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अमेरिका को तड़पाएंगे युद्ध के घाव

१ जुलाई २०११

युद्ध का अर्थ सिर्फ हथियारों या तकनीक की लड़ाई नहीं है. लड़ाइयों में अकूत पैसा खर्च होता है. अफगान युद्ध की वजह से अमेरिका को 1,000 अरब डॉलर का चूना लग चुका है. युद्ध का बर्बर चेहरा दिखाती एक बर्बर रिपोर्ट तैयार.

तस्वीर: AP

अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के वाटसन इंस्टीट्यूट ने 'युद्ध का खर्च' नाम से एक रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार किया है. प्रोजेक्ट में कुछ चौंका देने वाली जानकारियां सामने आई हैं. रिसर्च के मुताबिक इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सैन्य अभियानों से अमेरिकी सरकार को कम से कम 3,700 अरब डॉलर का नुकसान होगा. इराक, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लंबी अवधि के लिए किए गए वादे अभी खर्च को और ज्यादा बढ़ाएंगे. अध्ययन कहता है कि 2012 से 2020 तक अमेरिकी सरकार के बजट से कम से कम 1,000 अरब डॉलर और युद्ध के जख्म भरने के लिए निकलेंगे.

2050 तक सताएगा युद्ध

रिपोर्ट के मुताबिक सैनिकों की वापसी और सैन्य अभियान बंद होने तक यह युद्ध का अंतिम खर्चा 4,400 अरब डॉलर के आस पास बैठेगा. बीते दस सालों की लड़ाई का खर्च 1,300 अरब डॉलर बैठा है. इस रकम के आवागमन पर 185 अरब डॉलर का ब्याज चुकाया गया. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन को 326 से 652 अरब डॉलर के बीच अतिरिक्त पैसा दिया गया. अमेरिका ने देश की भीतरी सुरक्षा के लिए 406 अरब डॉलर खर्च किए. युद्ध के संबंध में दूसरे देशों को 74 अरब डॉलर की मदद दी गई. इराक और अफगानिस्तान में घायल सैनिकों के इलाज और कल्याण में अब तक 32.6 अरब डॉलर खर्च हुए. सैन्य कल्याण का यह खर्च 2050 तक 934 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा.

बुश प्रशासन की आलोचनातस्वीर: AP

11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद अमेरिकी सेना अफगानिस्तान भेजी गई. बीते 10 साल से अफगानिस्तान में आतंकवाद को खत्म करने के लिए बेतहाशा खर्च के साथ सैन्य अभियान चल रहा है. ब्राउन यूनिवर्सिटी में एंथ्रोपोलॉजी विभाग की प्रमुख कैथरीन लट्ज कहती हैं, "यह जरूरी हो गया है कि सख्त ढंग से इस बात का आंकलन किया जाए कि आखिर किस कीमत पर युद्ध का फैसला किया जाता है. हमें लगता है कि नेता इस तरह का आंकलन नहीं करेंगे."

कितना जायज रहा युद्ध

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सरकार बजट से घाटे के 1,400 अरब डॉलर कम के लिए आम लोगों से जुड़े खर्चे कम कर रही है, जबकि यह रकम युद्ध के चक्कर में खर्च होने वाले पैसे का 10 फीसदी भी नहीं है. रिसर्च टीम का सवाल है कि खरबों डॉलर खर्च कर आखिर अमेरिका को क्या मिला. रणनीति के लिहाज से नतीजे मिश्रित रहे. सद्दाम हुसैन और ओसामा बिन लादेन मारे गए लेकिन इराक और अफगानिस्तान अब भी लोकतंत्र से काफी दूर हैं. तालिबान का प्रभाव बढ़ा है. अफगानिस्तान में वह अब भी असरदार हथियारबंद ताकत है.

तस्वीर: AP

जबाव में अमेरिकी खुफिया कंपनी स्टार्टफोर के संस्थापक जॉर्ज फ्रीडमान कहते हैं, "अमेरिका अपना घर बचाने में काफी सफल रहा है. अफगानिस्तान से अल कायदा दुनिया भर में अत्याधुनिक और जटिल अभियान करने में सक्षम था. अब उसकी क्षमता न सिर्फ कम हुई है बल्कि ऐसा लगता है कि संगठन खुद ही हिल गया है."

शोधकर्ताओं के मुताबिक 9/11 के हमलावरों ने विमान से किए गए हमलों को अंजाम देने में चार से पांच लाख डॉलर खर्च किए. सितंबर 2001 में हुए इन हमलों में 2,995 लोग मारे गए और करीब 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. बदले में अमेरिका की आर्थिक शक्ति उजड़ती चली गई.

लाखों जिंदगियां खत्म

युद्धों में सिर्फ अथाह पैसा ही खर्च नहीं हुआ बल्कि लाखों लोगों की जान भी गई. इराक युद्ध में 1,25,000 लोग मारे गए. सैन्य अभियानों के चलते बीते 10 साल में अब तक 2,24,000 से 2,58,000 लोग मारे जा चुके हैं. करीब पौने चार लाख लोग जख्मी हो चुके हैं. युद्ध की वजह से पानी, स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं भी खराब हुईं.

'युद्ध का खर्च' प्रोजेक्ट पर 20 से ज्यादा संस्थाएं काम कर रही हैं. यह देखा जा रहा है कि मानवीय और आर्थिक मामलों को लड़ाइयों ने किस कदर जख्मी किया. रिपोर्ट में 2003 में हमला करने के आदेश देने वाले तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन को 'बेशर्म राजनीतिक सोच' वाला करार दिया गया है. आरोप लगाए गए हैं कि बुश प्रशासन को इराक युद्ध के खर्च का एहसास तक नहीं था.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ईशा भाटिया

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