यूरोप के सबसे अमीर देश जर्मनी में 51 लाख से ज्यादा लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे हर रोज ढंग का खाना खा सकें. यह हाल जर्मनी की 7.5 फीसदी आबादी का है.
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जर्मनी में बेरोजगारों की एक तिहाई आबादी बुरी गरीबी में घिरी है. लेफ्ट पार्टी के सवाल पर जवाब देते हुए संघीय सांख्यिकीय ऑफिस ने इससे जुड़े आंकड़े दिए हैं. आंकड़ों के मुताबिक जर्मनी में 30.3 फीसदी बेरोजगारों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वे हर रोज पौष्टिक भोजन ले सकें.
16 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे लोगों की संख्या 51 लाख 40 हजार है. यह जर्मन आबादी का 7.5 फीसदी हिस्सा है. जर्मनी की जनसंख्या 8.24 करोड़ है. बेरोजगारों की तंगहाली का यह डाटा 2017 के यूरोपीय संघ के एक सर्वे से लिया गया है. सर्वे में आमदनी, सामाजिक समावेश और जीवन की परिस्थितियों को आधार बनाया गया था.
सर्वे में यह भी पता चला कि 16 साल से ज्यादा उम्र के एक तिहाई जर्मन अचानक 1,000 यूरो का खर्च भी बर्दाश्त नहीं कर सकते. आम तौर पर कार की मरम्मत कराने या नई वॉशिंग मशीन खरीदने जैसी जरूरतें पूरी करना उनकी सीमा के बाहर होता है. लेफ्ट पार्टी की सामाजिक नीतियों की नेता साबिने जिमरमन ने नॉय ऑसनाब्रुक साइंटुग अखबार से बात करते हुए कहा, "जर्मनी में गरीबी कोई दुलर्भ मामला नहीं है, ये आबादी के बीच पसरी हुई है."
यह आंकड़े दावोस में हुए वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के बाद आए हैं. बीते एक दशक से वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हमेशा अमीरी और गरीबी के बढ़ते फासले पर चिंता जताई जाती है. हाल ही में आई ऑक्सफैम की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 26 अमीरों के पास 3.8 अरब लोगों के बराबर संपत्ति है. 2018 में दुनिया भर में 2,200 अरबपतियों की संपत्ति 900 अरब डॉलर बढ़ी. वहीं आधी गरीब आबादी की कुल संपत्ति में 11 फीसदी की कमी आई.
(गरीबी से जूझते अमीर देशों के बच्चे)
गरीबी से जूझते अमीर देशों के बच्चे
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के अमीर देशों में हर पांचवा बच्चा गरीबी में रहता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जरूरी नहीं कि अमीर देश हो तो वहां बच्चों की स्थिति अच्छी होगी.
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खराब हालात
संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ के मुताबिक दुनिया के अमीर मुल्कों में बच्चे व्यापक गरीबी से जूझ रहे हैं. यूनिसेफ ने इस स्टडी में दुनिया के 41 उच्च और मध्यम आय वाले देशों को शामिल किया था.
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शामिल देश
सर्वे में यूरोप, पूर्वी एशिया और उत्तरी अमेरिका के तमाम देशों समेत इस्राएल, मैक्सिको और चिली को भी शामिल किया गया था.
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सकारात्मक बदलाव
रिपोर्ट ने बच्चों और युवाओं पर दिख रहे सकारात्मक रुझानों पर भी चर्चा की है. रिपोर्ट कहती है कि युवाओं में नशे की लत घटी है और किशोरावस्था में गर्भधारण करने के मामलों में भी गिरावट आयी है.
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बेहतर जीवन
बच्चों के लिए जिन देशों को बेहतर माना गया है उनमें डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, जर्मनी, स्विजरलैंड, दक्षिण कोरिया, स्लोवेनिया और नीदरलैंड्स प्रमुख हैं. दक्षिणी और पूर्वी यूरोप और लैटिन अमेरिकी देशों में बाल गरीबी दर सबसे अधिक है.
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नहीं चला रसूख
शक्तिशाली देशों में शुमार अमेरिका भी बाल गरीबी से जूझ रहा है. वहां के तकरीबन 30 फीसदी बच्चे गरीब हैं जो 21 फीसदी की वैश्विक औसत गरीबी दर से कही अधिक है.
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पैसा काफी नहीं
यूनिसेफ के मुताबिक उच्च आय बाल जीवन की गुणवत्ता तय नहीं कर सकती. मसलन जापान, अमेरिका और कनाडा जैसे अमीर देशों में बाल गरीबी घटाने के लिये सबसे कम नीतियां हैं.
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अपर्याप्त भोजन
अमीर देशों में हर आठ में से एक बच्चे को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता. वहीं तुर्की और मेक्सिको में हर तीन में से एक बच्चे के लिये पर्याप्त भोजन नहीं है. इन देशों में 15 साल की उम्र वाले एक तिहाई बच्चे पढ़ना-लिखना नहीं जानते हैं.