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अमेरिका में भी मजदूरी से पेट पालते हैं बच्चे

८ जनवरी २०११

एशिया और अफ्रीका के कई देशों में बच्चों से मजदूरी करवाई जाती है. लेकिन यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि दुनिया के सबसे रईस देश अमेरिका में भी लाखों बच्चे खेतों में काम कर के अपना पेट पालते हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिका के उत्तरी केरोलाइना राज्य में जींस और टी शर्ट पहने एक पंद्रह साल का लड़का काम पर जाने की तैयारी कर रहा है. पर एस्तेबान नाम का यह लड़का किसी मकान में नहीं, बल्कि एक गाडी में है. यह टूटी फूटी गाड़ी ही उसका घर है. गाड़ी की छत में कई छेद हैं और खिड़कियों पर लगा प्लास्टिक का पर्दा फटा हुआ है.

यहां वह अकेला नहीं है. वह लगभग अपनी ही उम्र के आठ और लोगों के साथ इसमें रहता है. साथ ही उसका एक चौदह साल का दोस्त भी है - गिलबर्टो. कैसा लगता है एस्तेबान को यहां रहना?

"अब तो इस सब की आदत हो गई है. हां, शुरू शुरू में अच्छा नहीं लगता था." एस्तेबान इस गाड़ी में रहने वाले अपने बाकी साथियों की ही तरह मेक्सिको का रहने वाला है और ये सब अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं. ये लोग अपनी रोज़ी रोटी कमाने अपने पड़ोसी देश अमेरिका आए हैं. ये सब पास ही आलू के खेतों में काम करते हैं.

रोज इन्हें अलग अलग खेतों में ले जाया जाता है. सुबह जब ये काम पर जाते हैं तो ज़्यादातर तो इन्हें यह पता ही नहीं होता कि वे किस खेत पर जा रहे हैं. गिलबर्टो बताता है, "मैं कई अलग अलग जगहों पर काम करता हूं. हां, यहां इस खेत में मेरे कुछ दोस्त हैं."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

ये बच्चे हाथों से मिट्टी खोद कर आलू निकालते हैं. हर किसी के पास एक प्लास्टिक की बाल्टी होती है जिसे भर कर आलूओं को ट्रक तक पहुंचाना होता है. एक बाल्टी के इन्हें केवल पैंतीस सेंट दिए जाते हैं. खूब मेहनत कर के और खेतों में पसीना बहा कर ये किसी तरह अपना पेट पालते हैं. एमिली ड्रैकेज उत्तरी कैरोलाइना में नाबालिगों के लिए एक एनजीओ चलाती हैं.

वह बताती हैं कि अमेरिका में केवल अपने खाने का इंतजाम करने के लिए हर महीने करीब 800 डॉलर की ज़रुरत पड़ती है और इन बच्चों को यह राशि जमा करने के लिए टनों आलू जमा करने पड़ते हैं.

"कितने लोग अपना बचपन, अपनी जवानी, अपनी पढ़ाई, अपनी सेहत, सब इसलिए कुरबान कर देते हैं कि हमें खाना मिल सके. कितनी अजीब बात है कि जिनकी वजह से हमें खाना मिलता हैं, उन बेचारों को खुद ही खाना नसीब नहीं होता."

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 से 2008 के बीच अमेरिका के खेतों में काम करते हुए 43 बच्चों की जान चली गई.

इनके अलावा दुर्घटनाओं में घायल हुए बच्चों के तो कोई आंकड़े मौजूद ही नहीं हैं. ऐसा इसलिए कि बच्चे पकड़े जाने के डर से डॉक्टर के पास जाते ही नहीं हैं. एमिली चाह कर भी इन बच्चों की मदद नहीं कर पाती क्योंकि वे अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं और अमेरिकी क़ानून भी इनकी रक्षा नहीं करता.

"बारह साल की उम्र से आप स्कूल जाने से पहले या बाद में खेतों में काम कर सकते हैं. कई बार तो अगर माता पिता से लिखवा लाएं तो दस साल की उम्र से ही शुरुआत कर सकते हैं. बाकी क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा के लिए नियम हैं, लेकिन खेती बाड़ी को ले कर इस देश में कोई खास कानून नहीं है."

इन्हीं खेतों से कुछ किलोमीटर दूर एक स्कूल है जहां मैरी ली मूयर पढ़ाती हैं. मैरी ने कई बार कोशिश की है कि वह इन बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित कर सकें, पर ऐसा हो नहीं पाता.

"इनमें से कई बच्चों को अपने परिवार का पालन पोषण करना होता है. उनके लिए भी यह मुश्किल होता है कि वो सारी रात खेतों में काम करें और फिर सुबह अपना होमवर्क पूरा कर के समय से स्कूल पहुंचें."

स्कूली शिक्षा के बिना इन बच्चों का कोई भविष्य भी नहीं है. एस्तेबान और गिलबर्टो जैसे बच्चों के लिए अंत में एक ही रास्ता रह जाता है कि जब वो इन खेतों से निकाल दिए जाएं तो वापस मेक्सिको चले जाएं. लेकिन वहां की गरीबी में रोजी रोटी कमाना और भी मुश्किल है. इसीलिए गिलबर्टो ने भविष्य को लेकर कोई भी सपना नहीं सजाया हैं.

रिपोर्ट: ईशा भाटिया

संपादन: एस गौड़

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