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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका को बदलते सर्वोच्च अदालत के रूढ़िवादी जज

५ जुलाई २०२२

अमेरिका की सर्वोच्च अदालत ने बीते दिनों में कुछ ऐसे फैसले लिये हैं जिनका असर अमेरिकी समाज पर लंबे समय के लिए होगा. इन फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में रूढ़िवादी जजों के बहुमत का नतीजा भी माना जा रहा है.

अमेरिका की सर्वोच्च अदालत
अमेरिका की सर्वोच्च अदालततस्वीर: Kevin Dietsch/AFP/Getty Images

डेमोक्रैट राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा नियुक्त की गई जस्टिस केटांजी ब्राउन जैक्सन ने बीते गुरुवार को रिटायर हो रहे जस्टिस स्टीफन ब्रेयर की जगह ले ली. हालांकि इसके बाद भी जजों के पैनल में वैचारिक संतुलन नहीं बदलेगा. जजों के पैनल में रुढ़िवादी अब भी 6-3 से बहुमत में हैं. अक्टूबर में जब अदालत का नया सत्र शुरू होगा तो प्रमुख मामलों में इन जजों के बहुमत का असर कई और फैसलों पर दिखेगा.

अदालत ने बीते गुरुवार को खत्म हुए हाल के सत्र में क्या कुछ किया है इस पर जरा नजर डालिए.

भ्रूण हत्या और निजी स्वतंत्रता

24 जून को भ्रूण हत्या पर सुनाए फैसले में अदालत ने 1973 के रो वर्सेज वेड मामले में हुए ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया. इसके नतीजे में पूरे देश भ्रूण हत्या की प्रक्रिया को कानूनी बनाया गया था. अब ताजा फैसले में कोर्ट ने भ्रूणहत्या पर नियम बनाने का अधिकार राज्यों को दे दिया है. रुढ़िवादी कार्यकर्ता इसका लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद ही रुढ़िवादी सोच रखने वाले राज्य भ्रूणहत्या पर पूरी तरह से रोक लगाने समेत भ्रूण हत्या से जुड़ी दूसरी पाबंदियों को लागू कराने में जुट गए हैं. इससे पहले इन सब पर निचली अदालतों ने रोक लगा रखी थी.

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कुछ रुढ़िवादी लोग तो इससे भी आगे जा कर पूरे देश में भ्रूणहत्या पर रोक लगाना चाहते हैं. अब भले ही यह काम चाहे संसद में कानून बना कर हो या फिर सर्वोच्च अदालत के फैसले से. हालांकि जज इस तरह की कोशिशों पर क्या रुख अपनाते हैं यह देखना बाकी है.

सर्वोच्च अदालत ने भ्रूण हत्या पर कानून बनाने का हक राज्यों को दे दिया हैतस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance

रुढ़िवादी जज क्लैरेंस थॉमस ने यह कह कर खलबली मचा दी है कि अदालत को कई दशकों से चले आ रहे दूसरे प्रमुख फैसलों को भी पलटने पर विचार करना चाहिए. इनमें निजी स्वतंत्रता से जुड़े समलैंगिक विवाह, समलैंगिक संबंध और बच्चे पैदा करने पर नियंत्रण से जुड़े कानून हैं. यह अभी साफ नहीं है कि क्या दूसरे जज भी इस तरह के कदमों का समर्थन करते हैं.

बंदूकों पर नियंत्रण का सवाल

23 जून को एक ऐतिहासिक फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अमेरिका का संविधान हर किसी को सार्वजनिक रूप से हैंडगन लेकर चलने के अधिकार की रक्षा करने की बात कहता है.

इस फैसले ने इस तरह की गतिविधियों को सीमित करने के लिए न्यू यॉर्क में लगाई सीमाओं को बेकार कर दिया. अदालत ने इसे संविधान के दूसरे संशोधन का उल्लंघन माना है जिसमें "हथियार रखने और लेकर चलने" का अधिकार दिया गया था. इस फैसले का उन राज्यों और शहरों पर बड़ा असर होगा जिन्होंने बंदूकों पर नियंत्रण के लिए कुछ नियम बनाए हैं.

स्थानीय जानकारी आशंका जता रहे हैं कि बंदूकों पर नियंत्रण से जुड़े दूसरे नियम भी खत्म हो जायेंगे. स्थानीय अदालतों को अब बंदूकों पर नियंत्रण से जुड़े कानूनों की अमेरिकी इतिहास में पारंपरिक रूप से लिये फैसलों से तुलना करके उनकी संवैधानिकता देखनी होगी. 

