ट्रंप प्रशासन ऐसी नीति बनाने जा रहा है कि जिसके तहत क्यूबा में काम कर रही विदेशी कंपनियों पर अमेरिका में मुकदमा दायर किया जा सकेगा. इन कदमों की सीधी मार यूरोपीय कंपनियों पर पड़ेगी.
विज्ञापन
कई दशकों की तल्खी खत्म करते हुए बराक ओबामा ने अमेरिका और क्यूबा के बीच कूटनीतिक संबंध बहाल किए. वॉशिंगटन ने हवाना पर पर लगे कुछ आर्थिक प्रतिबंध भी हटाए. ओबामा के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप अब इन कोशिशों पर पानी फेर रहे हैं. ईरान परमाणु समझौते और पेरिस जलवायु समझौते से निकलने के बाद अब ट्रंप क्यूबा के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं.
दवाब की नई कोशिशों के तहत ट्रंप प्रशासन अमेरिकी नागिरकों को क्यूबा में काम कर रही विदेशी कंपनियों के खिलाफ मुकदमा करने की अनुमति देगा. इस बड़े नीतिगत बदलाव का सीधा झटका अमेरिका के साझेदार यूरोपीय देशों को लगेगा. क्यूबा, कम्युनिस्ट सत्ता वाले अपने मित्र देश वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोला मादुरो के समर्थन में खड़ा है. ट्रंप इससे नाराज हैं. अमेरिका और पश्चिमी देश मादुरो को चुनौती देने वाले विपक्षी नेता और स्वघोषित राष्ट्रपति खुआन गुआइदो का समर्थन कर रहे हैं.
क्यूबा को लेकर नीतियों में किए जा रहे बदलावों की जानकारी ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बॉल्टन मियामी में देंगे. मियामी में बड़ी संख्या में क्यूबा से पलायन कर अमेरिका में बसने वाली आबादी रहती है. इस दौरान बॉल्टन वेनेजुएला और निकारागुआ के खिलाफ नए प्रतिबंधों का एलान भी करेंगे.
हेल्म्स-बर्टन एक्ट पर संकट
अमेरिका 1996 के हेल्म्स-बॉर्टन एक्ट में एक अहम प्रावधान में बदलाव करने जा रहा है. इसके साथ ही क्यूबा में सक्रिय कई अमेरिकी, यूरोपीय और कनाडाई कंपनियां अमेरिका में कानूनी दावों में दायरे में आए जाएंगी. क्यूबा से भागने वाले अमेरिकी, वहां काम कर रही किसी भी कंपनी के खिलाफ के अमेरिकी अदालत में मुकदमा दायर कर सकेंगे. फिलहाल क्यूबा में ज्यादातर यूरोपीय कंपनियां ही काम कर रही हैं. विदेशी निवेश जुटाने के लिए क्यूबा पश्चिमी देशों की कंपनियों को आकर्षित कर रहा है. ट्रंप के कदमों की मार इन कोशिशों पर पड़ेगी.
ईयू-अमेरिका व्यापारिक संबंध
यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका एक दूसरे के लिए सबसे बड़े व्यापारिक बाजार हैं. आइए देखते हैं कि दोनों किन चीजों का आयात और निर्यात करते हैं और व्यापार युद्ध होने पर किन क्षेत्रों को नुकसान पहुंचेगा.
तस्वीर: Imago/Hoch Zwei Stock/Angerer
खरबों यूरो का कारोबार
यूरोपीय संघ अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. अमेरिका का करीब 20 प्रतिशत सामान यूरोपीय देशों को बेचा जाता है. इसी तरह यूरोपीय संघ का भी 20 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को होता है. 2017 में दोनों के बीच 1,069 अरब यूरो का कारोबार हुआ. गुड्स और सर्विसेज के क्षेत्र में ईयू का आयात 256 अरब यूरो रहा जबकि निर्यात 376 अरब यूरो.
