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समाज

मंदिर बनाने के लिए अवैध रूप से अमेरिका ले जाए गए मजदूर

१२ मई २०२१

अमेरिका के न्यूजर्सी में एक संस्था पर मंदिर बनाने के लिए भारत से दलित मजदूरों को अवैध रूप से ले जाने और कम वेतन देने के आरोप में मुकदमा दायर हुआ है. अमेरिका की केंद्रीय जांच संस्था एफबीआई मामले की जांच कर रही है.

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तस्वीर प्रतीकात्मक हैतस्वीर: Reuters

मुकदमे में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) पर मानव तस्करी और वेतन कानून के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं. एफबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि संस्था ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अदालत के आदेश पर उसके एजेंट 11 मई को मंदिर गए थे. एफबीआई ने और कुछ बताने से इनकार कर दिया. मुकदमा दायर करने वाले वकीलों में से एक ने बताया कि मंगलवार को ही कुछ श्रमिकों को मंदिर से हटा लिया गया था.

बीएपीएस पर आरोप है कि उसने 200 से भी ज्यादा श्रमिकों से जबरन भारत में ही रोजगार के समझौतों पर हस्ताक्षर करवाए. ये सभी श्रमिक दलित हैं. इनमें से अधिकतर श्रमिकों को अंग्रेजी नहीं आती. उन्हें न्यूजर्सी आर-1 वीजा पर लाया गया जो उन लोगों के लिए होते हैं जो धार्मिक कार्यों से जुड़े होते हैं. श्रमिक जब न्यूजर्सी पहुंच गए तो उनके पासपोर्ट ले लिए गए और फिर उनसे मंदिर में सुबह के 6.30 से शाम के 7.30 बजे तक काम करवाया गया.

उन्हें छुट्टियां भी बहुत कम दी जाती थीं और करीब 450 डॉलर मासिक वेतन दिया जाता था. मुकदमे में दी गई जानकारी के मुताबिक यह लगभग 1.20 डॉलर प्रति घंटा के बराबर था. इसमें से भी श्रमिकों को हर महीने सिर्फ 50 डॉलर नकद दिए जाते थे. बाकी भारत में उनके बैंक खातों में जमा करा दिया जाता था. मुकदमे में कई श्रमिकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील डैनिएल वर्नर ने कहा, "यह काफी स्तब्ध कर देने वाला है कि ऐसा हमारी नाक के नीचे हो रहा है. यह और भी ज्यादा अशांत करने वाला है कि ऐसा सालों से न्यूजर्सी में मंदिर की दीवारों के पीछे हो रहा था."

सितंबर 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री की भूमिका में नरेंद्र मोदी स्वामीनारायण मंदिर के एक पुजारी से तिलक लगवाते हुए.तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Panthaky

अमानवीय व्यवहार

वर्नर ने यह भी बताया कि कुछ श्रमिक वहां एक साल, कुछ दो साल तो कुछ उससे भी ज्यादा समय से थे और उन्हें बिना बीएपीएस के किसी व्यक्ति को साथ लिए वहां से बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी. बीएपीएस के सीईओ कनु पटेल को मामले में मुल्जिम बनाया गया है. उन्होंने न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार से कहा, "मैं आदरपूर्वक वेतन वाले दावे से असहमति व्यक्त करता हूं."

संस्था के एक प्रवक्ता मैथ्यू फ्रैंकेल ने बताया कि संस्था को आरोपों की जानकारी मंगलवार की सुबह ही दी गई. उन्होंने कहा, "हम इन आरोपों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और उठाए गए मुद्दों की गहराई से समीक्षा कर रहे हैं." इटैलियन और भारतीय संगमरमर से बना यह मंदिर न्यूजर्सी की राजधानी ट्रेंटन के बाहर रोब्बिंसविल में स्थित है और 162 एकड़ में फैला हुआ है. मुकदमे में दावा किया गया है कि श्रमिक एक ऐसे परिसर में रहते थे जिसके चारों तरफ बाड़ लगी हुई थी.

सुरक्षाकर्मियों और कैमरों के जरिए उनकी गतिविधि पर नजर रखी जाती थी. उन्हें बताया गया था कि अगर वो वहां से निकले तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं थे. मुकदमे में यह भी कहा गया है कि पटेल और दूसरे लोग इन श्रमिकों निरीक्षण करते थे. मुकदमे में ना चुकाए हुए वेतन और अन्य मुआवजों की भी मांग की गई है. बीएपीएस हिंदू धर्म के तहत एक वैश्विक संप्रदाय होने का दावा करता है जिसकी स्थापना 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही हुई थी.

संस्था का दावा है की इसने 1100 से भी ज्यादा बड़े मंदिरों का निर्माण करवाया है. रोब्बिंसविल मंदिर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था और निर्माण कार्य अभी भी चल ही रहा है. बीते सालों में इससे संबंधित कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनकी वजह से न्यूजर्सी प्रशासन और अमेरिकी सरकार के कई विभागों का ध्यान मंदिर की ओर गया है.

सीके/एए (एपी)

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