वैज्ञानिकों का कहना है कि बढ़ते जलस्तर के कारण अमेरिका के 14 हजार पुरातात्विक स्थल और राष्ट्रीय स्मारक वर्ष 2100 तक समंदर में समा सकते हैं.
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जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया का तापमान और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. ऐसे में ताजा वैज्ञानिक अध्ययन बताता है कि विश्व सांस्कृतिक धरोहरें इस वजह से किस कदर खतरा झेल रही हैं. यह अध्ययन अमेरिका के नौ तटीय दक्षिणपूर्वी राज्यों में किया गया और पाया गया कि हर 10 पुरातात्विक स्थलों में से एक पर खतरा मंडरा रहा है.
प्लोस वन जर्नल में छपी अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है, "आंकड़े चौंकाने वाले हैं: जलस्तर के बढ़ने के बारे में जो अनुमान है उससे प्री कोलंबियन और ऐतिहासिक काल से पहले की इंसानी बस्तियों के बहुत सारे रिकॉर्ड खत्म हो सकते हैं."
खतरे में ग्रेट बैरियर रीफ
2014 की एक रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ को संकट में बताती है. यहां बंदरगाह के विस्तार की योजना दुनिया की सबसे बड़ी कोरल रीफ के खात्मे में आखिरी कील साबित हो सकती है.
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समुद्र के नीचे विश्व धरोहर
उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में स्थित ग्रेट बैरियर रीफ को 1981 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया. यहां 625 प्रकार की मछलियां, 133 किस्मों की शार्क, नीले पानी में जेली फिश की कई प्रजातियां, घोंगा और कृमि मौजूद हैं. 30 से ज्यादा किस्मों की व्हेल और डॉल्फिन भी यहां रहती हैं. लेकिन पिछले कुछ दशकों से यहां की मूंगा चट्टानें और इसकी समृद्ध जैव विविधता प्रदूषण और इंसानी दखल से जूझ रहे हैं.
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बंदरगाह का विस्तार विवादित
1984 से उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के एबोट प्वाइंट पर स्थित बंदरगाह से दुनिया भर को कोयला निर्यात किया जा रहा है. अब सरकार ने इसकी विस्तार योजना को मंजूरी दे दी है. तीस लाख घन मीटर रेत और कीचड़ को इकट्ठा किया जाएगा और उसे मरीन पार्क के किसी हिस्से में फेंक दिया जाएगा. जानकारों का कहना है कि मूंगा चट्टानों पर इससे विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा.
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दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़ा बंदरगाह
विभिन्न जटिल स्तरों पर ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने बंदरगाह के विस्तार की योजना को मंजूरी दी है. ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क प्राधिकरण ने मरीन पार्क में गारे को फेंकने की मंजूरी दी है. इस पोर्ट से हर हाल 12 करोड़ टन कोयला निर्यात किया जाएगा. इतने बड़े पैमाने पर निर्यात से एबोट प्वाइंट भूमध्य रेखा के दक्षिणी हिस्से का सबसे बड़ा बंदरगाह बन जाएगा.
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भारत की बिजली के लिए कोयला
बंदरगाह की विस्तार योजना खासकर भारत से कोयले की मांग को देखते हुए किया गया है. भारतीय ऊर्जा कंपनियां जीवेके और अडानी ग्रुप के साथ खनन कंपनी हैनकॉक ने क्वींसलैंड की खदानों से बड़े पैमाने में कोयला खनन करने की योजना बनाई है. एबोट प्वाइंट से कोयला भारत भेजा जाएगा.
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जलवायु परिवर्तन से खतरा
ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया भर में मूंगों के लिए मशहूर है. बंदरगाह का विस्तार कोरल रीफ के लिए गंभीर क्षति का कारण हो सकता है. शोध से पता चला है कि पहले से ही जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे मूंगे के पत्थरों का गारे के कारण दम घूंट जाएगा. गुनगुने पानी के कारण प्रवाल ब्लीचिंग के शिकार हो रहे हैं. हाल के सालों में तूफान के कारण भी इन्हें भारी क्षति पहुंची है.
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गर्म पानी से समस्या
जलवायु परिवर्तन कई समुद्री जीवों के जीवन को कठिन बना रहा है, जैसे ग्रेट बैरियर रीफ के द्वीप पर पैदा होने वाले कछुए. यहां पैदा होने वाले कछुए का लिंग रेत के तापमान पर निर्भर करता है. अगर तापमान बढ़ता चला गया तो शोधकर्ताओं का कहना है कि उत्तरी रीफ में 20 साल के भीतर कछुओं की आबादी स्त्रीगुण संपन्न हो जाएगी.
