अमेरिकी चुनावों में नतीजा अभी भी सामने नहीं आया है, हालांकि जो बाइडेन ने बढ़त बना ली है और ट्रंप की जीत का रास्ता और संकरा हो गया है. दूसरी तरफ डॉनल्ड ट्रंप ने कई राज्यों में चुनाव के नतीजों को अदालत में चुनौती दे दी है.
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बाइडेन ने कई अहम राज्यों में जीत हासिल कर ली है, जिनमें मिशिगन और विस्कॉन्सिन शामिल हैं. पेंसिल्वेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना, एरिजोना जैसे राज्यों में अभी भी दोनों प्रतिद्वंदियों के बीच काफी करीब की टक्कर चल रही है. अमेरिकी मीडिया में कई रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि बाइडेन जीत के काफी करीब हैं.
जीत के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के 270 वोट चाहिए होते हैं और सीएनएन के अनुसार बाइडेन 253 मत हासिल कर चुके हैं जबकि ट्रंप 213 पर हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार भी बाइडेन के पास 253 मत हैं और ट्रंप के पास 214. ट्रंप ने बुधवार को समय से पहले अपनी जीत का दावा करने के बाद दूसरा कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है.
बाइडेन ने कहा है कि वो और उनकी पार्टी जीत की तरफ बढ़ रही है लेकिन जब तक आखिरी मत तक गिनती पूरी नहीं हो जाती मतगणना तब तक चलती रहेगी. ट्रंप ने बुधवार को यह भी कहा था कि चुनावों में धांधली हो रही है और वो इसके खिलाफ अदालत में जाएंगे.
कई पूर्वानुमान गलत
अपनी घोषणा के अनुसार ही उन्होंने कम से कम दो राज्यों में नतीजों के खिलाफ अदालतों में मामले दायर कर दिए थे और कई और राज्यों में अदालत के दरवाजे खटखटाने की मंशा जाहिर कर दी. पेंसिल्वेनिया को लेकर ट्रंप की टीम ने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात की.
बाइडेन की टीम ने मतगणना की प्रक्रिया की निष्पक्षता में अपना विश्वास जताया है और कहा है कि वो हर प्रकार की कानूनी चुनौती के लिए भी तैयार हैं. हालांकि ट्रंप ने कई राज्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है और चुनावों के नतीजों के अनुमान लगाने वाले कई समीक्षकों को गलत ठहराया है.
ओहायो, आयोवा, फ्लोरिडा जैसे कई राज्यों में ट्रंप के हारने का अनुमान लगाया गया था लेकिन उन सभी राज्यों में वो जीत चुके हैं. इसका मतलब है कि अमेरिकी मतदाताओं के बीच अभी भी ट्रंप को भारी समर्थन प्राप्त है और चाहे वो जीतें या हारें वो देश की राजनीति में एक सक्रिय ताकत बने रहेंगे.
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को यहां तक पहुंचाने में उनकी दौलत ने काफी मदद की है. केवल ट्रंप के नाम पर दुनिया भर मशहूर हैं ये जगहें.
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लास वेगस
लास वेगस में ट्रंप इंटरनेशनल होटल एंड टावर स्थित है. इसके बराबर में मौजूद लक्जरी विन रिजॉर्ट भी इसके सामने बौना नजर आता है. ट्रंप कॉम्प्लेक्स इस शहर की तीसरी सबसे ऊंची इमारत है.
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शिकागो
शिकागो के बहुत सारे लोगों को यहां दिखने वाले ट्रंप होटल एंड टावर से परेशानी है. मेयर राहम इमैनुएल ने तो इसे "भद्दा और असुरुचिपूर्ण" तक कह डाला और उनके नाम के हिस्से 'ट्रंप' को बैन भी करवाया. लेकिन पांच साल के बाद फिर ट्रंप ने इसकी 16वीं मंजिल पर अपना नाम लगवा लिया.
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अटलांटिक सिटी
यहां ताज महल कैसे? असल में ट्रंप ने 1990 में न्यू जर्सी की अटलांटिक सिटी में ताज महल का निर्माण कार्य पूरा करवाया. करीब एक अरब डॉलर की लागत से बने इस कसीनो और होटल को 25 साल तक चलाने के बाद दिवालिया होने की नौबत आ गई थी. 2014 में यह बिक गया लेकिन नए मालिकों ने ट्रंप ब्रांड नहीं छोड़ा.
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मैनहैट्टन की सड़कों पर
न्यूयॉर्क में स्थित ट्रंप टावर उनकी बहुत खास संपत्ति माना जाता है. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के अभियान के लिए यही उनका मुख्यालय भी है. इस इमारत में फुटबॉल सितारे क्रिस्टियानो रोनाल्डो, अभिनेता ब्रूस विलिस जैसे कई मशहूर सेलेब्रिटीज के आशियाने हैं. खुद ट्रंप का परिवार भी यहीं लक्जरी टावर में रहता है.
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न्यूयॉर्क का विवादित प्रतीक
725 फिफ्थ एवेन्यू पर बने ट्रंप टावर को बहुत से स्थानीय निवासी पसंद नहीं करते तो कई इसे बहुत शालीन और टाइमलैस बताते हैं. यह छह मंजिला ट्रंप टावर संगमरमर और सुनहरे रंगों से सजा है. आधुनिक आर्किटेक्चर के शौकीनों और ट्रंप समर्थकों के लिए यह बड़ा आकर्षण है.
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गरीबी-अमीरी का साफ अंतर
पनामा सिटी के ट्रंप ओशन क्लब में एक होटल, 700 अपार्टमेंट और अपना प्राइवेट यॉट क्लब है. यह पूरे लैटिन अमेरिका की सबसे ऊंची बिल्डिंग है. हालांकि इससे पास ही स्थित गरीब लोगों की बस्ती के कारण कई लोग इन अपार्टमेंट में नहीं रहना चाहते.
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स्कॉटिश विरोध
भले ही एबरडीन, स्कॉटलैंड में बनाए अपने ट्रंप इंटरनेशनल गोल्फ लिंक्स एस्टेट को डॉनल्ड ट्रंप "दुनिया का सर्वोत्तम गोल्फ कोर्स" कहते रहें, पास की एक जमीन को बेचने के लिए एक स्थानीय स्कॉट आज तक तैयार नहीं हुआ. जून में ही ट्रंप वहां पहुंचे और स्कॉटलैंड के ईयू में बने रहने की इच्छा को नजरअंदाज करते हुए यूके के ब्रेक्जिट के निर्णय की खूब तारीफ की.
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एर्दोआन के मुकाबले ट्रंप
पूरे यूरोप में सबसे पहला ट्रंप टावर इस्तांबुल में ही बना था. यह अपने विशाल वाइन संग्रह के लिए मशहूर है. हालांकि इस ऊंचे टावर से ट्रंप का नाम हटाने की मांग हुई थी. इस कॉम्प्लेक्स का मालिक एक तुर्की अरबपति है जिसने ट्रंप ब्रांड नेम लिया हुआ था. ट्रंप के इस्लाम और मुस्लिम विरोधी विचारों के कारण राष्ट्रपति एर्दोआन समेत तुर्की के कई मुसलमान नाखुश हैं.