अमेरिका में सरकारी सुविधा लेने वालों को नागरिकता नहीं
१३ अगस्त २०१९
नियम में बदलाव के बाद सरकारी लाभ का उपयोग करने वाले आप्रवासियों को ग्रीन कार्ड या नागरिकता प्राप्त करने से अयोग्य ठहराया जा सकता है. ट्रंप प्रशासन का यह कदम कानूनी आव्रजन को रोकने का एक प्रयास है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने सोमवार को नए नियमों की घोषणा की जिसका लक्ष्य वैसे कानूनी अप्रवासियों को रोकना है जो स्थायी निवास या नागरिकता प्राप्त कर सरकारी सहायता चाहते है. ये नए नियम अमेरिका को एक योग्यता आधारित आव्रजन प्रणाली (मेरिट बेस्ड इमिग्रेशन सिस्टम) की ओर ले जाने के लिए ट्रंप प्रशासन के प्रयास का एक हिस्सा हैं. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं के कार्यवाहक निदेशक केन क्यूकेनेली कहते हैं, "हम वैसे लोगों को इस देश में आते देखना चाहते हैं जो आत्मनिर्भर हो."
ग्रीन कार्ड (स्थायी निवास की अनुमति) या नागरिकता का आवेदन करने के दौरान आवेदकों को यह साबित करना होगा कि वे राज्य के ऊपर किसी तरह का बोझ या 'पब्लिक चार्ज' नहीं हैं. नए नियम में 'पब्लिक चार्ज' की व्याख्या 36 महीने की अवधि के दौरान सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए "अधिक से अधिक संभावना" वाले किसी व्यक्ति के रूप में की गई है. नए नियम के अनुसार, वैसे आप्रवासी जिन्होंने एक तय अवधि तक सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य सेवा मेडिकएड, घर की सहायता, खाने की सहायता या कोई अन्य सार्वजनिक सुविधा का लाभ उठाया, वे अयोग्य हो जाएंगे.
कानूनी रूप से अमेरिका में आने के इच्छुक वैसे आप्रवासियों को भी देश में आने से रोक दिया जाएगा, जिनके बारे में यह माना जाएगा कि उन्हें सरकारी सहायता की आवश्यकता है. हालांकि ये नियम सरकारी सुविधा लेने वाले बच्चों और मेडिकएड की सुविधा लेने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए नहीं लागू होगा. आपातकालीन चिकित्सा सहायता, बेघर आश्रयों या आपदा राहत सहित कार्यक्रमों को भी नए नियम से बाहर रखा गया है.
इस बदलाव का असर उन 2 करोड़ से ज्यादा निवासियों पर पड़ेगा जो कानूनी रूप से अमेरिका में रह रहे हैं लेकिन वे अभी तक यहां के नागरिक नहीं बने हैं. साथ ही इसका असर 1 करोड़ से ज्यादा अनाधिकृत आप्रवासियों पर भी पड़ेगा जो लंबे समय से यहां हैं. नियमों में बदलाव ने इस बात की भी चिंता बढ़ा दी है कि आप्रवासी अब ग्रीन कार्ड या नागरिकता के योग्य बने रहने के लिए सरकारी मदद या सहायता नहीं लेंगे.
एक बयान में व्हाइट हाउस ने कहा है कि नया नियम काफी संख्या में वैसे गैर-नागरिकों और उनके परिवार को निशाना बनाने के लिए लाया गया है, जो सरकारी सुविधा का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि, न्यूज एजेंसी एपी ने डाटा सर्वेक्षण के बाद यह पाया कि आप्रवासियों का एक छोटा हिस्सा ही अमेरिका में सरकारी सुविधाओं को प्राप्त कर रहा है और अमेरिकी नागरिकों की तुलना में उन सेवाओं तक आप्रवासियों की पहुंच काफी कम है. इमिग्रेशन स्टेटस की वजह से पहले ही आप्रवासियों के लिए कई सुविधाओं को प्राप्त करने पर रोक लगी हुई है.
राष्ट्रपति ट्रंप पहले से ही मैक्सिको की सीमा पर गैर-दस्तावेजी आव्रजन को रोकने के लिए कदम उठा चुके हैं लेकिन परिवारों के अलग करने जैसे कई विवादास्पद कदम की वजह से इसका काफी ज्यादा विरोध हुआ. साथ ही शरणार्थियों और आप्रवासियों के आने को ट्रंप ने 'आक्रमण' बताया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी.
दुनिया में अमेरिका की गिनती बेहद ही शक्ति संपन्न देशों में होती है. अमेरिका के संघीय बजट का कुछ हिस्सा अन्य देशों की मदद में जाता है. अमेरिकी सरकार के डाटा के मुताबिक 2018 में इन देशों को सबसे अधिक आर्थिक सहायता दी गई.
