अमेरिका ने यूरोपीय संघ से होने वाले स्टील और एल्युमीनियम आयात पर शुल्क लगाने का एलान किया है. शुक्रवार को समयसीमा खत्म होने से पहले दोनों पक्षों के अधिकारियों के बीच नहीं हो सकी कोई डील.
विज्ञापन
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बुर रोस ने कहा है कि यूरोपीय संघ, कनाडा और मेक्सिको से होने वाले स्टील आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क और एल्युमीनियम आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है.
गुरुवार को उन्होंने कहा शुक्रवार की समयसीमा से पहले कोई डील न होने की स्थिति में नए शुल्क मध्यरात्रि से लागू हो जाएंगे. उन्होंने कहा, "एक तरफ हम कनाडा और मेक्सिको से वार्ता को लेकर उत्साहित हैं तो दूसरी तरफ यूरोपीय आयोग के साथ भी, क्योंकि और भी कई मुद्दे हैं जिन्हें सुलझाया जाना है."
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मार्च में इन शुल्कों को लागू किया था, जिसका निशाना मुख्य तौर पर चीन था. लेकिन बाद में अमेरिका ने फिर कई देशों को इससे अस्थायी रियायत दे दी और इन रियायतों के बदले और ज्यादा स्थाई रियायतें हासिल करने के लिए हर देश के साथ वार्ता शुरू की.
कहां कहां बंद करेगा अमेरिका अपना कारोबार
कहां कहां बंद करेगा अमेरिका अपना कारोबार
उत्तर कोरिया के परमाणु दावों से तिलमिलाये अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका उन देशों के साथ कारोबारी संबंध खत्म कर सकता है जो उत्तर कोरिया के साथ व्यापार करते हैं. लेकिन क्या यह संभव है.
तस्वीर: Getty Images/O. Douliery
वैश्विक कारोबार
वैश्विक कारोबार की बात करें तो उत्तर कोरिया कोई बहुत बड़ा खिलाड़ी नहीं है. साल 2015 के सीआईए फैक्टबुक के आंकड़ों मुताबिक यह दुनिया के 100 आयात-निर्यात करने वालों देशों की सूची में भी नहीं आता. लेकिन हैरानी की बात है कि जिन देशों के साथ इसके कारोबारी संबंध हैं वह दुनिया के बड़ी अर्थव्यवस्थायें हैं.
तस्वीर: Reuters/KCNA
चीन
उत्तर कोरिया के साथ लगभग 1420 किमी की सीमा साझा करने वाला चीन इसका सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के आंकड़ो मुताबिक साल 2015 में उत्तर कोरिया के 83 फीसदी निर्यात में चीन की हिस्सेदारी थी वहीं इसके आयात में भी इसका 85 फीसदी हिस्सा रहा.
अब सवाल है कि क्या अमेरिका के लिये चीन के साथ कारोबारी संबंध खत्म करना संभव है. अमेरिका और चीन के कारोबारी संबंध में अगर कोई उतार-चढ़ाव आता है तो उसका असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिलेगा. कनाडा और मैक्सिको के बाद चीन ही ऐसा तीसरा बड़ा देश है जो अमेरिका से सबसे अधिक चीजें खरीदता है. वहीं अमेरिका भी चीन से अपनी जरूरत का करीब 21 फीसदी सामान खरीदता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Vucci
भारत और अमेरिका
भारत, उत्तर कोरिया का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. इसका उत्तर कोरिया के साथ 3.1 फीसदी आयात और 3.5 फीसदी निर्यात होता है. लेकिन विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ संबंध खत्म करना भी अमेरिका के लिये आसान नहीं है. रणनीतिक और कारोबारी लिहाज से अमेरिका के लिये भारत एशिया में बेहद महत्वपूर्ण है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP/M. Swarup
एशियाई पड़ोसी
उत्तर कोरिया के अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ भी व्यापारिक संबंध हैं. निर्यात की बात करें तो पाकिस्तान के साथ भी इसके संबंध हैं, इसके बाद सऊदी अरब के साथ भी यह निर्यात साझेदारी रखता है. इसके अलावा कई छोटे मुल्कों के साथ इसके कारोबारी संबंध हैं. अफ्रीकी महीद्वीप के बुर्किना फासो और जांबिया जैसे देश भी उत्तर कोरिया के साथ कारोबार करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA/B. Algaloud
अन्य साझेदार
उत्तर कोरिया में वस्तुओं की आपूर्ति करने में रूस की अहम भूमिका है. रूस, थाईलैंड और फिलीपींस जैसी अर्थव्यवस्थाओं के भी इसके साथ व्यापारिक संबंध हैं. छोटे स्तर पर ही सही उत्तर कोरिया के जर्मनी के साथ भी व्यापारिक संबंध हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/POOL Reuters/T. Siu
जर्मनी का साथी
साल 2015 में जर्मनी ने उत्तर कोरिया के साथ 29 लाख यूरो का आयात किया था, जिसमें फेरो एलॉय, तार और एक्स-रे से जुड़े उपकरण शामिल थे. वहीं उत्तर कोरिया ने तकरीबन 74 लाख यूरो का निर्यात किया था इसमें मुख्य तौर पर पैकेज दवाइयां शामिल थीं. (एए/आर्थर सुलिफन)
तस्वीर: Reuters/F. Bensch
7 तस्वीरें1 | 7
यूरोपीय संघ को भी रियायत मिली थी और वह ट्रंप प्रशासन के साथ बात कर रहा था. लेकिन इस रियायत की समयसीमा शुक्रवार को खत्म होनी है. अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस वार्ता से जुड़े लोगों के हवाले से कहा है कि आखिरी वक्त पर कोई डील होने की संभावना नहीं है. यूरोपीय अधिकारियों ने इस बारे में पेरिस में अमेरिकी अधिकारियों से बात की लेकिन उनके बीच कोई सहमति नहीं बन पाई.
