वीजा प्रतिबंधों के बाद अमेरिका ने उन विशेष उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है जो भारत सरकार महामारी के दौरान अमेरिका में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए चला रही थी.
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अमेरिका का कहना है कि ये उड़ानें एक अनुचित कार्य प्रणाली के तहत चल रही थीं और इनसे दोनों देशों के बीच की विमानन संधि का उल्लंघन हो रहा था. अमेरिकी सरकार के परिवहन विभाग का आरोप है कि एयर इंडिया भारत के नागरिकों को वापस लाने के लिए विशेष उड़ानें भी चला रही है और आम यात्रियों को टिकट भी बेच रही है. विभाग का आरोप है कि इससे अमेरिकी विमानन कंपनियों का प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान हो रहा है क्योंकि भारतीय नियामकों ने अमेरिकी कंपनियों को भारत के लिए उड़ानें चलाने से रोका हुआ है.
विभाग का यह भी कहना है कि एयर इंडिया महामारी से पहले की स्थिति के लगभग आधे के बराबर उड़ानें चला रहा है और कंपनी नागरिकों को स्वदेश लौटा लाने वाली उड़ानों का इस्तेमाल दूसरे देशों के उड़ान संबंधी प्रतिबंधों से बचने के लिए कर रही है. विभाग ने निर्देश दिया है कि भारतीय विमानन कंपनियों को चार्टर उड़ानों को चलाने से पहले विभाग से अनुमति लेने के लिए आवेदन देना होगा ताकि विभाग और बारीकी से जांच कर सके.
जब भारत अमेरिकी विमानन कंपनियों पर से प्रतिबंध हटा लेगा, तब अमेरिका का परिवहन विभाग भारत पर लगाए गए इन नए प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करेगा. भारत 'वंदे भारत' मिशन के तहत महामारी के दौरान दूसरे देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए विशेष उड़ानें चला रहा है. मिशन अपने तीसरे चरण में है और अभी तक 389 उड़ानों में दुनिया भर से करीबी एक लाख भारतीयों को वापस लाया गया है.
वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. आदेश 22 जुलाई से लागू हो चुका है. अमेरिकी परिवहन विभाग ने इसके पहले चीन पर भी आरोप लगाया था कि वह अमेरिकी विमानन कंपनियों को अनुचित रूप से चीन के लिए उड़ानें चलाने की अनुमति नहीं दे रहा है. उसने चीन को भी यह कहा था कि वह कुछ चार्टर उड़ानों के लिए विभाग से पहले से अनुमति ले.
विशेष विमानों पर प्रतिबंध अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए वीजा प्रतिबंधों के तुरंत बाद आया. ट्रंप ने इस साल के अंत तक अमेरिका में काम करने के लिए अनिवार्य एच-1-बी समेत सभी श्रेणी के वीजा को स्थगित कर दिया है. प्रतिबंध सभी देशों के लिए हैं लेकिन इनका सबसे बड़ा असर भारत पर पड़ने की आशंका है क्योंकि अमेरिका हर साल जो 85,000 एच-1-बी वीजा देता है, उसमें से 70 प्रतिशत भारतीयों को मिलते हैं. ये प्रतिबंध उन विदेशी नागरिकों पर लागू नहीं होंगे जो पहले से वैध वीजा पर अमेरिका में हैं.
यह तो तय है कि हवाई जहाज से यात्रा कोरोना संकट के पहले के दिनों से काफी अलग होने और दिखने वाली है. देखिए एयरपोर्ट पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से लेकर सीटों का डिजाइन कैसे बदलने वाला है.
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बजट एयरलाइंस
दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों को हवाई यात्रा का मौका और सुविधा देने वाली बजट एयरलाइंस खास तौर पर कोरोना महामारी के लॉकडाउन के बाद के हालातों को लेकर चिंता में हैं. ये पूरी तरह भर के चलने वाली एयरलाइंस होतीं थीं जो बमुश्किल कुछ मिनटों के लिए जमीन पर ठहरती थीं और फिर से यात्रियों से भरा विमान लेकर हवा में उड़ जाती थीं.
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जमीन पर ज्यादा वक्त
जब से भी ऐसे कमर्शियल प्लेन उड़ना शुरु करेंगे, उन्हें एक उड़ान से दूसरे के बीच काफी देर तक जमीन पर रहना होगा. उड़ानों के बीच इस लंबे ‘ब्रेक’ के दौरान विमान की अच्छी तरह सफाई और उसे सैनिटाइज करना (जैसे तस्वीर में अस्पताल को किया जा रहा है) अनिवार्य होगा. हालांकि कोविड संकट के दौरान किसी विमान में वायरस संक्रमण होने का कोई मामला सामने नहीं आया है.