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10. इराक (34.79 करोड़ डॉलर)
अमेरिकी मदद पाने वाला इराक सबसे अहम देश है. पिछले 15 सालों से इराक में स्थायित्तव का संकट चल रहा है. सबसे पहले अमेरिका ने सद्दाम हुसैन के खिलाफ मोर्चा खोला था. लेकिन अब आईएस उसके लिए सिरदर्द बन चुका है. 2018 के दौरान अमेरिका ने इस क्षेत्र में 34.79 करोड़ डॉलर के सहायता देने की योजना बनाई थी.
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9. नाइजीरिया (41.91 करोड़ डॉलर)
नाइजीरिया में अमेरिकी मदद का मकसद देश को गरीबी से बाहर निकालना है. इसके साथ ही कोशिश स्थायी लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने की भी है ताकि स्थानीय लोगों को काम में लगाया जा सके. हालांकि यह क्षेत्र कट्टरवादी आतंकवादी संगठन बोको हराम के हमलों से जूझ रहा है. 2018 में अमेरिका ने नाइजीरिया को 41.9 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता दी.
जाम्बिया में अमेरिकी मदद का मुख्य उद्देश्य देश को गरीबी से निकालना है. यह मदद रहने के लिए मानवीय परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए दी जा रही है. मदद का मकसद देश में टिकाऊ कृषि और एचआईवी, मलेरिया और टीबी जैसी जानलेवा बीमारियों को लेकर जागरूकता फैलाना है. इस मदद का मकसद भविष्य में अमेरिका के लिए एक अच्छा बाजार तैयार करना भी है. 2018 में मदद की सीमा 42.89 करोड़ डॉलर तय की गई.
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7. युगांडा
पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा में अमेरिका का जोर राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना है. 2018 में दी गई मदद का लक्ष्य देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना, साथ ही गंभीर बीमारियों के खतरों को रोकना है. साल 2018 में अमेरिका ने 43.64 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता का लक्ष्य रखा था.
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6. तंजानिया
तमाम कमियों के बीच तंजानिया एक स्थायी, बहुपक्षीय सरकारी प्रणाली के साथ-साथ एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी है. इसके बावजूद करीब एक चौथाई तंजानियाई लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं.अमेरिकी मदद का उद्देश्य तंजानिया में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना है. साथ ही देश को अमेरिका के एक अहम सहयोगी के रूप में स्थापित करना है. 2018 में तंजानिया को अमेरिका से 53.53 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद मिली.
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5. केन्या
तमाम लोकतांत्रिक सुधारों के बावजूद केन्या की राजनीतिक व्यवस्था अब भी भ्रष्टाचार और जातीय विवादों में उलझी हुई है. देश के किसान और कई नागरिक अब भी सूखाग्रस्त इलाकों में रहने को मजबूर हैं. केन्या को दी जाने वाली मदद का मकसद सूखा ग्रस्त इलाकों से लोगों को निकालना है. साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना भी है. 2018 में केन्या को 63.94 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद दी गई.
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4. अफगानिस्तान
पिछले 18 सालों से अमेरिका की फौजें अफगानिस्तान में तैनात है. हालांकि अब अमेरिका के अंदर अफगानिस्तान से निकलने की छटपटाहट साफ नजर आती है. 2018 में अमेरिका ने अफगानिस्तान को 78.28 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद की. इस मदद का मकसद देश में आंतकवादी संगठन आईएस को जमीन तैयार करने से रोकना है. साथ ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है.
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3. जॉर्डन
युद्धग्रस्त सीरिया के करीब स्थित जॉर्डन इस वक्त सबसे बड़े रिफ्यूजी संकट से जूझ रहा है. 2018 में एक अरब डॉलर की अमेरिकी मदद पाने वाले इस देश को अमेरिका से बड़ी भारी मदद मिलती है. आर्थिक मदद का मकसद सीरियाई रिफ्यूजियों से निपटने के साथ-साथ जॉर्डन में लोकतांत्रिक जवाबदेही तय करना भी है.
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2. मिस्र
मिस्र में अमेरिकी मदद का मकसद स्थानीय लोगों के लिए भोजन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ देश में अच्छी शासन व्यवस्था लागू करना भी है. मिस्र पिछले लंबे वक्त से आतंकवाद और कट्टरवादी ताकतों से जूझता रहा है. मदद का उद्देश्य मिस्र और अमेरिका के बीच अच्छे आर्थिक संबंध स्थापित करना भी रहा है. सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए अमेरिका भारी मदद करता है. 2018 में इसे 1.39 अरब डॉलर की मदद मिली.
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1. इस्राएल
पिछले कई दशकों से इस्राएल अमेरिकी मदद पाने वाला सबसे बड़ा देश रहा है. अमेरिका की ओर से दी जाने वाली मदद का मकसद क्षेत्रीय ताकतों के खिलाफ सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है. साल 2018 में अमेरिका की ओर से इस्राएस को 3.1 अरब डॉलर की मदद दी गई.