अमेरिका और रूस के बीच की राजनयिक कार्रवाई लगातार नाटकीय होती जा रही है. रूस के फैसले के जवाब में अमेरिका ने सैन फ्रांसिस्को में स्थित सबसे पुराना रूसी वाणिज्य दूतावास बंद करवा दिया है.
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48 घंटों की भीतर रूस को सैन फ्रांसिस्को के अपने कॉन्सुलेट के अलावा न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन के रूसी कार्यालय भी बंद करने होंगे. एक बार फिर शीत युद्ध के दुश्मन आमने सामने आ गये हैं. डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन इसे रूसी कार्रवाई का जवाब बता रहा है.
कुछ ही हफ्ते पहले रूस ने मांग की थी कि अमेरिका रूस में मौजूद अपने दूतावास कर्मचारियों की संख्या को घटाये. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉअर्ट ने कहा, "अमेरिका आगे भी जरूरत पड़ने पर ऐसे कदम उठाने के लिए तैयार है." इसके साथ ही उन्होंने कहा, अमेरिका की उम्मीद रहेगी कि दोनों देश "संबंधों को सुधारने" और "सहयोग बढ़ाने" की ओर बढ़ेंगे.
अमेरिकी घोषणा के कुछ ही घंटे बाद वॉशिंगटन हवाई अड्डे पर पहुंचे नये रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव को इस खबर से झटका लगा. रूसी समाचार एजेंसी के अनुसार, एंटोनोव ने इसकी प्रतिक्रिया में कहा, "हमें उन्मादी आवेग दिखाने की जरूरत नहीं है."
रूस-अमेरिका में युद्ध हो जाए तो
शीत युद्ध के बाद रूस अमेरिका के रिश्ते एक बार फिर खराब दौर से गुजर रहे हैं. यहां तक कि युद्ध की बात भी होने लगी है. मिलिट्री टाइम्स ने दोनों की सैन्य शक्ति की तुलना की है. देखिए...
तस्वीर: Reuters/Sputnik/Kremlin/A. Druzhinin
डिफेंस बजट
रूस का रक्षा बजट है 60 अरब डॉलर. अमेरिका का 560 अरब डॉलर.
रूस के पास 8 लाख 45 हजार सैनिक हैं. अमेरिका के पास हैं 13 लाख 50 हजार.
तस्वीर: Getty Images/D. Karadeniz
एयरक्राफ्ट
रूस के पास 1200 टैक्टिकल एयरक्राफ्ट हैं. अमेरिका के पास 3290.
तस्वीर: picture alliance/PIXSELL/S. Ilic
लॉन्ग रेंज एयरक्राफ्ट
दूर तक जाकर मार करने वाले रूस के पास 180 विमान हैं. अमेरिका के पास 157.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Maeshiro
युद्धक पोत
समुद्रतल पर जंग में सक्षम जहा रूस के पास हैं 217. अमेरिका के पास 272.
तस्वीर: Reuters//U.S. Navy/Mass Communication Specialist Seaman Anna Van Nuys
विमानवाहक युद्धपोत
रूस के पास सिर्फ एक है. अमेरिका के पास 10 हैं.
तस्वीर: Reuters/Norwegian Royal Airforce
पनडुब्बी
रूस के पास 59 पनडुब्बियां हैं. अमेरिका के पास 71.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Blackwood
परमाणु हथियार
रूस के पास 7700 परमाणु हथियार हैं. अमेरिका के पास 7100.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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अमेरिका की इस कार्रवाई को रूस के खिलाफ सन 1986 के बाद से उठाया गया सबसे नाटकीय कदम माना जा सकता है. तब शीतयुद्ध के खात्मे की ओर बढ़ते समय दोनों परमाणु हथियार संपन्न देशों ने एक दूसरे के दर्जनों राजनयिकों को निकाल दिया था.
एक बार फिर दोनों देशों के बीच उस स्तर के मतभेद पैदा हो गये हैं. पहले यूक्रेन और सीरिया युद्ध को लेकर फिर 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूसी दखलंदाजी के आरोपों को लेकर उससे भी ज्यादा दबाव झेल रहे अमेरिका-रूस संबंध गंभीर दौर से गुजर रहे हैं. अमेरिकी चुनाव में रूसी हाथ होने के मामले की जांच अभी भी जारी है.
पिछले साल चुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप में अमेरिका ने इसी सैन फ्रांसिस्को केंद्र से कई रूसी अधिकारियों को हटा कर वापस रूस भेज दिया था. वैसे तो 48 घंटे में रूस को अमेरिका में स्थित अपने तीनों केंद्र बंद करने के आदेश मिले हैं, लेकिन रूसी स्टाफ को देश छोड़ने को नहीं कहा गया है.
दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में हुई कार्रवाई का रूसी राष्ट्रपति ने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया था. फिर डॉनल्ड ट्रंप ने रूस के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने के वादे के साथ पद संभाला. लेकिन अगस्त में रूस पर लगाये प्रतिबंधों के कारण यह प्रतिक्रिया आयी है.
रूस ने अपने यहां मौजूद अमेरिकी डिप्लोमैट्स की संख्या को 455 पर सीमित कर दिया है. इसके लिए 755 अमेरिकियों को रूस छोड़ना पड़ा है. इस कारण अब रूस से अमेरिका का वीजा लेने वालों को राजधानी मॉस्को ही जाना पड़ रहा है. इस बदले की कार्रवाई के बाद दोनों ही देशों के एक दूसरे के यहां तीन वाणिज्य केंद्र और बहुत कम संख्या में डिप्लोमैटिक स्टाफ ही बचे हैं.
आरपी/एनआर (एपी)
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
तस्वीर: Reuters/T. Makeyeva
विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Sana
Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.