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अभी भी होता है बुल्गारिया के बनजारों के साथ भेदभाव

१४ फ़रवरी २०१९

जनवरी के एक सर्द दिन इवांका अंगेलोवा अपनी बेटी और चार पोतों के साथ घर पर थीं, जब गांव का मुखिया आया और उसने उन्हें गांव छोड़ देने को कहा.

Das sog. Roma-Viertel in der bulgarischen Stadt Kurdjal
तस्वीर: DW/V. Bayryamova

पड़ोस के दो भाइयों पर एक स्थानीय निवासी को पीटने का आरोप था. पिटने वाला सैनिक था. अभियुक्तों की तरह अंगेलोवा भी अल्पसंख्यक रोमा समुदाय की हैं. उसने बताया कि मुखिया ने उनसे कहा कि गांव वाले बदला लेने पर उतारू हैं. उन पर हमला हो सकता है, उनकी जान खतरे में है.

इवांका और रोमा समुदाय के 76 निवासियों में से अधिकांश लोग उसी शाम वोयवोदिनोवो गांव छोड़कर भाग गए और वहां से दस किलोमीटर दूर देश के दूसरे सबसे बड़े शहर प्लोवदीव चले गए. आंखो से झलकते आंसू पोछते हुए इवांका कहती हैं, "हम टूटे अंडे की तरह यहां वहां बिखर गए." 2007 में यूरोपीय संघ में शामिल होने वाला बुल्गारिया इस संगठन का सबसे गरीब देश है और यहां कभी भारत से गए बनजारा समुदाय की सबसे बड़ी आबादी रहती है.

दूसरे यूरोपीय देशों की तरह यहां भी रोमा समुदाय के लोग समाज के हाशिए पर रहते हैं और काम पाने की जद्दोजेहद में लगे रहते हैं. मानवाधिकार संस्था बुल्गारिया हेलसिंकी कमिटी का कहना है कि छोटी छोटी बस्तियों में रहने वाले लोगों को तो कानूनी अड़चनें भी झेलनी पड़ती है. जब अंगेलोवा और उसका परिवार भाग गए तो अधिकारियों ने गांव के छोर पर बसे 17 घरों की उनकी छोटी बस्ती को भी तोड़ना शुरू कर दिया. दूसरे घरों पर भी नोटिस लगा दिया गया कि उनके घरों को भी तोड़ा जाएगा.

ऐसे तोड़े जाते हैं घरतस्वीर: BGNES

न कोई पट्टा न कोई हक

2011 में हुई जनगणना के अनुसार बुल्गारिया की 73 लाख की आबादी में 3,25,000 रोमा समुदाय के हैं, यानि आबादी का 5 प्रतिशत. इसके विपरीत यूरोपीय संघ का अनुमान है कि बुल्गारिया में रोमा की संख्या 7,50,000 है, सरकारी आंकड़े की दोगुनी. वोयवोदिनोवो गांव से रोमा लोगों के भागने के बाद वहां राष्ट्रवादियों और अति दक्षिणपंथियों ने रातों को बैठकें कीं. और दो दिन बाद 8 जनवरी को देश के उप प्रधानमंत्री और राष्ट्रवादी पार्टी के नेता क्राजीमिर काराकाचानोव ने इस घटना की चर्चा करते हुए कहा, "जिप्सी बढ़ते पैमाने पर गुस्ताख होते जा रहे हैं."

बुल्गारिया हेलसिंकी कमिटी ने अपने फेसबुक पेज पर "सरकारी अधिकारियों के नस्लवादी भाषणों के बढ़ते मामले और रोमा समुदाय को दी जाने वाली सामूहिक सजा के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता" व्यक्त की है. मानवाधिकार संगठन ने कहा है कि इस मामले में स्थानीय अधिकारियों की कार्रवाई रोमा बासिंदों को रहने की वैकल्पिक व्यवस्था के बिना जबरदस्ती हटाए जाने के बहुत से ऐसे ही मामलों से मिलती जुलती है. नजीतन ये लोग बेघर हो जा रहे हैं.

चुनाव की परछाई

दूसरे नागरिक अधिकार दल भी रोमा समुदाय के साथ हो रहे व्यवहार पर चिंतित हैं. समान मौका पहल संगठन रोमा समुदाय के विकास के लिए काम करता है. इस संगठन ने 2017 के एक सर्वे के हवाले से कहा है कि एक चौथाई रोमा घर अवैध हैं जिनके पास जमीन का पट्टा नहीं है और न ही घर बनाने का लाइसेंस है. बहुत से मामलों में उनके पास दोनों ही नहीं है. संगठन के अनुसार 2012 से 2016 तक करीब 60 प्रतिशत नगरपालिकाओं द्वारा दी गई सूचना के अनुसार तोड़े गए 444 घरों में 399 रोमा समुदाय के निवासी का था.

रिपोर्ट के लेखकों में एक डानिएला मिहायलोवा कहती हैं कि गिराए जाने वाले घरों की संख्या और चुनाव के बीच संबंध दिखता है. राष्ट्रवादी पार्टियां समाज में रोमा विरोधी भावना का इस्तेमाल अपने वोटरों का समर्थन जुटाने में कर रही है. रोमा एजुकेशन फंड के ओग्नियान इसाएव के अनुसार लोगों को लक्ष्य बनाने की दक्षिणपंथी गठबंधन की नीति भ्रष्टाचार के मामलों पर से लोगों का ध्यान हटाने के लिए भी इस्तेमाल होती है.

स्टोलिपिनोवो में सड़क पर खेलते बच्चेतस्वीर: DW/V. Bojilova

जाएं तो जाएं कहां

अंगेलोवा का कहना है कि वे अपने घर में बचपन से ही रह रही थीं. लेकिन वोयवोदिनोववो के मुखिया दिमितार तोसेव का कहना है कि जमीन सरकार की है और रोमा परिवारों से कह दिया गया है कि उन्हें वहां से जाना होगा. उनका ये भी कहना है कि गांव के लोगों ने लंबे समय से चली आ रही इस समस्या को हल करने को कहा है. मुखिया ने कहा कि रोमा लोगों को तब तक अकेला छोड़ दिया गया था जब तक झगड़े के कारण गुस्सा नहीं भड़का था, उसके बाद उन्हें कार्रवाई करने के लिए बाध्य होना पड़ा.  

जिन लोगों का घर तोड़ दिया गया है उनके बारे में मुखिया का कहना है कि उनके पास दूसरी जगह जाने को जगह है, "वे वहां जाएंगे जहां उन्हें जाना चाहिए." अंगेलोवा के मामले में वह प्लोवदीव के स्टोलिपिनोवो इलाके में रहने गई हैं जहां घनी आबादी वाले इलाके में 50,000 लोग रहते हैं. उनका परिवार एक दोस्त के अपार्टमेंट में रह रहा है जहां अब 18 लोग रहते हैं. गांव में अंगेलोवा कभी कभी काम कर कुछ कमा लेती थी. वहां उसका घर था, उसकी जिंदगी थी. "अब हम कहां जाएं, हमारे पास काम नहीं है कमाई नहीं है. मुझे पता नहीं कैसे जिएंगे."

एमजे/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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