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अमेरिका ने म्यांमार के सेना प्रमुख के खिलाफ लगाया प्रतिबंध

१७ जुलाई २०१९

अमेरिका ने म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग हलैंग और सेना के अन्य सदस्यों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है. यह कदम म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ की गई हिंसा में शामिल होने के चलते उठाया गया है.

Myanmar: Zehn muslimische Rohingya-Männer knien mit gefesselten Händen im Inn-Din-Dorf
तस्वीर: Reuters/Handout

अमेरिका ने मंगलवार को अपनी घोषणा में कहा कि वह म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग हलैंग और सेना के अन्य सदस्यों के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगा. म्यांमार में हुई हिंसा के चलते तकरीबन साढ़े सात लाख रोहिंग्या मुसलमान सीमा पार कर बांग्लादेश चले गए थे.

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पोए ने कहा, "हम चिंतित हैं कि बर्मा सरकार ने मानवाधिकारों के उल्लंघन और दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया. वहां से लगातार ऐसी खबरें आती रही कि बर्मा की सेना पूरे देश में मानवाधिकारों का उल्लंघन और दुर्व्यवहार कर रही है."

म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध धर्म को मानने वाली है. म्यांमार का पुराना नाम बर्मा है. म्यांमार ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों को नागरिकता या मूल अधिकार देने से इनकार कर दिया है.

पोम्पोए ने कहा कि मिन ओंग हलैंग ने साल 2017 में हुए इन दिन नरसंहार में दोषी सैनिकों को छोड़ने का आदेश दिया था. इन दिन म्यांमार के रखाइन प्रांत का एक गांव था जहां बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था.

पोम्पोए ने कहा, "यह एक सेना और उसके नेतृत्व के लिए जवाबदेही की कमी का उदाहरण है." इन दिन नरसंहार का खुलासा रॉयटर्स के दो पत्रकारों ने किया था. दोनों पत्रकारों को सरकारी गोपनीय दस्तावेज प्राप्त करने के आरोप में 16 महीने जेल में रहना पड़ा. दोनों को 6 मई को माफी के बाद रिहा कर दिया गया था.

अमेरिकी प्रतिबंधों से विशेष रूप से म्यांमार की नेता आंग सान सू ची को छूट दी गई है. हालांकि पश्चिमी देश रोहिंग्या समुदाय पर होने वाले अत्याचारों पर आंग सान सू ची की चुप्पी की आलोचना करते रहे हैं. पिछले साल अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया कि रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा में बड़े पैमाने पर महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया. कई गांवों को जला दिया गया. रोहिंग्या की एक बड़ी आबादी को डराने और देश से बाहर निकालने के लिए काफी ज्यादा हिंसा की गई.

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आरआर/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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