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अमेरिका ने पाकिस्तान से सेना वापस बुलाई

२६ मई २०११

अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान की मांग पर वह अपनी सेनाएं वापस बुला रहा है. ओसामा बिन लादेन पर हुई अमेरिकी कार्रवाई के बाद रखी पाकिस्तान ने मांग. वापस बुलाए गए सैनिकों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं.

Pakistani and U.S. soldiers during the joint Pakistan-U.S. army exercise on Sunday, October 20, 2002 at undisclosed location in Pakistan. (AP Photo/Defense Ministry, HO)
तस्वीर: AP

पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल डेव लेपन ने बताया कि कम से कम अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान में मौजूद हैं, जिन्हें वापस भेजने के लिए पाकिस्तान पिछले दो हफ्तों से मांग कर रहा है. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने हाल ही में हमें लिखित में अपनी मांग भेजी. वह चाहता है कि देश में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी को कम किया जाए. हमने इसे ध्यान में रखते हुए सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है." हालांकि लेपन ने यह नहीं बताया कि कितने सैनिकों को वापस बुलाया गया है.

तस्वीर: picture alliance/abaca

बिन लादेन पर कार्रवाई

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पकिस्तान अमेरिका के साथ मिल कर काम कर रहा है. इसी के चलते अमेरिकी सैनिकों को खास तौर से पाकिस्तानी सेनाओं को सलाह और अल कायदा के खिलाफ ट्रेनिंग देने के लिए भेजा गया. 2 मई को अमेरिका की बिना पाकिस्तान को बताए की गई कार्रवाई के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आया है. कार्रवाई के कुछ ही दिन बाद पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल अशफाक कियानी ने कहा कि यदि अमेरिका पाकिस्तान की जमीन पर दोबारा ऐसी कार्रवाई करता है तो इसका सीधा असर आपसी संबंधों पर पड़ सकता है. वहीं अमेरिका ने कहा कि जरूरत पड़ने पर दोबारा भी ऐसी कार्रवाई की जा सकती है.

डेविस मामला

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए काम करने वाले रेमंड डेविस के कांड के बाद भी पाकिस्तान ने अमेरिका से कम 15 से 20 सैनिकों को वापस बुलाने को कहा था. रेमंड डेविस पर आरोप था कि उन्होंने दो पाकिस्तानियों की गोली मार कर जान ले ली. महीनों तक चले मुकदमे के बाद रेमंड डेविस को मुआवजे के बदले में छोड़ दिया गया.

पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान

कई अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान पर दोहरा खेल खेलने का इल्जाम लगाया है. सांसदों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान को लम्बे समय से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए को आर्थिक मदद देता आया है, अब उसे रोक देना चाहिए. वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान का साथ देना नहीं छोड़ सकता, क्योंकि उसे अफगानिस्तान तक सेनाएं पहुंचाने के लिए पाकिस्तान की जरूरत है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: वी कुमार

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