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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका और रूस के बीच कैदियों की ऐतिहासिक अदला-बदली

२ अगस्त २०२४

अमेरिका और रूस के बीच कैदियों की एक बड़ी अदला-बदली पूरी हो गई है. इसके तहत 7 देशों से 24 लोगों को रिहा किया गया है. सोवियत संघ के बाद के दौर की कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली में जर्मनी की अहम भूमिका रही है.

USA I Gefangenenaustausch mit Russland
तस्वीर: Manuel Balce Ceneta/AP/dpa/picture alliance

रिहा होने वालों में शामिल अमेरिकी-रूसी पत्रकार इवान गेर्शकोविच, उनके साथी पॉल व्हेलान और पुतिन विरोधी व्लादिमीर कारा मुर्जा भी हैं. ये लोग गुरुवार को मध्यरात्रि से पहले अमेरिका पहुंचे. वहां उनका स्वागत करने के लिए खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मौजूद थे. कई देशों के बीच हुए करार के बाद करीब दो दर्जन लोग आजाद हुए हैं.

कैदियों की अदला-बदली ऐसे समय में हुई है जब रूस और अमेरिका के रिश्ते शीत युद्ध के बाद सबसे खराब दौर में हैं. पर्दे के पीछे बातचीत कर रहे मध्यस्थ तब से इस कोशिश में जुटे थे, जब ऐलेक्सी नावाल्नी को भी छुड़ाया जाना था. हालांकि फरवरी में  नावाल्नी की मौतके बाद 24 लोगों के लिए यह समझौता मुमकिन हो सका है. इसके लिए यूरोपीय देशों को भी रजामंद करना एक मुश्किल काम था. रिहा हुए कैदियों में एक रूसी हत्यारे समेत पत्रकार, संदिग्ध जासूस, राजनीतिक कैदी और दूसरे लोग शामिल हैं.

कैदियों की रिहाई में जर्मनी की भूमिका अहम रही हैतस्वीर: Marvin Ibo Güngör/Bundesregierung/Getty Images

अमेरिका की कूटनीतिक जीत

बाइडेन इस अदला-बदली का श्रेय लेते हुए इसे कूटनीतिक जीत बता रहे हैं. हालांकि इसमें कुछ असंतुलन भी दिख रहा है. अमेरिका और उसके सहयोगियों ने जिन कैदियों को रिहा किया है वे गंभीर अपराधों के दोषी या फिर आरोपी हैं. जबकि रूस की कैद से छूटे लोगों में पत्रकार, विद्रोही कार्यकर्ता और ऐसे कैदी हैं जिन्हें देश में राजनीतिक वजहों से कैद में लिया गया. 

बाइडेन का कहना है, "इस तरह के समझौते बहुत मुश्किल होते हैं, मेरे लिए अमेरिकी लोगों को बचाने से ज्यादा बड़ा कुछ नहीं है, यह चाहे घर में हो या बाहर." समझौते के तहत रिहा हुए पत्रकार गेर्शकोविच, वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवादादाता है. उन्हें 2023 में गिरफ्तार किया गया और जुलाई में जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया. हालांकि अमेरिकी सरकार इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करती है.

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रिहा हुए लोगों में पुतिन के आलोचक और पुलित्जर विजेता लेखक कारा मुर्जा भी हैं. उन्हें देशद्रोह के आरोप में 25 साल के कैद की सजा सुनाई गई थी. रिहा हुए पुतिन के आलोचकों में ओलेग ओरलोव भी हैं जो मानवाधिकार के लिए काम करते रहे हैं. उन्हें रूसी सेना की उपलब्धियों को खारिज करने के आरोप में कैद किया गया था. इसी तरह इल्या याशिन को यूक्रेन युद्ध की आलोचना करने के लिए कैद किया गया था.

रूस ने इस सौदे में ह्ताया की सजा पाए क्रासिकोव को छुड़ाने में सफलता पाई हैतस्वीर: Mikhail Voskresensky/ITAR-TASS/IMAGO

जर्मनी की अहम भूमिका

रूस को इस अदला-बदली में वादिम क्रासिकोव की रिहाई मिली है. क्रासिकोव को जर्मन अदालत ने 2021 में उम्र कैद की सुनाई थी. सजा सुनाए जाने से दो साल पहले एक पूर्व चेचन विद्रोही की पार्क में हत्या के लिए उन्हें दोषी करार दिया गया था. अदला-बदली पर जब बातचीत हो रही थी तब रूस ने क्रासिकोव की रिहाई के लिए सबसे ज्यादा दबाव बनाया था. खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसके लिए आवाज उठाई थी.

नावाल्नी की मृत्यु होने से पहले अधिकारी क्रासिकोव के साथ उनकी रिहाई पर समझौता करने की कोशिश में थे. इसके लिए जर्मनी को मनाया जा रहा था. हालांकि नावाल्नी की मौत से परिस्थितियां बदल गईं. इसके बाद भी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सॉलिवन ने जर्मनी के साथ बातचीत जारी रखी. आखिर में रूस, जर्मन या जर्मनी और रूस की दोहरी नागरिकता वाले कई कैदियों को रिहा करने पर तैयार हुआ.

जर्मन चांसलर रिहा कैदियों का स्वागत करने अपनी छुट्टी बीच में छोड़ कर कोलोन एयरपोर्ट पहुंचेतस्वीर: dpa

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने रिहा हुए कैदियों से मुलाकात को "बेहद भावुक" करने वाला बताया है. शॉल्त्स ने कहा कि बहुत से कैदियों ने इसकी उम्मीद नहीं की थी. अचानक हुई रिहाई से वे भावुकता से भर गए हैं. शॉल्त्स ने कहा, "बहुतों को उनकी सेहत और जिंदगी को लेकर डर सता रहा था. इसलिए यह जरूरी है कि उन्हें यहां पर हम संरक्षण दें "

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निराश हैं पीड़ित के परिजन

13 कैदियों के साथ दो विमान गुरुवार की रात जर्मनी के कोलोन एयरपोर्ट पर उतरे. कैदियों की अदला-बदली अंकारा के हवाई अड्डे पर हुई. रिहा हुए कैदियों में पांच जर्मन हैं. इनके अतिरिक्त तीन कैदी सीधे अमेरिका के लिए अंकारा से ही रवाना हुए. चांसलर शॉल्त्स अपनी छुट्टी के बीच से ही कोलोन हवाई अड्डे पर इन कैदियों का स्वागत करने पहुंचे थे.

वादिम क्रासिकोव की समय से पहले हुई रिहाई ने पीड़ित के परिवार को काफी निराश किया है. उन्होंने इसे "तोड़ कर रख देने वाली खबर" कहा है. बर्लिन में अपनी वकील इंगा शुल्त्स के जरिए पीड़ित के परिजनों ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "एक तरफ हम खुश हैं कि किसी की जिंदगी बच गई लेकिन उसी वक्त हमें दुख भी है कि ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया में कहीं भी कानून नहीं है, उन देशों में भी जहां प्रशासन सर्वोच्च है."

एनआर/आरएस(एपी, डीपीए)

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