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धीमी बोर्डिंग प्रक्रिया
इसके अलावा एयरपोर्ट पर यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए उन्हें दूर दूर रहना होगा और बोर्डिंग की प्रक्रिया बहुत धीरे धीरे पूरी हो पाएगी. इस कारण भी विमानों को दूसरी उड़ान भरने के लिए तैयार होने में ज्यादा वक्त लगेगा.
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विमान की हवा गंदी?
एविएशन इंडस्ट्री के अनुसार, केबिन की हवा उतनी ही साफ होती है जितनी किसी ऑपरेशन थिएटर की. वहां हाई परफॉर्मेंस फिल्टर लगे होते हैं जो हवा के कणों को साफ करते रहते हैं. इसके अलावा केबिन की हवा का प्रवाह नीचे की ओर होने से भी सफाई में मदद मिलती है.
यह साबित नहीं हुआ है कि बीच वाली कतार की सीटें खाली छोड़ने से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा. फिर भी यूरोविंग्स चलाने वाला लुफ्थांजा समूह फिलहाल इन्हें बुक करने का विकल्प नहीं दे रहा. एक और बजट एयरलाइन ‘इजीजेट’ भी शुरु में यात्रियों से उनके बगल वाली सीट खाली रखने का वादा कर रही है.
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इम्युनिटी पासपोर्ट की जरूरत
एविएशन कंसलटेंसी ‘सिंप्लिफाइंग’ का मानना है कि सुरक्षा जांच के अलावा भविष्य में यात्रियों को सैनिटाइज करने का एक चरण भी जोड़ा जा सकता है. अपनी हाल की रिपोर्ट में कंपनी ने बताया कि चेक-इन से पहले यात्रियों से उनका इम्युनिटी पासपोर्ट अपलोड करने के लिए कहा जा सकता है.
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एयरपोर्ट पर लंबा समय
यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय उड़ान से कम से चार घंटे पहले एयरपोर्ट पर पहुंचना पड़ सकता है. चेक इन एरिया में पहुंचने से पहले भी लोगों को एक डिसइंफेक्टेंट टनेल और थर्मल स्कैनर से गुजरना पड़ सकता है. इस बारे में एक नवगठित ट्रांसपोर्ट हेल्थ एथॉरिटी विश्व भर के एयरपोर्टों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर नए मानक तय करने में लगी है.
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बैगेज की भी चिंता
ऐसा मुमकिन है कि यात्रियों के अलावा उनके चेक-इन और केबिन वाले बैग को भी अल्ट्रावायलेट किरणों से डिसइंफेक्ट किया जाएगा. लैंड करने के बाद एक बार फिर यात्रियों को थर्मल स्कैनर से गुजरना होगा, इम्युनिटी पासपोर्ट फिर से वैरिफाई होगा और बैग्स को कन्वेयर बेल्ट पर रखने से पहले एक बार फिर से सैनिटाइज किया जाएगा.
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विमान में भी मास्क
जर्मन एयरलाइन लॉबी बीडीएल ने अपने कॉन्सेप्ट पेपर में सलाह दी है कि विमान में सभी के लिए नाक और मुंह को ढकने वाला मास्क पहनना अनिवार्य किया जा सकता है. लुफ्थांजा ने भी इसे जरूरी कर दिया है. कनाडा और अमेरिका की जेटब्लू जैसी एयरलाइन ने इसे अनिवार्य कर भी दिया है.
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नई तरह की सीटें
विमान की सीटें बनाने वाले नए नए विकल्प पेश कर रहे हैं. इटली की ‘एविओइंटीरियर्स’ का “ग्लाससेफ" डिजायन ऐसा होगा जिसमें कंधों से लेकर सिर के हिस्से में प्लेक्सिग्लास हुड बने हों. इससे आसपास बैठे लोगों को एक दूसरे से उड़ान के दौरान भी अलग रखा जा सकेगा.
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कार्गो वाले केबिन का डिजायन
एशियाई कंपनी हायको का प्रस्ताव है कि केबिन में ही सीटों की एक कतार की जगह कार्गो का बक्सा लगाया जाए. अब तक किसी एयरलाइन ने ऐसी केबिन वाली सीटें ऑर्डर नहीं की हैं. इस समय यात्री सीटों से अधिक कार्गो की मांग देखने को मिल रही है.
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केबिन क्रू के साथ अलग अनुभव
क्रू प्रोटेक्टिव कपड़ों में होंगे, यात्री भी दस्ताने और मास्क पहनेंगे और क्रू हर आधे घंटे पर हैंड सैनिटाइजर बांटेगा. बिजनेस और फर्स्ट क्लास में पैकेज्ड और सील खाने के पैकेट मिलेंगे. फ्लाइट के दौरान भी स्टाफ टॉयलेट की सफाई का ख्याल रखेगा. कुल मिला कर हवाई यात्रा का अनुभव काफी बदलने वाला है. (रिपोर्ट: आंद्रेयास श्पेथ/आरपी)