अमेरिका की नई आतंकवाद विरोधी रणनीति
३० जून २०११
बुधवार को वॉशिंगटन में ओबामा ने कहा कि अफगान युद्ध का नतीजा है कि आतंकी नेटवर्क अल कायदा को इस बीच अभियान चलाने और संपर्क में काफी मुश्किल हो रही है. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अफगान राजधानी काबुल के लक्जरी होटल पर हुए हमले जैसी घटनाएं होती रहेंगी. वह दिखाती है कि आतंक विरोधी संघर्ष का काम अभी समाप्त नहीं हुआ है.
ओबामा ने कहा कि काबुल में स्थानीय कर्मी सुरक्षा को अंजाम दे रहे हैं और वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. अमेरिका अपने सैनिकों को विवेकपूर्ण तरीके से वापस करेगा ताकि अफगानिस्तान की सुरक्षा खतरे में न पड़े.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि अगले साल सितंबर तक अफगानिस्तान में तैनात 1 लाख अमेरिकी सैनिकों में से 33 हजार को वापस बुला लिया जाएगा. इसी साल 10 हजार सैनिक घर वापस लौट जाएंगे. उन्होंने अफगानिस्तान में अल कायदा के खिलाफ संघर्ष में हुई प्रगति को अपने फैसले की वजह बताया है.
उधर अमेरिका की नई आतंकवाद विरोधी रणनीति के बारे में ओबामा के सुरक्षा सलाहकार जॉन ब्रेनन ने कहा है कि अल कायदा और उनके साथी भविष्य में भी अमेरिकी अधिकारियों के निशाने पर रहेंगे. उन्होंने कहा कि लक्ष्य यह है कि वे अमेरिका और उसके साथियों पर हमला न कर सकें.
पहली बार नई रणनीति में मध्यपूर्व, उत्तरी अफ्रीका और अरब क्षेत्र के अलावा अमेरिका के राज्य क्षेत्र को भी आतंकवाद विरोधी संघर्ष का केंद्रबिंदु बताया गया है. इसकी वजह देश के अंदर पनपे आतंकवादियों की समस्या है. इसके तहत आतंकवादी बाहर से अमेरिका के अंदर नहीं घुसाए जाते बल्कि देश के अंदर रहने वाले युवा लोग उग्रवाद की ओर जा रहे हैं. ब्रेनन ने कहा, "अमेरिका में लोगों को प्रेरित करने और हम पर अंदर से हमला करने की अल कायदा और उसके नेटवर्क की क्षमता" को खत्म करना होगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा एम