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समंदर पर दबाव
पूर्वोत्तर ऑस्ट्रेलियाई तट पर गन्ने के खेतों में कीटनाशकों, उर्वरकों और खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल होता है. ये बहकर समंदर के पानी में मिल जाते हैं, जो समुद्री जीवन को प्रभावित करते हैं. एबोट प्वाइंट योजना के आलोचकों का कहना है कि मूंगों की बिगड़ती हालत को ध्यान में रखा जाना चाहिए और साथ ही किसी भी नए दबाव से बचा जाना चाहिए.
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रिपोर्ट के मुताबिक, "इस बात को लेकर बहुत चिंताएं हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत से पुरातात्विक और ऐतिहासिक रिकॉर्डों पर खतरा मंडरा रहा है." वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए वर्ष 2100 तक समुद्र के जलस्तर में एक मीटर की वृद्धि हो सकती है.
पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों को लेकर यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसमें अटलांटिक और मेक्सिको की खाड़ी के तटीय इलाकों में मौजूद स्थलों के विकास संबंधी आंकड़ों को समुद्र के बढ़ते जलस्तर के अनुमानों के साथ पेश किया गया है.
बढ़ते जलस्तर निटपने का एक कारगर तरीका
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अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी में आर्कियोलॉजी के प्रोफेसर और रिपोर्ट के सह लेखक डेविक एंडरसन ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "यह तो बड़े खतरे का सिर्फ छोटा सा हिस्सा है. तटीय इलाकों के आसपास इंसान हजारों सालों से रह रहे हैं और हम उसमें से बहुत कुछ गंवाने वाले हैं."
जिन ऐतिहासिक स्मारकों के नष्ट होने का खतरा है उनमें फ्लोरिडा का 17वीं सदी का कास्टिलो दे सान मारकोस किला और फोर्ट माटाजांस भी शामिल हैं. इसके अलावा मैरीलैंड, वर्जीनिया, नॉर्थ कैरोलाइना, दक्षिणी कैरोलाइना, जॉर्जिया, अलाबामा, मिसिसिप्पी और लुइजियाना में भी ऐसे कई अहम स्मारक हैं. अध्ययन रिपोर्ट के लेख इन स्मारकों को बचाने के तरीके तलाशे जाने पर जोर देते हैं.
एके/एनआर (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
गायब होता बांग्लादेशी द्वीप
समंदर में पानी का स्तर बढ़ने से बांग्लादेश के आशार चर के लोगों को घर छोड़ कर दूसरी जगह जाना पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण द्वीप का आकार छोटा हो गया है और लोगों की आजीविका के साधन घट गए हैं.
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डेंजर जोन
आशार चर, बंगाल की खाड़ी का एक द्वीप है. यह ऐसा इलाका है जो बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो जाता है.
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समंदर से जमीन पर
करीब 15-20 दिन समंदर में मछली पकड़ने के बाद शुरू होता मछुआरों का असली काम. मछलियों को जमीन पर ले जा कर सुखाना.
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जरूरत के मुताबिक
हर दिन छह साल का दानिश मछली पकड़ने जाता है. बाल मजदूरी इस समाज में व्यापक है. बच्चे को एक दिन का 40 टका मिलता है.
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काम वही, मजदूरी कम
महिलाएं भी आदमियों के साथ मिल कर आशार चर में मछलियां पकड़ती हैं. लेकिन दुनिया के कई हिस्सों की तरह उन्हें भी कम मजदूरी मिलती है.
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संकटमय जीवन
52 साल के करीम अली ने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा है. एक बार तो उनके साथियों का अपहरण हो गया और वे कभी नहीं लौटे. जिंदगी का कोई भरोसा नहीं.
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जगह की जरूरत
यहां कमाई का इकलौता जरिया सूखी मछलियां हैं. आशार चर में मछली सुखाने के लिए जगह चाहिए. धुली मछलियों को ताड़ के मस्तूल सुखाया जाता है.
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दोस्त और दुश्मन
इस द्वीप के लोगों का जीवन बंगाल की खाड़ी से जुड़ा है. लेकिन इसी समंदर में उठे तूफानों और बाढ़ के कारण उनकी जिंदगियां बर्बाद भी होती है.
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गायब होती जमीन
ज्वार के कारण द्वीप का एक हिस्सा हर दिन पानी से भर जाता है. हर दिन फिशिंग फार्म और खेती की जमीन डूब जाती है.
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बच गए
2007 के चक्रवाती तूफान ने करीब सात लाख लोगों का जीवन तबाह कर दिया. अनुमान है कि मारे गए लोगों में से 40 फीसदी बच्चे थे.
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कोई मदद नहीं
मुश्किल हालात में जीते लोगों को सरकार से कभी कोई मदद नहीं मिलती है.