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अमरनाथ यात्रियों पर हमला

११ जुलाई २०१७

सोमवार देर शाम आतंकवादियों ने अमरनाथ की यात्रा पर जा रहे तीर्थयात्रियों पर हमला कर छह लोगों की जान ले ली. इस हमले में कम से कम 14 लोग घायल भी हुए हैं. हमला तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हुआ.

Indien Pilger in Kaschmir, Anschlag in Amarnath
तस्वीर: Reuters/D. Ismail

इस हमले के बावजूद मंगलवार सुबह 3000 से ज्यादा लोग यात्रा पर रवाना हुए. यात्रा में कोई रुकावट नहीं आई है. अमरनाथ ले जा रही तीर्थयात्रियों की बसों के लिए सुरक्षा और बढ़ा दी गई है. हमला करने वालों की तलाश में पुलिस और सुरक्षाबल छापे मार रहे हैं. 

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत तमाम राजनीतिक दलों ने इस हमले की निंदा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले पर गहरा दुख जताया है. हर साल दो महीने तक चलने वाली यात्रा की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर है. सीआरपीएफ का कहना है कि आतंकवादियों ने पहले एक सुरक्षा नाके पर हमला किया लेकिन इसमें कोई जख्मी नहीं हुआ. सीआरपीएफ के मुताबिक, "इसके बाद फिर, बाटिंगु में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला हुआ और आतंकवादी अरवानी की तरफ भाग गये." आतंकवादियों ने बस को तीन तरफ से घेर कर गोलीबारी की. इस बस में गुजरात से आये 50 तीर्थयात्रियों का जत्था सवार था. सुरक्षा बल हमलावरों की तलाश में जुटे हैं लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं.   

भारत प्रशासित कश्मीर में करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद अमरनाथ की गुफा में बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल हजारों तीर्थयात्री जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है, "जम्मू कश्मीर में तीर्थयात्रियों पर हुए कायरतापूर्ण हमला हमले से इतना दुख हुआ है जिसे शब्दों में बया नहीं किया जा सकता. भारत इस तरह की नफरत फैलाने वाली कायराना हरकतों के आगे कभी नहीं झुकेगा." इससे पहले साल 2000 में भी अमरनाथ के तीर्थयात्रियों पर हमला हुआ था जिसमें 30 लोग मारे गए थे.

तस्वीर: Reuters/D. Ismail

पुलिस सुपरिटेंडेंट अल्ताफ खान ने इस हमले के पीछे पाकिस्तानी चरमपंथी गुट लश्कर ए तैयबा का हाथ बताया है. हालांकि लश्कर ने इससे इनकार किया है. उनका कहना है कि भारत सरकार कश्मीरी लोगों की आजादी की लड़ाई को बदनाम कर रही है. हमले के पीछे सुरक्षा में चूक की बात भी कही जा रही है. सीआरपीएफ का कहना है कि शाम सात बजे के बाद हाइवे पर बसें नहीं भेजी जातीं लेकिन इस बस के साथ ऐसा नहीं हुआ. 

तस्वीर: Reuters/D. Ismail

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने "सभी सही सोच वाले कश्मीरियों" से इस हमले की एक सुर में निंदा करने का आग्रह किया है. उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया है, "यह वक्त हमारे लिए खुद को परिभाषित करने का है. क्या हम लोग...इसके खिलाफ खड़े होंगे. हमारे नाम पर कोई आतंक और हत्या ना हो." अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुक ने भी हमले की निंदा की है. मीरवाइज ने ट्वीट किया है, "यात्रियों की हत्या की दुर्भाग्यपूर्ण खबर जैसे ही हम तक पहुंची हमारे नेता और कश्मीर के लोग दुखी और परेशान हो गये. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुक, यासीन मलिक और सैयद अली गिलानी ने संयुक्त बयान जारी कर इस घटना की घोर निंदा की है.

एक दिन पहले ही श्रीनगर में बुरहान वानी की बरसी पर माहौल काफी तनाव भरा था. कर्फ्यू होने के बावजूद कई इलाकों में लोगों ने मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया था. जम्मू कश्मीर में 2014 से भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी की गठबंधन सरकार है. 

एनआर/एके (एपी, एएफपी)

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