बंदूकों पर नियंत्रण की कोशिशों पर भी कोर्ट के फैसले का असर हुआ हैतस्वीर: Lynne Sladky/AP Images/picture alliance

जलवायु परिवर्तन और संघीय नियम

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार एक फैसले में बिजली संयंत्रों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगाने के जलवायु संरक्षण एजेंसी के अधिकार को भी सीमित कर दिया. यह फैसला बाइडेन प्रशासन के कार्बन उत्सर्जन को रोकने की कोशिशों के लिए एक बड़ा झटका है. इस फैसले का बड़ा असर हो सकता है क्योंकि अदालत का कहना है कि एजेंसी की कार्रवाई का पूरे देश के लिए महत्व है इसलिए इसे स्पष्ट रूप से संसद की मंजूरी लेनी होगी. जो कारोबारी गुट एजेंसी के फैसलों को इस आधार पर अदालत में चुनौती देंगे साथ ही यह जजों पर निर्भर करेगा कि वो इसकी व्याख्या कैसे करते हैं.

धर्म

सर्वोच्च अदालत के हाल में लिए कुछ फैसलों से चर्च और राष्ट्र को अलग करने वाली दीवार बिखर गई है. इससे अमेरिका की उन कानूनी परंपराओं को चोट पहुंची है जिन्हें सरकारी अधिकारियों के किसी धर्म विशेष का प्रचार प्रसार करने से रोकने के लिए लाया गया था.

इनमें 27 जून को लिया गया वो फैसला भी है जो एक सरकारी हाई स्कूल के फुटबॉल कोच के पक्ष में आया जिसने खेल खत्म होने पर खिलाड़ियों के साथ मैदान पर प्रार्थना की थी. अदालत ने सभी मामलों में उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ फैसला सुनाया जिनकी नीतियां और कार्य संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन करने से रोकने के लिए थे. अमेरिकी संविधान का पहला संशोधन सरकार के जरिये किसी धर्म का समर्थन करने से रोक लगाता है.

अदालत के फैसलों ने सरकारी स्कूलों के टीचरों समेत अधिकारियों के काम के दौरान अपनी धार्मिक विचारों को जाहिर करने की हदों को लेकर मुकदमों का रास्ता खोल दिया है. इसके साथ ही करदाताओं के पैसे से होने वाले कार्यक्रमों में धार्मिक संगठनों के हिस्सा लेने को भी आसान कर दिया है.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल रुढ़िवादी जज बहुमत में हैंतस्वीर: Al Drago/Getty Images

नस्ल

अगले सत्र में अदालत जिन मामलों पर सुनवाई करेगी उनमें कॉलेज और यूनिवर्सिटी के दाखिलों में नस्ल का ध्यान रखने का नियम भी है. दाखिलों में नस्ली तौर पर ज्यादा विविधता लाने के लिए बनाए इन नियमों को रुढ़िवादी कार्यकर्ता खत्म कराना चाहते हैं. रुढ़िवादी लंबे समय से कई कॉलेजों में काले और हिस्पानियाई छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए उठाये जाने वाले कदमों की शिकायत करते रहे हैं.

अदालत अमेरिकी मूल के बच्चों को गोद लेने में अमेरिकी मूल के परिवारों को वरीयता देने के संघीय नियम की वैधता को लेकर चल रहे विवाद की भी सुनवाई करेगी. इस नियम को चुनौती देने वाले लोगों की दलील है कि यह अमेरिका कै गैर मूल निवासियों के साथ भेदभाव है.

चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने हाल के वर्षों में अदालतों के लिए यह अनुमान लगाना मुश्किल कर दिया है कि क्या राजनेताओं की गतिविधियां मतदान के नियमों और चुनावी सीमाओं को तय कर रही हैं. अगले सत्र में जज इस मामले में रिपब्लिकन पार्टी समर्थित उस अपील पर सुनवाई के लिए तैयार हो गए हैं जो राज्यों के विधानमंडल को संघीय चुनाव से भी ज्यादा अधिकार दे सकता है. इसमें राज्यों की अदालतों पर नेताओं की गतिविधियों की समीक्षा के अधिकार सीमित करने की बात है. इस मामले का 2024 और उसके बाद होने वाले चुनावों पर बड़ा असर हो सकता है.

इसके अलावा भी आने वाले सत्र में कई ऐसे कानून हैं जिन पर आया फैसला अमेरिका को लंबे समय के लिए प्रभावित कर सकता है.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

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