तस्वीर: Imago/Hoch Zwei Stock/Angerer
ट्रेड सरप्लस
ईयू और अमेरिका के बीच मुख्य व्यापार मशीनरी, गाड़ियों, रसायन और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में होता है. कुल मिलाकर 2017 में इनका हिस्सा ईयू-अमेरिका के आयात और निर्यात में 89 प्रतिशत था. इन क्षेत्रों के अलावा खाने और पेय पदार्थों में ईयू का व्यापार फायदे में रहा. अमेरिका का ट्रेड सरप्लस कच्चे माल और ऊर्जा में है.
तस्वीर: Reuters
कार मशीनरी टॉप पर
167 अरब यूरो के साथ मशीनरी और गाड़ियां यूरोप से होने वाले निर्यात में सबसे ऊपर है. यह मालों के निर्यात का 44 प्रतिशत है. मशीनरी और ट्रांसपोर्ट उपकरणों का अमेरिका से यूरोप को होने वाला निर्यात 111 अरब यूरो का है. यह यूरोप के कुल आयात का 43.6 प्रतिशत है.
तस्वीर: picture-alliance/U. Baumgarten
कारोबार का छोटा हिस्सा
मई के अंत में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने यूरोपीय संघ से होने वाले स्टील के निर्यात पर 25 प्रतिशत और अल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया. 2017 में अमेरिका को यूरोप से होने वाले स्टील और अल्युमीनियम के निर्यात का हिस्सा 3.58 अरब यूरो था.
तस्वीर: Reuters/Y. Herman
जवाबी शुल्क
यूरोपीय संघ ने भी राष्ट्रपति ट्रंप के शुल्क के जवाब में उन अमेरिकी उत्पादों की सूची बनाई जिन पर जवाबी शुल्क लगाए जाएंगे. इनमें मूंगफली बटर, बरबर व्हिस्की, हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल, जींस और नारंगी जूस जैसे सामान्य अमेरिकी उत्पाद हैं. जिन उत्पादों को यूरोपीय संघ ने शुल्क लगाया है उनका वार्षिक आयात 2.8 अरब यूरो है.
तस्वीर: Shaun Dunphy / CC BY-SA 2.0
सर्विसेज में यात्रा और शिक्षा शामिल
219 अरब का आयात किया और 218 अरब यूरो का निर्यात किया. इनमें प्रोफेशनल और मैनेजमेंट सर्विस, बौद्धिक संपदा, यात्रा और शिक्षा शामिल थे. यूरोप और अमेरिका के बीच होने वाले कारोबार का एक तिहाई कंपनियों के बीच आपासी लेन देने के रूप में होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
6 तस्वीरें1 | 6
नीतिगत बदलावों के तहत अमेरिकी नागरिकों की दशकों पहले क्यूबा में जब्त की गई संपत्ति का इस्तेमाल करने वालों को ट्रंप प्रशासन अमेरिकी वीजा न देने की तैयारी भी कर रहा है. क्यूबा में 1959 कम्युनिस्ट क्रांति हुई. इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की निजी संपत्ति जब्त कर ली गई. कम्युनिस्ट क्रांति के दौरान और उसके बाद बड़ी संख्या में लोग क्यूबा से भाग कर अमेरिका भी आए. अमेरिका जब्त संपत्ति को हमेशा से इन्हीं लोगों की मूल संपत्ति मानता रहा है.
क्यूबा का कहना है कि वह राष्ट्रीयकरण की गई संपत्ति लौटाने को तैयार है, लेकिन छह दशकों के कारोबारी प्रतिबंधों से पहुंचे नुकसान का हर्जाना दिया जाए.
यूरोपीय संघ के साथ विवाद
यूरोपीय संघ कारोबार के मामले में क्यूबा का सबसे बड़ा साझेदार है. ईयू ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर किसी संप्रभु राष्ट्र के साथ उसके कारोबारी रिश्तों में दखल देने की कोशिश की गई तो अमेरिका को विश्व व्यापार संगठन में चुनौती दी जाएगी. क्यूबा की राजधानी हवाना में तैनात यूरोपीय संघ के दूत अल्बेर्टो नावारो ने अमेरिकी कदमों की आलोचना की है.
