1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अमीर देश दे सकते हैं दूसरों को टीके

१७ मई २०२१

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के देशों से अपील की जा रही है कि वो कोविड के टीकों की कमी से जूझ रहे देशों की मदद करें. दुनिया की मदद करने के लिए अमीर देशों को अपने टीकों में से सिर्फ 20 प्रतिशत साझा करने की जरूरत है.

Symbolbild GAVI - Impfallianz
तस्वीर: STR/NurPhoto/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार संस्था यूनिसेफ ने कहा है कि जी7 और यूरोपीय संघ के सदस्य देश बिना अपने हितों के साथ समझौता किए उन देशों को कोविड टीकों की 15 करोड़ खुराकें दे सकते हैं जो इस समय इनकी कमी से जूझ रहे हैं. ब्रिटेन की एक कंपनी एयरफिनिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि इन देशों ने जून, जुलाई और अगस्त में इस्तेमाल करने के लिए अपने पास टीकों की जो खुराक जमा कर रखी है, वो अगर उसमें से सिर्फ 20 प्रतिशत दुनिया के साथ साझा करें तो दुनिया में टीकों की कमी को कुछ कम किया जा सकता है.

यूनिसेफ की निदेशक हेनरियेट्टा फोर ने कहा, "और ये देश अपने नागरिकों से किए गए टीकाकरण के वादों को पूरे करने के साथ-साथ ऐसा कर सकते हैं." कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका जी7 समूह के सदस्य हैं और जून में ब्रिटेन में जी7 का शिखर सम्मलेन होने वाला है. यूनिसेफ ने कहा कि उस समय तक टीकों के अंतरराष्ट्रीय वितरण के लिए बने गठबंधन गावी के पास उसकी योजना के मुकाबले 15 करोड़ खुराकों की कमी हो जाएगी.

भारत की भूमिका

गावी के तहत कोवैक्स नाम का कार्यक्रम चल रहा है जिसमें उसका साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और कोअलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस (सीईपीआई) दे रहे हैं. टीकों में आई कमी के लिए आंशिक रूप से भारत में संक्रमण की ताजा लहर भी जिम्मेदार है. कोवैक्स कार्यक्रम के तहत टीकों की अधिकतर खुराकों का उत्पादन भारत में ही होना था, जहां से उनका निर्यात भी होता, लेकिन अब भारत टीकों का इस्तेमाल अपने ही नागरिकों के लिए कर रहा है. यूनिसेफ के बयान में इस कमी को दूर करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की अपील की गई है.

दिल्ली में एक टीकाकरण केंद्र पर कोविशील्ड टीका लेने के लिए इंतजार करते लोग.तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

बयान में कहा गया है, "जो अतिरिक्त खुराक उपलब्ध हैं उन्हें तुरंत साझा करना एक न्यूनतम, आवश्यक, आपात और काम-चलाऊ उपाय है और इसकी तुरंत जरूरत है." अमेरिका के पास साझा करने के लिए ऐस्ट्राजेनेका की छह करोड़ अतिरिक्त खुराक हैं. फ्रांस ने पांच लाख और स्वीडन ने 10 लाख खुराकों का वादा किया है, स्विट्जरलैंड भी ऐसी ही संख्या में खुराकें देने पर विचार कर रहा है. अभी तक दुनिया में टीकों की करीब 1.4 अरब खुराक दी जा चुकी हैं जिनमें से लगभग 44 प्रतिशत खुराक ज्यादा आय वाले देशों में दी गई हैं, जहां की आबादी दुनिया की कुल आबादी का सिर्फ 16 प्रतिशत है.

अमीर-गरीब देशों के बीच खाई

दुनिया की नौ प्रतिशत आबादी वाले और सबसे कम आय वाले 29 देशों में सिर्फ 0.3 प्रतिशत खुराक दी गई हैं. इसी अंतर की वजह से पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि जिन देशों के पास पर्याप्त टीके हैं वो बच्चों और किशोरों को टीका देने की जगह वो खुराकें कोवैक्स को दे दें. इसके पीछे चिंता का कारण यह है कि जहां भी वायरस का फैलना जारी रहेगा वहां उसके नए नए घातक स्वरूप आते रहने की संभावना है, जिससे इम्युनिटी की दिशा में मिली सारी तरक्की धुल में मिल सकती है.

यूनिसेफ ने कहा है, "हमें चिंता है की भारत की घातक लहर इस बात का संकेत है कि इन चेतावनियों को अगर गंभीरता से नहीं लिया तो क्या हो सकता है. कई देशों में संक्रमण के मामलों में असाधारण उछाल आ रही है और स्वास्थ्य प्रणालियों चरमरा रही हैं, चाहे वो नेपाल, श्रीलंका और मालदीव्स जैसे भारत के आस पास के देश हों या अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे दूर के देश."

सीके/एए (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें