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अमेरिका में बदशक्ल हैं मानवाधिकार: रिपोर्ट

१३ मई २०११

दुनियाभर को मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका का अपना रिकॉर्ड ग्वांतानामो बे की जेल और अफगानिस्तान की ज्यादतियों और मौत की सजाओं से रंगा हुआ है. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट जारी.

Logo amnesty international
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लंदन से काम करने वाले संगठन एमनेस्टी की सालाना रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में पिछले एक साल में 46 लोगों को मौत की सजा दी गई. इनमें से कई मामलों में आरोपियों के दोषी होने में ही संदेह की गुंजाइश थी. ग्वांतानामो बे की जेल में 174 कैदियों पर हो रही ज्यादतियां भी अमेरिका के मानवाधिकार रिकॉर्ड को खराब करती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "पिछले साल के आखिर तक वहां 174 कैदी थे जिनमें से तीन को सैन्य आयोग व्यवस्था के तहत सजा दी गई जबकि मुकदमा निष्पक्षता के अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतर सका."

तस्वीर: AP

कब बंद होगी ग्वांतानामो जेल

रिपोर्ट कहती है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की ग्वांतानामो जेल बंद करने की समय सीमा आई और चली गई लेकिन अब भी वहां बड़ी तादाद में कैदी मौजूद हैं. एमनेस्टी ने अफगानिस्तान के बगराम में अमेरिकी सेना के बेस में बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के तहत बंद सैकड़ों लोगों का सवाल भी उठाया है. रिपोर्ट में कहा गया है, "वहां बंद सैकड़ों लोग प्रताड़ना का शिकार हैं. उनसे बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है. उन्हें अकेले रखा जाता है, सोने नहीं दिया जाता और बहुत ज्यादा तापमान में रखकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है."

तस्वीर: AP

एमनेस्टी के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने तो जवाबदेही तय करने की कोशिशों के लिए भी रास्ते बंद कर रखे हैं. अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हिरासत में रखे गए लोगों के खिलाफ किए गए अपराधों को अमेरिका के गोपनीय हिरासत और प्रस्तुतिकरण कार्यक्रम के जरिए धता बताया जा रहा है.

प्रताड़ना के नए नए तरीके

रिपोर्ट पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश की अपनी किताब में कही बात का भी जिक्र करती है. बुश ने लिखा था कि उन्होंने ही गोपनीय तरीके से सीआईए की हिरासत में रखे गए लोगों से पूछताछ के लिए नई तकनीकों को इजाजत दी.

मौत की सजा को लेकर भी अमेरिका की सख्त आलोचना की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी कानून के जरिए ताकत का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है. 45 लोगों की मौत पुलिस कार्रवाई में हुई जबकि उनमें से बहुत से लोग निहत्थे थे और उनसे किसी को कोई गंभीर खतरा नहीं था.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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