वेनेजुएला पर दबाव बनाने के मामले में अब यूरोप के देशों ने अमेरिका का साथ दिया है. लेकिन अब क्यूबा की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने की अमेरिकी कोशिश खास तौर पर स्पेन को नाराज करेगी. स्पैनिश भाषी क्यूबा के स्पेन के साथ मजबूत आर्थिक रिश्ते हैं. ओबामा के कार्यकाल में क्यूबा के साथ सुधरे संबंधों के बाद यूरोप की कई कंपनियां वहां काम कर रही हैं. ट्रंप के कदमों की वजह से यूरोपीय कंपनियां ईरान में भी फंस चुकी हैं.
(अब तक ये सभी डील तोड़ चुके हैं ट्रंप)
अब तक ये सभी डील तोड़ चुके हैं ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कभी अपने ट्वीट तो कभी अपने फैसलों के चलते चर्चा में बने रहते हैं. ट्रंप ने जिस दिन से पद संभाला है, उस दिन से लेकर अब तक वह कई समझौतों, करारों और साझेदारियों को तोड़ चुके हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/C. May
ईरान परमाणु संधि
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नजर में ईरान परमाणु संधि अब तक का सबसे घटिया समझौता है. साल 2015 में हुए ईरान परमाणु समझौते के तहत ईरान ने अपने करीब नौ टन अल्प संवर्धित यूरेनियम भंडार को कम करके 300 किलोग्राम तक करने की शर्त स्वीकार की थी. इस समझौते का मकसद था परमाणु कार्यक्रमों को रोकना. इन शर्तों के बदले में पश्चिमी देश ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Loeb
ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप
2016 में बराक ओबामा ने "ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप" (टीपीपी) पर दस्तखत किए थे. टीपीपी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थित 11 देशों के बीच हुआ एक व्यापार समझौता है. उद्देश्य था इन देशों के बीच आयात-निर्यात पर लगने वाले शुल्क में कमी लाना. लेकिन ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर इससे बाहर निकलने की घोषणा कर दी.
तस्वीर: picture alliance/Newscom/R. Sachs
पेरिस जलवायु समझौता
जून 2017 में ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से पीछे हटने की घोषणा की थी. साल 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में दुनिया के लगभग 195 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. यह समझौता दुनिया भर के तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकने की बात करता है. ट्रंप को इस फैसले के चलते दुनिया की काफी आलोचना सहनी पड़ी थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP/dpa/A. Harnik
घरेलू पर्यवारण नियमन
डॉनल्ड ट्रंप ने न केवल अंतराराष्ट्रीय करारों और संधियों पर सख्ती दिखाई. बल्कि अमेरिका के भीतर भी ट्रंप ने पर्यावरण से जुड़े कई नियमों में उलटफेर किय. हाल में ही अमेरिका की एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एजेसी के प्रमुख स्कॉट प्रूइट ने कहा था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में जिन वाहन उत्सर्जन मानकों को तय किया गया उन्हें खत्म किया जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com
ओबामाकेयर
'द पेशंट प्रोटेक्शन एंड एफोर्डेबल केयर एक्ट' (पीपीएसीए) को बराक ओबामा आम अमेरिकियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के मकसद से लाए थे. इस हेल्थकेयर प्लान के तौर पर शुरू किया गया था. जो ओबामाकेयर नाम के मशहूर है. साल 2010 पर इस पर कानून बना. मकसद था स्वास्थ्य मामलों पर खर्च की जानेवाली रकम को कम करना. लेकिन इसकी जगह ट्रंप नया हेल्थ केयर बिल लेकर आए हैं. (क्रिस्टीना बुराक/एए)