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अमेरिका को परखता चीन

२९ नवम्बर २०१३

एशिया के सुदूर पूर्व में तनाव बढ़ने के साथ चीन ने पूर्वी चीन सागर में अपने कुछ और युद्धक विमानों को तैनात कर दिया है. चीन वहां अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया की शक्ति परखने की कोशिश कर रहा है.

तस्वीर: Reuters

जापान और दक्षिण कोरिया के युद्धक विमानों ने भी इस इलाके में उड़ान भरी. दोनों देशों ने इस बारे में जानकारी दी. जबकि अमेरिका ने दो बी 52 विमानों को इलाके के ऊपर से उड़ाया. इनमें से किसी ने चीन को जानकारी नहीं दी.

चीन ने पिछले सप्ताह एलान किया था कि विदेशी विमानों ने उसकी वायु सीमा के ऊपर से उड़ान भरी है, जिनमें यात्री विमान भी शामिल हैं. उसका कहना है कि इन विमानों को अपनी पहचान बताना जरूरी है. इन इलाकों में वे द्वीप भी शामिल हैं, जिन पर जापान और चीन का विवाद चल रहा है.

चीन में निगरानी तेजतस्वीर: Reuters

रक्षात्मक कार्रवाई

चीनी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने बताया कि चीनी गश्ती दल ने गुरुवार को "अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक अपनी रक्षात्मक कार्रवाई" की. शिन्हुआ ने यह खबर वायु सेना के प्रवक्ता शेन जिन्के के हवाले से दी है. शेन ने कहा कि इन विमानों ने नियमित उड़ान भरी है.

उन्होंने कहा, "चीन की वायु सेना हाई अलर्ट पर है और वह देश की वायु सीमा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाएगी." हालांकि रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता यांग यूजुन ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि चीन उन विमानों को "मार गिराएगा" जो उनकी सीमा में प्रवेश करेंगे. जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशिहीदे सूगा ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या चीन के विमान इलाके में हैं लेकिन इसकी वजह से उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.

द्वीप पर तनाव

चीन और जापान के बीच कई महीनों से कुछ द्वीपों को लेकर तनाव चला आ रहा है. अमेरिका ने इस द्वीप की सार्वभौमिकता को लेकर कोई पक्ष नहीं लिया है लेकिन अपना झुकाव जापान की तरफ जरूर दिखाया है.

यूरोपीय संघ में विदेश मामलों की प्रभारी कैथरीन एश्टन ने कहा कि संघ को इस बात की चिंता है कि चीन नई वायु सीमा का निर्माण करना चाहता है और संघ इस बात से भी चिंतित है कि चीन "रक्षात्मक कदम" उठाने की बात कर रहा है, "इसकी वजह से इलाके में तनाव बढ़ने की आशंका है. यूरोपीय संघ सभी पक्षों से अपील करता है कि वे संयम बनाएं."

द्वीपों पर टकरावतस्वीर: Reuters

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्विन गांग ने एश्टन के बयान की निंदा की और कहा कि चीन को उम्मीद है कि यूरोपीय संघ पूरे मामले को निष्पक्ष तरीके से देखेगा.

मौजूदा तनाव को देखते हुए कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन हाल के सालों में अमेरिकी और चीनी सेना ने आपसी संवाद पर जोर दिया है और किसी तरह की घटना से बचने के लिए दोनों नियमित रूप से एक दूसरे के संपर्क में हैं. अगले हफ्ते अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर आ रहे हैं और समझा जाता है कि इसका फायदा उठाते हुए वह हालात को सामान्य करने की कोशिश करेंगे.

चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उसे अमेरिकी, जापानी और दक्षिण कोरियाई विमानों के बारे में जानकारी थी और उसने सबकी पहचान कर ली थी. चीन और जापान में अक्सर तनाव होते रहते हैं. हाल के बरसों में चीन की ताकत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ी है और जापान का कद छोटा हुआ है. लिहाजा तनाव की दूसरी वजहें भी हैं.

एजेए/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)

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