्पर्धी चुन्नीलाल मेहता ने इसे खरीद लिया. और, मेहता के बाद आरडी बि़ड़ला ने इसे खरीद लिया. तब से आज तक यह कंपनी बिड़ला समूह के पास है.
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गोदरेज
साल 1897 में आर्देशर गोदरेज और उनके भाई पिरोजशा गोदरेज ने इस कंपनी की स्थापना की थी. आर्देशर प्रोडक्ट्स में नयापन लाने के लिए मशहूर थे. कारोबार को समझने के लिए उन्होंने विदेशों की यात्रा और कई नई तकनीकों को कंपनी में इस्तेमाल किया. साल 1911 में जब किंग जॉर्ज पंचम और उनकी रानी मेरी, दिल्ली की यात्रा पर आए तो उनके कीमती सामानों को गोदरेज की तिजोरियों में ही रखा गया.
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शालीमार पेंट्स
साल 1902 में बनी यह कंपनी दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी पेंट कंपनी है. आज तमाम सरकारी कंपनियां मसलन राष्ट्रपति भवन, एनटीपीसी, भारतीय रेलवे, बीपीसीएल और आईओसी इसके नियमित ग्राहक बने हुए हैं. आज इस कंपनी में तीन हजार से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं.
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टाटा स्टील लिमिटेड
साल 1907 में जमशेदजी टाटा ने इस कंपनी की शुरू किया था. कंपनी ने देश की पहली पंचवर्षीय योजना के तहत होने वाले कई निर्माण कार्यों के लिए स्टील की आपूर्ति की.आज यह दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी स्टील कंपनी है. टाटा समूह के अंतर्गत आने वाली इस कंपनी में आज 74 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं.
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टीवीएस
टीवीएस मोटर कंपनी आज दुपहिया वाहन बनाने वाली भारत की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है. लेकिन जिस वक्त इसे शुरू किया गया था उस दौर में घोड़े गाड़ी और बग्घियों पर चलने वाले जमींदारों को गाड़ियां बेचना आसान नहीं था. इस कंपनी की स्थापना साल 1911 में टीवी सुंदरम अयंगर ने की थी. लेकिन इसने अच्छे से काम साल 1912 से शुरू किया. टीवीएस सुंदरम समूह के अंदर आने वाली इस कंपनी का टर्नओवर आज चार अरब से भी अधिक है.
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विश्लेषकों के मुताबिक कंपनी के कुल लाभ में कॉपर की हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी है. वेदांता पर मचे इस विवाद ने कंपनी के शेयरों को काफी नीचे धकेल दिया है. साल 1996 में चालू हुए वेदांता के इस तूतीकोरिन प्लांट के खिलाफ पहले भी कई मामले सामने आए हैं. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी पर पर्यावरण कानून तोड़ने के चलते 1.8 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था. इसके पहले 2010 में ओडिशा की नियामगिरी की पहाड़ियों पर माइनिंग क्लियरेंस के मामले में वेदांता का नाम उछला था लेकिन कंपनी को केंद्रीय पर्यावरण और वन्य मंत्रालय ने नियामगिरी में माइनिंग का क्लियरेंस देने से इनकार कर दिया था.