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अमेरिका का कोयला घोटाला

६ फ़रवरी २०१४

भारत में जिस तरह कुछ कंपनियों को मदद पहुंचाने के आरोप हैं, लगभग उसी तर्ज पर अमेरिकी सरकार पर खास कंपनियों को सस्ते दामों में कोयले की जमीन बेचने का आरोप लगा है. इसकी वजह से करदाताओं पर भारी बोझ पड़ा होने की आशंका है.

Kolumbien Kohlemine
तस्वीर: picture-alliance/AP

सरकार पर नजर रखने वाली निगरानी संस्था के ऑडिट से पता चला है कि पश्चिमी अमेरिका में खनन कंपनियों ने पर्यावरण के स्तर को भी खराब कर दिया है. यहां बड़े स्तर पर कार्बन उत्पादन होता है. संघीय नियमों के मुताबिक संघीय संस्था भूप्रबंधन ब्यूरो को प्रतियोगी स्तर पर जमीन का आवंटन करना चाहिए. लेकिन सरकारी कार्यवाहियों पर नजर रखने वाली संस्था जीएओ ने जो रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक इस नियम का पालन नहीं हुआ.

रिपोर्ट के मुताबिक 107 में से 90 फीसदी कंपनियों को गलत तरीके से जमीन का आवंटन किया गया, जबकि सिर्फ एक कपंनी ने नियम कायदों का पालन किया. अमेरिकी थिंक टैंक आईईईएफए के वित्त निदेशक टॉम सानजिलो का कहना है, "जीएओ के मुताबिक आवंटन प्रक्रिया में गलतियां हैं. पिछले 30 साल से इन नियमों पर ध्यान नहीं दिया गया है."

सानजिलो ने दो कंपनियों के नाम लिए, जिन्हें खास तौर पर जमीनें दी गई हैं. ये हैं आर्च कोल और पीबॉडी एनर्जी. आलोचकों का मानना है कि प्रतिस्पर्धी नीलामी की गैरमौजूदगी में सार्वजनिक जमीनों के आवंटन में धोखाधड़ी हो रही है. इससे अंत में सरकारी राजस्व में कमी हो रही है, जिसका आखिरी खामियाजा टैक्स देने वालों यानी आम नागरिकों को उठाना पड़ता है.

90 फीसदी कंपनियों को गलत तरीके से जमीन मिलीतस्वीर: DW/Nader Pajhohesh

अमेरिका के एक जांच अधिकारी ने पिछले साल जून में संकेत दिया कि अमेरिका को इसकी वजह से छह करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ. लेकिन सानजिलो का मानना है कि नुकसान तो इससे कहीं ज्यादा हुआ होगा. उनका कहना है कि जांचकर्ता ने आवंटन के तरीके जैसी बहुत सी दूसरी चीजों पर तो ध्यान ही नहीं दिया. इस जांच में तीन गलतियों की ओर इशारा किया गया है, "इंजीनियरों और भूगर्भीय आंकड़ों की कोई जांच नहीं हुई, निर्यात से होने वाले राजस्व का कोई अनुमान नहीं लगाया गया और नीलामी करते वक्त प्रतिस्पर्धा की दूसरी कीमतों पर ध्यान नहीं दिया गया."

जीएओ ने इसी तरह की समीक्षा पावडर नदी की तलहटी पर 1983 में किया था. उस वक्त एजेंसी ने पाया कि सरकार को 10 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ. लेकिन जीएओ की सिफारिशों को कभी भी लागू नहीं किया गया.

टैक्स का नुकसान एक तरफ. इसकी वजह से इलाके में भारी पर्यावरण समस्याएं पैदा हुई हैं. ग्रीनपीस की पर्यावरण कार्यकर्ता केली मिचेल ने बताया, "अमेरिका में यह सबसे ज्यादा कार्बन छोड़ने वाले इलाकों में शामिल है. इसी जगह से 13 फीसदी कार्बन उत्सर्जित होता है." अगर कुछ और कोयला खदानों की नीलामी हुई, तो कार्बन उत्सर्जन और बढ़ सकता है.

एजेए/एएम (आईपीएस)

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