यूरोपीय आयोग का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टील और एल्युमीनियम की अत्यधिक मात्रा के लिए वह जिम्मेदार नहीं है इसलिए उसे इन शुल्कों से स्थायी रूप से रियायत मिलनी चाहिए. लेकिन अमेरिकी वाणिज्य मंत्री रोस ने संकेत दिया कि अब और रियायत नहीं दी जा सकती है.
उधर यूरोपीय संघ ने भी जवाबी कदम उठाने का संकेत दिया है. उसका कहना है कि वह भी अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर शुल्क लगाएगा, जिनमें हार्ले डेविडसन मोटरबाइक, ब्लू जीन्स, मक्के की व्हिस्की, संतरे का जूस और मूंगफली का बटर शामिल है.
एके/ओएसजे (एपी, एएफपी)
निवेश के लिहाज से टॉप 10 देश
निवेश के लिहाज से टॉप 10 देश
अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों, एटी कैर्नी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसी अंकटैड ने निवेश के लिहाज से पसंदीदा देशों की सूची जारी है. इसमें भारत भी है. जानिए कौन सा देश किस जगह है.
तस्वीर: PHILIPPE LOPEZ/AFP/Getty Images
10. जापान
कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां और विकास योजनाएं रिसर्च के लिए जापान पर निर्भर हैं. देश पूर्वी एशिया में लॉजिस्टिक का प्रमुख केंद्र है. आर्थिक रूप से भले ही जापान की विकास दर धीमी हो लेकिन घरेलू बाजार, पढ़े लिखे कामगारों और ग्राहकों की वजह से देश निवेशकों को लुभाता है.
तस्वीर: Fotolia/lassedesignen
9. इंग्लैंड
यूरो जोन के वित्तीय तंत्र के करीब जाने की कोशिश करने वाले निवेशक ब्रिटिश अर्थव्यव्स्था की रीढ़ हैं. हालांकि ब्रिटेन 2017 में यूरोपीय संघ में बने रहने के फैसले पर वोटिंग करेगा. ब्रिटेन को अब भी दुनिया के वित्तीय और कारोबारी केंद्र के तौर पर देखा जाता
तस्वीर: picture-alliance/dpa
8. थाइलैंड
थाइलैंड लंबे समय से निवेशकों को लुभाता रहा है. कभी हाथियों के लिए मशहूर थाइलैंड अब दुनिया में टोयोटा का तीसरा बड़ा प्रोडक्शन सेंटर है. मलेशिया की तरह थाइलैंड भी ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर के निवेशकों की पसंद है.
तस्वीर: imago/McPhoto
7. मेक्सिको
सस्ती मजदूरी और परिवहन का कम खर्चा, अमेरिकी निवेशकों को अपना पड़ोसी देश मेक्सिको लुभाता है. मेक्सिको ने ऊर्जा क्षेत्र को निजी निवेशकों के लिए खोल दिया है, इसका असर साफ तौर पर देखा जा रहा है.
तस्वीर: picture alliance/Arco Images GmbH
6. जर्मनी
मैनुफैक्चरिंग में जर्मनी दुनिया का सबसे विकसित देश है. यूरोप की धुरी कहा जाने वाला जर्मनी लंबे समय से निवेश के लिए सुरक्षित जगह खोजने वाले कारोबारियों को आकर्षित करता है. यूरोप की बाकी अर्थव्यवस्थाओं के गोता लगाने के बावजूद जर्मनी विकास कर रहा है.
तस्वीर: Reuters
5. ब्राजील
फुटबॉल और सांबा के लिए मशहूर ब्राजील विकासशील देश से औद्योगिक शक्ति बनना चाह रहा है. पोर्टफोलियो इनवेस्टरों के जाने के बावजूद ब्राजील में लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए अच्छी जगह है. ऊर्जा और खनन सबसे ज्यादा फायदे के इनवेस्टमेंट हैं.
तस्वीर: Fotolia/marchello74
4. इंडोनेशिया
बड़े घरेलू बाजार और प्राकृतिक संसाधनों के चलते निवेशक इंडोनेशिया की तरफ देखते हैं. लेकिन कच्चे माल के निर्यात पर लगी रोक से निवेशक चिंता में हैं. सरकार की यह नीति देश के निवेश को प्रभावित कर सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
3. भारत
भारत ने अपने यहां 25.5 अरब डॉलर का सीधा विदेशी निवेश खींचा है. भारत अब भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए पंसदीदा जगह है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद निवेशकों का भरोसा लौट रहा है. निवेशकों के लिए भारत की लालफीताशाही अब भी एक समस्या बनी हुई है.
तस्वीर: Getty Images/Afp/Punit Paranjpe
2. अमेरिका
चीन के बाद अमेरिका अब भी निवेशकों की दूसरी पसंद है. विदेशी निवेश के लिए भरोसे के सूचकांक में वह पहले नंबर पर है. विदेशी कंपनियां अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और वित्तीय सेक्टर में निवेश करने को बेताब रहती हैं.
तस्वीर: Reuters
1. चीन
दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अब भी निवेशकों की पहली पसंद है. सर्वे में शामिल 150 बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से 45 फीसदी ने चीन को निवेश के लिहाज से सबसे अच्छा करार दिया. चीन में टेलीकम्युनिकेशन, ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक्शन आसमान पर है.