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अमेरिका- रूस संबंध: एक नया संकेत?

गुलशन मधुर, वॉशिंगटन२९ जनवरी २००९

रूसी सेना ने घोषणा की है कि रूस अब कालिनिनग्राड में इस्कंदर रॉकेट नहीं लगाएगा. उधर ओबामा भी मिसाइल रोधी प्रणाली लगाने पर विचार कर रहे हैं. क्या ये दोनों देशों में नए रिश्तों का संकेत है...

अमेरिका के की तरफ़ दोस्ती का हाथ?तस्वीर: AP

कालिनिनग्राड में मिसाइल की तैनाती रोकने की रूस की योजना का स्पष्ट अर्थ यह जान पड़ता है कि बुश- सरकार के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों के दौर के बाद रूस नए राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर सुलह और एक नई शुरुआत का हाथ बढ़ा रहा है. सोमवार को ओबामा ने रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव से टेलीफ़ोन पर बातचीत की थी. यह ओबामा के कार्याभार संभालने के बाद दोनों नेताओं के बीच पहला संपर्क था. जैसाकि व्हाइट हाउस ने कहा, ओबामा और मेद्वेदेव, दोनों देशों के संबंद्धों में आई गिरावट को रोकने के क़दम उठाने पर सहमत हुए.

बेशक़, रूस ने मिसाइल- तैनाती रोकने की घोषणा इस तथ्य की रौशनी में की है कि ओबामा- सरकार, पिछले प्रशासन की अमेरिकी मिसाइल- तैनाती योजना को लागू करने की जल्दी में दिखाई नहीं देती.

मिसाइल रोधी प्रणाली लगाने पर पुनर्विचारतस्वीर: AP / DW

वॉशिंगटन की पूर्वी यूरोप में एक मिसाइल- कवच स्थापित करने की योजना के जवाब में, कालिनिनग्राड में इस्कंदर मिसल तैनात करने की घोषणा मेद्वेदेव ने गत नवंबर में की थी. बुश- सरकार का इरादा, पोलंड में रोधक मिसल तैनात करने का था और चैक गणराज्य में एक टोहक रेडार लगाने का.

ओबामा के कार्यभार ग्रहण करने से पहले उनके संक्रमण- दल ने कहा था कि ओबामा ने मिसाइल रक्षाप्रणाली तैनात करना तय नहीं किया है और कि वह यह देखने का इंतज़ार करेंगे कि संबंधित टैक्नॉलजी कारगर है या नहीं. आधिकारिक रूप से वॉशिंग्टन ने मिसाइल कवच प्रणाली की तैनाती के बारे में नीति में किसी तब्दीली की घोषणा नहीं की है. लेकिन ओबामा- सरकार, विदेशनीति की व्यापक समीक्षा के अंग के रूप में इस मुद्दे पर पुनर्विचार कर सकती है.

रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पूटिन ने एक टेलीविज़न इंटरव्यू में कहा है कि हाल के सप्ताहों या महीनों की घटनाएं सतर्क आशावादिता का कारण हैं कि ओबामा, मिसाइल रक्षाप्रणाली की अपने पूर्ववर्ती की योजनाओं पर पुनर्विचार कर सकते हैं. क्या यह घटनाक्रम दोनों देशों के संबंधों में नई गर्माहट आने की दिशा में एक संकेत है?

इस सवाल का कुछ हद तक जवाब शायद अप्रैल में तब मिलने की आशा की जा सकती है, जब लंदन में ' ग्रुप ऑव ट्वैंटी' देशों के संगठन की बैठक के अवसर पर, ओबामा और मेद्वेदेव की संभावित मुलाक़ात के दौरान यह विषय उठाए जाने का अनुमान है.

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