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अमेरिका का साथ खतरनाकः पाकिस्तान

१३ मई २०११

ओसामा बिन लादेन के सफाए के बाद पाकिस्तान का अमेरिका पर से भरोसा टूट रहा है. प्रधानमंत्री गिलानी का कहना है कि अमेरिका के साथ काम करने से उनकी सरकार खतरे में पड़ सकती है. दोनों देशों के खुफिया संबंध भी टूटे.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

गिलानी ने साफ साफ कहा कि दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के रिश्ते टूट गए हैं और बिन लादेन पर दोनों देशों को मिल कर कार्रवाई करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पाकिस्तान की जनता के लिए जवाबदेह है, जिसमें लगातार अमेरिका के प्रति नफरत भरती जा रही है.

एबटाबाद में दो मई को ओसामा बिन लादेन पर कार्रवाई के बाद अपने पहले इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने टाइम पत्रिका से कहा, "मैं कोई सैनिक शासक नहीं हूं. अगर लोगों का नजरिया आपके (अमेरिका) खिलाफ है, तो मैं क्या कर सकता हूं. मुझे तो अपनी जनता के साथ रहना है." उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोगों का विश्वास जीतना अमेरिका के हाथ में है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में अमेरिका के साथ काम करने से उनकी सरकार खतरे में पड़ सकती है. गिलानी ने कहा, "उन्हें हमारी जनता के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे पाकिस्तान के लोगों को लगे कि वह हमारे साथ हैं."

हम नहीं तोड़ रहे भरोसा

पाकिस्तान पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि उसकी जानकारी के बगैर ओसामा बिन लादेन उनके देश में नहीं रह सकता. इस मुद्दे पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने सिर्फ इतना ही कहा कि भरोसा टूट रहा है. यह पूछे जाने पर कि भरोसा क्यों टूट रहा है, गिलानी का कहना है, "हमारी तरफ से नहीं टूट रहा. आप उनसे पूछिए."

उन्होंने साफ कह दिया कि सीआईए और आईएसआई के बीच रिश्ते टूट गए हैं, "हमने देखा है कि आम तौर पर सीआईए पाकिस्तान की आईएसआई के साथ मिल कर काम करती है. लेकिन अब कोई भरोसा ही नहीं रह गया है."

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का हवाला देते हुए गिलानी ने कहा कि ओसामा बिन लादेन पर पाकिस्तान और अमेरिका को मिल कर कार्रवाई करनी चाहिए थी, "मुझे आश्चर्य हो रहा है कि उन्होंने अकेले कार्रवाई क्यों की. अगर हम एक युद्ध मिल कर लड़ रहे हैं, तो हमें कार्रवाई भी मिल कर करनी चाहिए. अगर वहां से पुख्ता जानकारी मिली थी, तो हमें उसे मिल कर अंजाम देना चाहिए था."

2 बजे बताया गया

गिलानी ने बताया कि उन्हें देर रात दो बजे सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी ने इस कार्रवाई के बारे में बताया. इसके बाद प्रधानमंत्री ने विदेश सचिव सलमान बशीर को फोन किया और उनसे कहा कि अमेरिकी राजदूत कैमरन मंटर से जवाब तलब किया जाए. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, "तब से मैं किसी भी अमेरिकी अधिकारी से नहीं मिला हूं. हमें मिल कर बात करने की सलाह दी जा रही है."

पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बढ़ रही दरार का असर अफगानिस्तान में भी पड़ सकता है, जहां पाकिस्तान का सहयोग बहुत जरूरी है. गिलानी ने कहा कि अमेरिकी सेना की जरूरत से ज्यादा तैनाती ठीक नहीं है. वह अगले हफ्ते चीन जा रहे हैं. ऐसी अटकलें हैं कि पाकिस्तान चीन के साथ ज्यादा नजदीकी बना रहा है, प्रधानमंत्री खुल कर कह रहे हैं, "हमारा पहले से ही चीन के साथ उससे मजबूत रिश्ता है."

हालांकि उन्होंने आशंका जताई कि अगर अमेरिका पाकिस्तान के साथ रिश्ते खत्म करता है, तो इसका असर पाकिस्तान के अंदर चरमपंथियों से निपटने पर पड़ सकता है. उन्होंने कहा, "अगर समर्थन और भरोसा नहीं होगा तो खुफिया सूचनाएं नहीं मिल पाएंगी."

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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