रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय संघ को अमेरिका से स्वतंत्र होने को कहा है. उन्होंने शस्त्र होड़ और शरणार्थियों की लहर के लिए अमेरिकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया.
विज्ञापन
पुतिन ने ये बातें स्विट्जरलैंड के सरकारी चैनल एसआरएफ को दिए इंटरव्यू में कही. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि यूरोप में फिर से युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है, तो इस पर उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसा नहीं होगा. लेकिन हम एक ऐसे यूरोप की चाहत रखते हैं जो अपनी स्वाधीनता और आधिपत्य को मजबूत तरीके से पेश करे." उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ का बात बात पर अमेरिका के साथ परामर्श करना उनके लिए परेशानी भरा है, "अगर हमें अपने यूरोपीय साझेदारों के साथ अंदरूनी मामलों पर बातचीत करने के लिए वॉशिंगटन का रुख करना पड़े, तो यह थोड़ा अजीब तो लगता है." पुतिन ने कहा कि बेहतर साझेदारी के लिए जरूरी है कि यूरोप अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करे.
इराक में तार तार होती सभ्यता
इराक में इस्लामिक स्टेट के उग्रवादी हजारों साल पुरानी मूर्तियों और कला के कीमती नमूनों को नष्ट कर रहे हैं. इस घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है. सरकार ने इसे रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार की है.
तस्वीर: Mohammad Kazemian
धरोहरों का नाश
इस्लामिक स्टेट के उग्रवादियों ने इराक के उत्तरी शहर मोसुल के संग्रहालय में हजारों साल पुरानी मूर्तियों को तोड़ दिया. ये मूर्तियां प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता का हिस्सा हैं. जिहादियों का कहना है कि इस्लाम धर्म मूर्तियां रखने की इजाजत नहीं देता. मुस्लिम विद्वानों ने उग्रवादियों की इस हरकत की आलोचना की.
यह तस्वीर 2000 साल पुराने शहर हातरा की है. रिपोर्टों के मुताबिक इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने यहा भी बुलडोजर से काफी नुकसान किया. इराक के पर्यटन मंत्री आदेल शीरशाब के मुताबिक, "उनकी लड़ाई पहचान की लड़ाई है, वे खासकर इराक के इन इलाकों को पूरी तरह बर्बाद कर देना चाहते हैं."
इस्लामिक स्टेट के लड़ाके इराक के उत्तरी शहर निनेवे को भी बर्बाद करने पर तुले हुए हैं जिसे पश्चिमी पुरातत्वविद सभ्यता के इतिहास के लिहाज से बहुत अहम मानते हैं. शीरशाब के मुताबिक, "इस बात की आशंका थी कि वे इसे बर्बाद करेंगे." संयुक्त राष्ट्र ने इसे 'युद्ध अपराध' करार दिया है.
रिपोर्टों के मुताबिक इस्लामिक स्टेट के उग्रवादी बड़ी मूर्तियों को तोड़ फोड़ रहे हैं जबकि छोटी कीमती मूर्तियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर उससे पैसे बना रहे हैं.
इतिहासकार इन घटनाओं की तुलना 2001 में अफगानिस्तान के शहर बामियान में बुद्ध की मूर्तियों को पहुंचाए गए नुकसान से कर रहे हैं. लेकिन कई मानते हैं कि इराक की मेसोपोटामिया सभ्यता को पहुंचाया जा रहा नुकसान उससे कहीं भारी है.
तस्वीर: Mohammad Kazemian
6 तस्वीरें1 | 6
यूरोप में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के लिए भी पुतिन ने अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, "यूरोप भारी संख्या में शरणार्थियों से जूझ रहा है. लेकिन इसका फैसला भी समुद्र पार से लिया गया था." पुतिन ने कहा कि वे अमेरिका की दखलंदाजी की बात कर रहे हैं लेकिन वे किसी भी तरह से अमेरिका को शैतान के रूप में पेश नहीं करना चाहते.
एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि (एबीएम) के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इसका एकतरफा इस्तेमाल किया, "अमेरिका ने जब अपनी मिसाइल बनानी शुरू की, तभी हमने साफ कर दिया था कि इसके जवाब में हमें जरूरी कदम उठाने ही पड़ेंगे. इसके तहत हमारा इरादा कूटनीतिक संतुलन बनाने का था. रूस के नए शस्त्रीकरण प्रोग्राम की आलोचना को पुतिन ने गलत बताया और कहा कि जो लोग रूस की ओर से खतरे की बात कर रहे हैं वे स्थिति को ठीक तरह से समझ ही नहीं पाए हैं."
पुतिन ने यूक्रेन संकट जैसे मामलों पर बातचीत करने पर भी सहमति जताई. ईरान के परमाणु समझौते को उन्होंने एक अच्छा उदाहरण बताते हुए कहा कि बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान निकल सकते हैं.