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अमेरिका में समलैंगिक सैनिकों से पाबंदी हटी

२० सितम्बर २०११

अमेरिकी सेना में समलैंगिकों पर लगे तमाम प्रतिबंध खत्म. आज से समलैंगिकों को नए अधिकार मिल गए हैं. दो दशक पुरानी 'न पूछो, न बताओ' नीति को खत्म कर दिया गया है. सैनिक अब बिना डर के बता सकेंगे कि वह समलैंगिक हैं.

तस्वीर: AP

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के सचिव जॉर्ज लिटिल ने बताया कि रक्षा विभाग नई नीतियों को लागू करने के लिए तैयार हो चुका है. 97 फीसदी सैनिकों को नए कानून के तहत ट्रेनिंग दी जा चुकी है. सेना ने नीतियों में बदलाव भी कर दिया है. अब कहीं नहीं लिखा है कि सेना में समलैंगिकों पर प्रतिबंध है.

समलैंगिक सैनिकों से जुड़े पुराने मुकदमे और जांचें रद्द कर दी गई हैं. समलैंगिकता की वजह से जिन लोगों को सेना ने निकाला गया वह फिर से फौज का हिस्सा बन सकते हैं.

कैलिफोर्निया की डेमोक्रैट सांसद और समलैंगिकों के हितों के लिए मुकदमा लड़ चुकी नेन्सी पेलोसी कहती हैं, "आखिरकार हमारे देश ने समलैंगिकों, लड़कों और लड़कियों के साथ होने वाले बुनियादी भेदभाव के दरवाजे बंद कर दिए हैं. यह सभी अमेरिकियों के लिए समानता का एक बड़ा गुण है."

तस्वीर: AP

सीमित आजादी

नए नियमों के बावजूद समलैगिंक सैनिकों को सार्वजनिक तौर पर प्रेम का इजहार करने की अनुमति नहीं दी गई है. सैन्य सुविधाओं को लेकर भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. मौजूदा नियम के अनुसार फौजी घायल सैनिक कार्यक्रम के तहत अपने किसी परिवार के साथी का नाम दे सकते हैं. चोट लगने या मृत्यु होने स्थिति में उस साथी को सैन्य सुविधाएं मिलेंगी. समलैंगिक सैनिकों को फिलहाल इस अधिकार से अलग रखा गया है.

सेना मानती है कि समलैंगिकता पर प्रतिबंध की वजह से कई युवा फौज का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं. लेकिन साथ ही समलैगिंकता को बढ़ावा न देने के लिए कुछ पुराने नियमों को जस का तस रखा गया है. कुछ अमेरिकी सांसद अब भी इसके खिलाफ हैं. उनका तर्क है कि समलैंगिकों को आजादी देने से सेना की कार्यक्षमता पर असर पड़ेगा और अनुशासन भी कमजोर पड़ेगा.

संसद ने बीते साल दिसंबर में 'न पूछो, न बताओ' नीति के खंडन का कानून पास किया. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा और सैन्य प्रमुख माइक मुलेन ने समलैंगिक अधिकारों का समर्थन किया.

तस्वीर: dpa

एक समलैंगिक सैनिक की कहानी:

दस साल पहले अमेरिकी वायुसेना में डेविड हॉल ट्रेनिंग कर रहे थे. हॉल का वायुसेना अधिकारी बनना तय था. लेकिन तभी उनके साथी सैनिक ने बताया कि हॉल समलैंगिक हैं. हॉल के सेना ने निकाल दिया गया.

अब समलैंगिकों से प्रतिबंध हटने के बाद हॉल जोरदार ढंग से जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हैं. वह दोबारा वायुसेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं. 37 साल के हॉल कहते हैं, "पूरे देश ने एक साथ यह महसूस किया कि कुछ ऐसा है जिससे पीछा छुड़ाना है."

पुराने दिनों को याद करते हुए हॉल कहते हैं, "ट्रेनिंग प्रोग्राम में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद मुझे निकाल दिया गया. उस वक्त मेरी रैंक नंबर एक थी और मेरा पायलट बनना तय था."

हॉल अब भी वायुसेना में लौटना चाहते हैं लेकिन उम्र अब तय सीमा के पार जा चुकी है, "दुर्भाग्य से अपनी उम्र की वजह से मैं अब विमान नहीं उड़ा सकूंगा. मुझे यह बात पता है. लेकिन दोबारा वायुसेना में जाकर वर्दी पहनना और देश के लिए जरूरी काम करने का मौका मिलने से मुझे खुशी होगी."

इजरायल, इंग्लैंड और जर्मनी की सेना में समलैंगिकों को ऐसे अधिकार पहले ही दिए जा चुके हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा मोंढे

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