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अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया को चीनी सेना की चेतावनी

३० नवम्बर २०११

चीन की सेना ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के सैन्य गठजोड़ की तीखी आलोचना की है. चीनी रक्षा मंत्रालय ने इस सैन्य गठजोड़ को भड़काने वाला कदम बताया. ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि चीन को सजग पड़ोसियों की घेराबंदी का एहसास होना चाहिए.

तस्वीर: dapd

चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग यानशेंग ने बुधवार को खुले शब्दों में कहा कि ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी अधिकारियों का "साझा वायु और समुद्री युद्ध" क्षमता बढ़ाने का विचार "टकराव की रणभेरी बजाने वाला और अपनी सुरक्षा की खातिर दूसरों की सुरक्षा का बलिदान करने वाला है."

गेंग के बयान से पहले बुधवार को ही ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री और मौजूदा विदेश मंत्री केविन रड ने अमेरिका से हुए सैन्य समझौते का स्वागत किया. रड ने कहा कि भारत और अमेरिका के साथ सुरक्षा करार तैयार होने और अन्य कदमों से चीन की यह चिंता बढ़ जाएगी कि वह सजग पड़ोसियों से घिरा हुआ है.

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री गिलार्ड से मिलते ओबामातस्वीर: dapd

रड के बयान के बाद चीनी रक्षा मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि सैन्य गठजोड़ के बढ़ने से विश्वास कम होगा और शीत युद्ध जैसी सोच प्रदर्शित होगी. गेंग ने कहा, "सैन्य गठजोड़ इतिहास के उत्पाद हैं. लेकिन हमें ऐसा लगता है कि सैन्य गठजोड़ को मजबूत करना और बढ़ाना शीत युद्ध की मानसिकता है."

चीन ने कूटनीतिक लहजे में अन्य देशों को भी चेतावनी दे दी, "यह शांति, विकास और सहयोग को बरकरार रखने वाला कदम नहीं है. इससे इलाके के देशों में आपसी विश्वास और सहयोग नहीं बढ़ेगा. हो सकता है कि अंत में इसकी वजह से सबके साझा हितों को नुकसान पहुंचे."

अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच नवंबर के मध्य में सैन्य गठजोड़ बढ़ाने का समझौता हुआ. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान कई संधियां हुईं. ओबामा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड के बीच उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में एक अमेरिकी सैन्य अड्डा बनाने की योजना बनी. सैन्य अड्डे में अमेरिकी नौसेना के 2,500 जवान रह सकते हैं.

कहां जाएंगे संबंधतस्वीर: dapd

नवंबर में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के नेताओं से ओबामा ने कहा कि अमेरिका यहीं रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दक्षिण चीन सागर के विवादित हिस्से पर बातचीत करने से इनकार करने के लिए चीन की आलोचना भी की. इसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया और कहा, "अन्य देशों को बीजिंग के साथ सहयोग करने पर ध्यान देना चाहिए."

लेकिन रक्षा मंत्रालय के ताजा बयान ने चीन की नाराजगी और चिंता का खुला उदाहरण दे दिया है. चीनी रक्षा मंत्रालय को चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी का प्रवक्ता माना जाता है. लेकिन विदेशी पत्रकारों को रक्षा मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. चीनी सेना के अधिकारी कभी कभार अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया देते हैं. इसी हफ्ते पीपल्स लिबरेशन आर्मी के मेजर जनरल लुओ युआन ने चेतावनी देते हुए कहा था कि ओबामा का इस क्षेत्र में दखल दिखाता है कि अमेरिका चीन को घेरना चाह रहा है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स, एएफपी/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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